गुरुवार, 13 जनवरी 2011

छत्तीसगढ़ की खबरें

जज के खिलाफ जन अदालत की धमकी
छत्तीसगढ़ के डीजीपी विश्वरंजन ने साफ किया कि डॉ. बिनायक सेन के मसले पर सिविल सोसाइटी के लगातार दबाव के बाद भी उनकी जमानत अर्जी का पुलिस विरोध करेगी।

नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस प्रमुखों की बैठक में विश्वरंजन ने दैनिक भास्कर से कहा, ‘आप देखिए नक्सलियों के तेवर, ओड़ीसा-छत्तीसगढ़ की सीमा पर उन्होंेने बुधवार को पोस्टर चस्पा कर सेन के पक्ष में फैसला न देने पर न्यायाधीशों के खिलाफ जन-अदालत लगाने की चुनौती देने की हिमाकत कर रहे हैं।’उन्होंने जोर देकर कहा कि नक्सलियों से साठगांठ को लेकर सेन के खिलाफ इतने सबूत हैं कि पीछे हटने का सवाल ही नहीं।
उनका 15 हमारा 12 सौ करोड़ का बजट
डीजीपी ने कहा कि नक्सलियों की उगाही ढाई हजार करोड़ रुपए तक जा पहुंची है। केवल झारखंड से ही उन्हें 1500 करोड़ रुपए पहुंच रहे हैं। जबकि छत्तीसगढ़ पुलिस के पास केवल 1200 करोड़ रुपए सालाना का बजट है। फंड की कमी के कारण बेहतर उपकरण खरीदना मुश्किल हो रहा है।
विश्वरंजन ने कहा कि नक्सलियों की सबसे बड़ी ताकत लैंडमाइन है। लैंडमाइन को पहचानने का स्वचालित वाहन इजराइल ने बनाया है। लेकिन वैसे एक वाहन की कीमत २क् करोड़ रुपए है। इतने महंगे वाहन की खरीदी फंड की कमी के कारण फिलहाल संभव नहीं हो सकी है।

सेन परिवार को पूरी सुरक्षा
डॉ. बिनायक सेन की पत्नी इलीना सेन ने छग में जान को खतरा बताया है, इस सवाल के जवाब में डीजीपी ने विश्वास दिलाया कि रायपुर लौटते ही उन्हें बेहतर सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। उन्हाेंने कहा, सेन-परिवार के जानमाल की हिफाजत करना हमारा दायित्व है।

कानन पेंडारी में चलेगी एयरकंडीशंड ट्रेन
बिलासपुर.स्मॉल जू ‘कानन पेंडारी’ में सैर के लिए जल्दी ही एयरकंडीशंड टॉय ट्रेन उपलब्ध हो जाएगी। आकार प्रकार में सामने का हिस्सा हूबहू स्टीम इंजिन का होगा, परंतु यह ट्रेन दो डिब्बों वाली होगी तथा इसके चके मोटर कारों की तरह होंगे।

कानन पेंडारी में 8 एवं 12 सीटर इको फ्रेंडली कार पहले से ही संचालित हो रही है। नई ट्रेन के आ जाने से सैलानियों खासतौर पर बच्चों के लिए कानन पेंडारी में भ्रमण और मजेदार हो जाएगा।
वन मंडलाधिकारी एसएसडी बड़गैंया ने बताया कि एयरकंडीशंड टॉय ट्रेन की लागत 10 लाख रुपए है। इसमें 18 बीएचपी का पॉवरफुल इंजिन लगा हुआ है। इसकी रफ्तार 4 से 10 किलोमीटर होगी तथा इसमें 15 व्यक्ति बैठ सकेंगे। ट्रेन में दो डिब्बे होंगे, एक एसी दूसरा नॉन एसी होगा। ट्रेन के संचालन के लिए पॉथ वे की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि इसमें टायर वाले पहिए लगे होंगे।
गौरतलब है कि कानन पेंडारी को 3 अगस्त 2005 को मिनी जू का दर्जा प्रदान किया गया। उसे 21 जनवरी 2009 को स्मॉल जू बनाया गया और अब मिडियम जू के लिए प्रशासन की ओर से आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं। कानन पेंडारी में 50 विभिन्न प्रजातियों के वन्यप्राणी हैं।
वन्यप्राणियों की संख्या 750 के करीब है। कानन पेंडारी के आकर्षण का इससे बेहतर और कोई उदाहरण नहीं होगा कि न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए यहां हर साल 25 से 30 हजार सैलानी पहुंचते हैं। वैसे वर्ष भर में तीन- साढ़े तीन लाख सैलानियों के कानन के भ्रमण के लिए पहुंचने का रिकार्ड है।

राष्ट्रीय उद्यानों में बच्चों का नहीं लगेगा टिकट
रायपुर.वनमंत्री विक्रम उसेंडी ने बच्चों को नए साल का तोहफा देते हुए घोषणा की है कि यदि वे राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों की सैर करने जाते हैं तो उन्हें इंट्री टिकट नहीं लेना पड़ेगा। इसका उद्देश्य स्कूली बच्चों में जंगलों व वन्य प्राणियों के प्रति लगाव पैदा करना है।
प्रदेश में 55 लाख स्कूली बच्चे हैं। बच्चों को अभयारण्यों में प्रवेश स्कूल का आईकार्ड दिखाने पर दे दिया जाए। उनके वहां ठहरने के शुल्क में छूट मिलेगी या नहीं अभी यह तय किया जा रहा है। श्री उसेंडी ने बताया कि स्कूलों और कालेजों में वानिकी के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
उनमें जंगलों की महत्ता को प्रदर्शित करने वाली चित्रकला प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। वन महोत्सव कार्यक्रम स्कूलों, कालेजों और पंचायतों में धूमधाम से मनाए जाएंगे। वन विभाग ने वर्ष 2011 को अंतरराष्ट्रीय वानिकी वर्ष के रूप में मनाने का फैसला भी किया है।
इस साल वन विभाग की स्थापना के 50 साल भी पूरे हो रहे हैं। प्रदेश में इस अवसर पर राजधानी में तीन दिनी वानिकी मेला लगाने का निर्णय लिया गया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा भी नए साल को अंतरराष्ट्रीय वानिकी वर्ष के रूप में मना रही है।
सालभर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम जनता के लिए वन थीम पर आधारित होंगे। इस संबंध में आज अरण्य भवन में पीसीसीएफ आर.के. शर्मा ने अफसरों की बैठक ली।
इसमें अच्छा काम करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को सम्मानित करने, पर्यावरण जागरूकता पैदा करने, हर्बल उत्पादों व सजावटी सामान की प्रदर्शनी लगाने, जंगलों से संबंधित फिल्मों का प्रदर्शन करने, विभागीय स्मारिका वानिकी की डोर-जनता की ओर प्रकाशित करने का भी निर्णय लिया गया।

नंदनवन का बढ़ेगा दर्जा
रायपुर। राजधानी का मिनी जू नंदनवन अब जल्द ही स्मॉल जू अथॉरिटी की एक टीम ने नंदनवन का निरीक्षण कर इसे अपग्रेड करने की सिफारिश की है। सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इसे अपग्रेड करने का विचार शुरू कर दिया है। अफसरों का कहना है कि अपग्रेडेशन के बाद नंदनवन में सुविधाएं और जानवरों की संख्या बढ़ जाएगी। दुनिया के कुछ अनोखे और लुप्तप्राय प्रजातियों के जानवरों को भी यहां रखने की अनुमति मिल सकेगी।
नंदनवन को केंद्र ने मिनी जू के नाम से ही सेंट्रल जू का दर्जा दिया था। इसके बाद इसके अपग्रेडेशन के लिए राज्य वन विभाग ने काफी बदलाव किया। जू का क्षेत्रफल डबल कर दिया गया। नए जानवरों और सुविधाओं में बढ़ोतरी होने से यहां पर्यटकों की संख्या भी बढ़ गई। अब इतना विकास हो गया है कि इसे स्मॉल जू का दर्जा दिया जा सकता है। इसी के लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी की टीम तीन हफ्ते पहले यहां निरीक्षण करने आई थी।
टीम ने जू का अवलोकन कर यहां की सुविधाओं की रिपोर्ट तैयार की थी। जानवरों के आंकड़े और पर्यटकों की संख्या भी आंकी गई। निरीक्षण दस्ते ने ग्रेडिंग बढ़ाकर नंदनवन को स्मॉल जू का दर्जा दिए जाने की सिफारिश कर दी है। महीनेभर के भीतर जू के अपग्रेडेशन का पत्र वन विभाग को मिल सकता है। इस खबर से वन विभाग के लोग उत्साहित हैं।
स्मॉल जू अपग्रेडेशन का मापदंडक्षेत्रफल : नियमत: जू का क्षेत्रफल 20 हेक्टेयर यानी 50 एकड़ से ज्यादा होना चाहिए। नंदनवन के पास वर्तमान में 51 एकड़ जमीन है। मिनी जू का दर्जा हासिल करते समय यहां केवल 25 एकड़ जमीन ही थी।पर्यटक : केंद्रीय मापदंड में स्मॉल जू के लिए पर्यटकों की औसत संख्या देखी जाती है। नंदनवन में निर्धारित से अधिक पर्यटक आ रहे हैं।सामान्य प्रजातियां : जानवरों की सामान्य प्रजातियां 15 से अधिक होनी चाहिए। नंदनवन मंे यह संख्या 17 है।विलुप्तप्राय प्रजातियां : विलुप्तप्राय सूची में आने वाली जानवरों की प्रजातियां तीन होनी चाहिए। नंदनवन के पास ऐसी आठ से ज्यादा प्रजातियां उपलब्ध हैं।
इन खामियों को दूर करना भी है जरूरी> चिकित्सा व्यवस्था पर्याप्त नहीं, लेकिन विभाग ने ऑपरेशन थिएटर के साथ-साथ कुछ उपकरण भी खरीदने की तैयारी की है।> कंपाउंडर की व्यवस्था नहीं है। वन विभाग के सुरक्षा गार्ड को ट्रेनिंग देकर कंपाउंडर के पद पर पदस्थ किया जाएगा।> ट्रेंड स्टाफ की कमी है, जिसके लिए फिलहाल कोई ठोस उपाए नहीं किया गया। इस पर अथारिटी को आपत्ति हो सकती है।> आधे पिंजरे छोटे हैं। कुछ का क्षेत्रफल बढ़ाया गया है। अभी भी बहुत से पिंजरों को बड़ा करना बाकी है।
इस तरह होती है जू की ग्रेडिंगदेश के तमाम जू को सेंट्रल का दर्जा चार स्तरों पर मिलता है। उनके क्षेत्रफल, सुविधाएं और पर्यटकों की संख्या के आधार पर मिनी, स्मॉल, मीडियम और लार्ज जू का दर्जा दिया जाता है। भिलाई का मैत्रीबाग मीडियम जू कहलाता है, जबकि बिलासपुर का कानन पिंडारी स्मॉल जू की केटेगरी में आ चुका है।

5 साल में पूरा होगा अरपा भैंसाझार प्रोजेक्ट
बिलासपुर.जिले की जीवनरेखा मानी जाने वाली अरपा नदी पर भैंसाझार (कोटा) गांव के पास प्रस्तावित ‘अरपा भैंसाझार सिंचाई परियोजना’ को इस वित्तीय वर्ष में मंजूरी मिली तो उसका निर्माण अगले 5 वर्षो में पूरा हो जाएगा।
जल संसाधन विभाग का दावा है कि संशोधित योजना के निर्माण से किसी प्रकार की आबादी प्रभावित होगी और न ही शासकीय संपत्ति यानी स्कूल भवन, आंगनबाड़ी भवन, पंचायत भवन, सामुदायिक भवन, सड़क, तालाब आदि प्रभावित होंगे, बल्कि योजना पूरी होते ही तीन विधानसभा क्षेत्रों की 25 हजार हेक्टेयर की फसल लहलहा उठेगी।
यही वजह है कि जिले की निगाहें जल संसाधन विभाग के आसन्न बजट प्रस्तावों पर टिक गई हैं। अरपा भैंसाझार सिंचाई परियोजना के निर्माण के लिए अंग्रेजों के शासनकाल में सर्वप्रथम 1923 में सर्वे हुआ था।
आजादी के बाद वर्ष 1978-79 में तत्कालीन सिंचाई मंत्री मनहरण लाल पांडे ने यह जानते हुए भी कि योजना के पूर्ण होने जाने से उनके तत्कालीन विधानसभा क्षेत्र तखतपुर के बजाय अन्य विधानसभा क्षेत्रों को अधिक सिंचाई सुविधा मिलेगी, उसे मंजूरी दिलाई। उस समय 2 करोड़ की मंजूरी के बाद सकरी में परियोजना के संचालन के लिए कालोनी का निर्माण भी किया गया।
काम आगे बढ़ पाता कि 1980 में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग के सख्त प्रावधानों ने उसका रास्ता रोक दिया।बहरहाल अरपा भैंसाझार की पुनरीक्षित सिंचाई परियोजना में बांध की बजाय बरॉज बनाने का प्रस्ताव है। इससे कोटा, तखतपुर एवं बिल्हा विधानसभा क्षेत्र की 25000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी। अरपा भैंसाझार वृहद श्रेणी की योजना है।
जो कि जिले के कोटा विधानसभा क्षेत्र के भैंसाझार गांव के पास क्रियान्वित होगी। यह गांव करगीरोड रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर दूर स्थित है। बरॉज की ऊंचाई 12.44 मीटर होगी और इसके निर्माण पर 644.33 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

बांगो परियोजना के साथ शुरू हुआ था काम
1978-79 में बांगो बांध एवं अरपा भैंसाझार सिंचाई परियोजना को प्रशासनिक स्वीकृति साथ-साथ प्राप्त हुई और निर्माण कार्य भी साथ-साथ शुरू हुआ था। दोनों योजनाओं का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा ने किया था।
पूर्व सिंचाई मंत्री मनहरणलाल पांडे के मुताबिक उन दिनों इस परियोजना की लागत 34 करोड़ रुपए निर्धारित की गई थी। इससे 1.82 लाख एकड़ क्षेत्र की सिंचाई का प्रावधान किया गया था।

अरपा प्रोजेक्ट को भी मिलेगा पानी
अरपा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण की हालिया बैठक में जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर अनिल खरे ने सुझाव दिया कि प्राधिकरण बरॉज निर्माण के प्रस्ताव को अपनी परियोजना में शामिल करे, तो उसका बहुत सा कार्य सिंचाई विभाग के जरिए पूर्ण हो सकता है।
अरपा प्रोजेक्ट के अंतर्गत अरपा नदी में लोफंदी से दोमुंहानी गांव तक 18 किलोमीटर क्षेत्र में 8 एनीकट के निर्माण का प्रस्ताव है। जल संसाधन विभाग का मानना है कि ग्रीष्म ऋ तु में जब अरपा सूख जाती है, उन दिनों में सिंचाई के बाद बचा हुआ आतिरिक्त पानी अरपा में बरॉज से छोड़कर उसे जलमग्न किया जा सकेगा।
परियोजना के निर्माण के लिए 442.69 हेक्टेयर वन भूमि, 56.45 हेक्टेयर निजी भूमि, 154.77 हेक्टेयर राजस्व भूमि कुल 653.89 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।

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