बुधवार, 5 जनवरी 2011

किसे प्राप्त होती है शनि की कृपा?


शनि देव के कोप से सभी भलीभांति परिचित हैं। शनि की बुरी नजर किसी भी राजा को रातों-रात भिखारी बना सकती है और यदि शनि शुभ फल देने वाला हो जाए तो कोई भी भिखारी राजा के समान बन सकता है।
सूर्य पुत्र शनि अत्यंत धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। यह एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है। शनि को सभी में ग्रहों सबसे महत्वपूर्ण न्यायधीश का पद प्राप्त है। चूंकि न्याय सदैव कठोर ही होता है इसलिए शनि देव भी हमारे बुरे कर्मों का न्याय बड़ी कठोरता से ही करते हैं। इनके कोप से बचने के लिए इनकी आराधना करना अति आवश्यक है।
जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की राशि में शनि हो उस व्यक्ति को जीवनभर कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
किसी व्यक्ति की कुंडली में चार, आठ या बाहरवें भाव में शनि है तो उस व्यक्ति को शनि की कृपा प्राप्त होती है।
शनि नीच राशिस्थ, अस्त वक्री होकर व्यक्ति को सदैव दुख और कष्ट ही देता है।
शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है। मेष राशि में नीच व तुला राशि में उच्च का शनि माना गया है।
शनि पीड़ा से बचने के उपाय
- प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
- शिव का पूजन करें, शिवलिंग पर प्रतिदिन जल चढ़ाएं।
- श्री हनुमान की पूजा प्रतिदिन करें।
- काले उड़द, काले तिल, तेल, लोहे के बर्तन आदि, काली गाय, काले कपड़े का दान किसी जरूरतमंद को करें।
- गरीबों को खाना खिलाएं और आवश्यक मदद करें।
- शनिवार का व्रत रखें।
- पीपल की पूजा करें, जल चढ़ाएं एवं परिक्रमा करें।

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