मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

क्या तेरा क्या मेरा?

चिटर-पिटर दो दोस्त थे। दोनों ने घुड़दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेने का मन बनाया। प्रतियोगिता के लिए चिटर-पिटर ने दो घोड़े भी खरीद लिए, लेकिन उन्हें एक दिक्कत थी।

चिटर बड़ा परेशान होकर पिटर से बोला, ‘भाई हमें यह कैसे मालूम पड़ेगा कि कौन-सा घोड़ा तुम्हारा है और कौन सा मेरा?’
पिटर ने जवाब देते हुए कहा, ‘अरे, बस इतनी सी बात। तू परेशान मत हो, मैं अपने घोड़े की पूंछ काट देता हूं। बिना पूंछ वाला घोड़ा मेरा और पूंछ वाला तेरा।’
चिटर-पिटर की बातें एक शरारती लड़का सुन रहा था। उस लड़के ने रात को चुपके से चिटर के घोड़े की पूंछ भी काट दी।
दूसरे दिन जैसे ही दोनों दोस्त घुड़साल में गए, तो उनकी मुश्किलें और बढ़ गईं।
पिटर ने फिर चिटर को समझाते हुए कहा, ‘चिंता मत करो दोस्त, मैं अभी अपने घोड़े का कान काट देता हूं। बस इसके बाद कान वाला घोड़ा तुम्हारा और बिना कान वाल मेरा।’ अब उस शरारती लड़के ने फिर से दूसरे घोड़े का कान भी काट दिया। इससे दोनों दोस्तों की मुश्किलें और भी बढ़ गईं।
पिटर फिर चिटर को शांत कराते हुए बोला, ‘यार परेशान मत हो मैं अभी अपने घोड़े की टांगें काट देता हूं, बस इसके बाद बिना टांगों वाला घोड़ा मेरा और टांगों वाला तुम्हारा।’
उस शरारती लड़के ने दोनों दोस्तों की मुश्किलें दो से चार करने के लिए चुपके से दूसरे घोड़े की टांगें भी काट डालीं। घोड़े के अंगों के काटने का सिलसिला थमा नहीं और एक दिन दोनों घोड़े कटे पेड़ की तरह ज़मीन पर पड़े थे।
बहुत झल्लाकर पिटर चिटर से बोला, ‘बहुत हो गया यार। अब ऐसा कर, कि ये सफेद वाला घोड़ा तेरा है और काला वाला मेरा बेवकूफी की हद हो गई!!’
(www.bhaskar.com)

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