शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

शनिदेव लंगड़े क्यों हैं?

शनि को ज्योतिष शास्त्र का सबसे कू्र ग्रह माना जाता है। कहते हैं कि जिसकी कुण्डली में शनि नकारात्मक भाव में बैठा हो उसका तो भगवान ही मालिक है।
शनि सूर्यदेव के पुत्र हैं ओर इनकी माता का नाम संज्ञा है। कहते हैं शनिदेव लंगड़े हैं।
क्या वास्तव में ऐसा है?
और यदि ऐसा है तो क्यों शनिदेव लंगड़े हैं?
शनिदेव के लंगड़े होने की एक पौराणिक कथा है। एक बार सूर्यदेव का तेज सहन न कर पाने से संज्ञा ने अपने शरीर से अपनी प्रतिमूर्ति छाया को प्रकट किया और उन्हें पुत्र और पति की जिम्मेदारी सौंप कर तपस्या करने लगीं।
उधर छाया भी सूर्यदेव के साथ रहने लगीं। इस बीच छाया से सूर्यदेव को पांच पुत्र उत्पन्न हुए पर वे भी छाया का रहस्य नहीं जान सके। छाया भी अपने बच्चों का ज्यादा ध्यान रखती थीं।
एक बार शनिदेव भूख से व्याकुल होकर छाया के पास गए और उन्होंने उनसे भोजन मांगा। पर छाया ने उनकी बात अनसुनी करते हुए अपने बच्चों को भोजन देना शुरू कर दिया।
यह देखते ही शनिदेव को गुस्सा आ गया और अपने क्रोधी स्वभाव के अनुरूप उन्होंने छाया को मारने के लिए अपना पैर उठाया। उसी समय छाया ने शनिदेव को शाप देते हुए कहा कि तेरा यह पैर अभी टूट जाए। बस तभी से शनिदेव लंगड़े हो गए।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिग्रह बहुत धीमी गति से चलते वाला ग्रह है। यह एक राशि को ढ़ाई वर्ष में पार करता है। इस कारण भी ज्योतिष शास्त्रीय इसे लंगड़ा ग्रह कहते हैं।

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