गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

भागवत १८९ : जब कृष्ण ने हर लिए गोपियों के वस्त्र...

श्रीकृष्ण तो सर्वव्यापी हैं वे जल में भी हैं। तो गोपियों से मिले हुए ही थे। किन्तु गोपियां अज्ञान और वासना से आवृत्त होने के कारण श्रीकृष्ण का अनुभव नहीं कर पाती थीं। सो उनके बुद्धिगत अज्ञान और वासना रूपी वस्त्रों को भगवान् उठाकर ले गए। वैसा प्रभु तब करते हैं जबकि जीव उनका हो जाता है।देह से ऊपर उठना होगा तब यह प्रसंग समझ में आएगा। हम अपने शरीर को समझें। गोपियां नित्य की भांति स्नान करने के लिए वस्त्र उतारकर नदी में प्रवेश कर गईं।

कृष्ण भगवान् भी अपने मित्रों के सहित उस ओर गए। उन्होंने गोपियों को इस प्रकार वरूणदेव का अनादर करते देखा तो वे उन्हें पाठ पढ़ाने के लिए वे उनके वस्त्र लेकर कदम के वृक्ष पर चढ़ गए। गोपियां इससे त्रस्त हो गईं। बहुत अनुनय-विनय करने के बाद उन्होंने वस्त्र लौटाए। गोपियां इससे रूष्ट नहीं हुईं, उन्हें कृष्ण का हर आचरण प्रिय था।इस चीर हरण की लीला में भी एक रहस्य है। कुमारियों के मन में ऐसी भावना थी कि वे नारी हैं ऐसा भाव अहंकार का द्योतक है। उनका वह अहमभाव दूर करने के लिए श्रीकृष्ण ने वैसा व्यवहार किया।
क्योंकि अब रास लीला आने वाली है और रासलीला के गहन अर्थ को जो समझेगा, वही इस चीरहरण के अर्थ को समझेगा। भगवान उन्हीं को रासलीला में ले जाएंगे जिन्हें देह का भान नहीं होगा। उनका वह अहम्भाव दूर करने के लिए श्रीकृष्ण ने उस प्रकार का व्यवहार किया। इस लीला में अहंकार का पर्दा हटाकर प्रभु को सर्वस्व अर्पण करने का उद्देष्य है। द्वेष का आवरण दूर करोगे, तो रास में प्रवेष मिलेगा, भगवान् मिलेगा।
वासना वृत्तियों के आवरण का नष्ट होना ही चीरहरण लीला है। आवरण नाश के पश्चात् जीव के आत्मा का प्रभु से मिलन रासलीला है। इसी कारण से रासलीला चीरहरण के बाद आती है। भगवान् कभी लौकिक वस्त्रों की चोरी नहीं करते।
वे तो बुद्धिगत अज्ञान कामवासना की चोरी करते हैं। सोचिए, क्या कन्हैया गोपियों का नग्न अवस्था में देखना चाहते है? नहीं।श्रीकृष्ण तो सर्वव्यापी हैं वे जल मेंभी हैं। तो गोपियों से मिले हुए ही थे। किन्तु गोपियां अज्ञान और वासना से आवृत्त होने के कारण श्रीकृष्ण का अनुभव नहीं कर पाती थीं। सो उनके बुद्धिगत अज्ञान और वासना रूपी वस्त्रों को भगवान् उठाकर ले गए। वैसा प्रभु तब करते हैं जबकि जीव उनका हो जाता है।देह से ऊपर उठना होगा तब यह प्रसंग समझ में आएगा।

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