गुरुवार, 3 मार्च 2011

टुकड़ों को जोडऩे पर बन गया राजकुमार!

उस बालक के दोनों टुकड़े वहा रहने वाली एक राक्षसी ने देखे। उसका नाम जरा था। वह राक्षसी वह खून-पीती और मांस खाती थी। उसने उन टुकड़ों को उठाया और संयोगवश सुविधा से ले जाने के लिए उसने दोनों टुकड़े मिलाए। टुकड़े मिलकर एक महाबली राजकुमार बन गया। राक्षसी आश्चर्य चकित हो गई।वह उस राजकुमार को उठा तक ना सकी।
उस राजकुमार ने अपनी मुठ्ठी बाधकर मुंह में डाल ली और बहुत तेज आवाज में रोने लगा। रानिवास के सभी लोग उसकी आवाज सुनकर आश्चर्यचकित हो गए। रानियां अपने पुत्र को मरा हुआ समझकर निराश हो चुकी थी, फिर भी उनके स्तनों में दूध उमड़ रहा था। जरा ने सोचा मैं इस राजा के राज्य में रहती हूं। इसे कोई संतान नहीं है और इसे संतान की बहुत अभिलाषा है। साथ ही यह धार्मिक और महात्मा भी है।
इसलिए इस राजकुमार को नष्ट करना अनुचित है।उसने वह राजकुमार जाकर राजा ब्रह्द्रथ को सौंप दिया। तब ब्रह्द्रथ ने पूछा मुझे पुत्र देने वाली तु कौन है? जरा ने राजा को अपना परिचय दिया और सारी कहानी सुनाई। राजा ने उसे धन्यवाद दिया। तब राजा ने कहा इसे जरासंध ने संधित किया है। इसलिए इसका नाम जरासंध होगा।
(www.bhaskar.com)

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