मंगलवार, 29 मार्च 2011

इसीलिए कहते हैं लालच बुरी बला है

वे धृतराष्ट्र से कहते हैं ये पापी दुर्योधन जब अपनी माता के गर्भ से बाहर आया था। तब यह गीदड़ के समान चिल्लाने लगा था। यही कुरुवंश के नाश के कारण बनेगा। यह आपके घर में ही रहता है। आप अपने मोह के कारण उसकी गलतियों को देख नहीं पा रहे हैं। मैं आपको नीति की बात बताता हूं। जब शराबी शराब के नशे में रहता है तो उसे यह भी नहीं ध्यान रहता है कि वह कितनी पी रहा है।
नशा होने पर वह पानी में डूब मरता है या धरती पर गिर जाता है। वैसे ही दुर्योधन जूए के नशे में द्युत हो रहा है। पाण्डवों के साथ इस तरह छल करने का फल अच्छा नहीं होगा। आप अर्जुन को आज्ञा दें ताकि वह दुर्योधन को दंड दे सके। इसे दंड देने पर कुरूवंशी हजारों सालों तक सुखी रह सकता है। आपको किसी तरह का दुख ना हो उसका यही तरीका है। शास्त्रों में सपष्ट रूप से कहा गया है कि कुल की रक्षा के लिए एक पुरुष को, गांव की रक्षा के लिए कुल को, देश की रक्षा के लिए एक गांव को और आत्मा की रक्षा के लिए देश भी छोड़ दें।
सर्वज्ञ महर्षि शुक्राचार्य ने जम्भ दैत्य के परित्याग के समय असुरों को एक बहुत अच्छी कहानी सुनाई। उसे में आपको सुनाता हूं। एक जंगल में बहुत से पक्षी रहा करते थे। वे सब के सब सोना उगलते थे। उस देश का राजा बहुत लालची और मुर्ख था। उसने लालच के कारण बहुत सा सोना पाने के लिए उन पक्षियों को मरवा डाला, जबकि वे अपने घोसलों में बैठे हुए थे। इस पाप का फल क्या हुआ? यही कि उसे ना तो सोना नहीं मिला, आगे का रास्ता भी बंद हो गया मैं सपष्ट रूप से कह देता हूं कि पांडवों का धन पाने के लालच में आप उनके साथ धोखा ना करें।

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