बुधवार, 23 मार्च 2011

न भागें अपनी जिम्मेदारी से...

अक्सर लोग अपनी जिम्मेदारियों से परेशान होकर उनसे भागने लगते हैं। कभी कभी तो वे किसी दूसरे रास्ते का रुख ही कर लेते हैं। लेकिन अपनी जिम्मेदारियों से भागने वाला कभी खुश नहीं रह पाता है।
एक राजा को शासन करते करते लम्बा समय बीत गया। एक दिन वो एक दिन वो सोचने लगा कि इतने लम्बे राज्यकाल में मैंनें क्या पाया।जनसेवा में ही सारा जीवन बीत गया। यह सोचते-सोचते वह जंगल की ओर निकल लिया। जंगल में सारे पशु पक्षी आंनद से आजाद घूम रहे थे। वहीं दूसरी ओर राजा चिंता में बैठा हुआ था।
वह पशु पक्षियों को देख सोचने लगा ये कितने खुश हैं राजा सोच ही रहा था कि एक तेज हवा का झोंका आया और एक पेड़ भरभरा के गिर गय और सारे पक्षी उड़ गए। राजा बोला इस संसार में सब अपने लाभ के लिए ही साथ देते है। तभी उधर से गुजर रहे एक साधु ने राजा का अकेले उदास बैठे देखा। वह राजा के पास गया और बोला कि तुम इस जंगल में क्या का रहे हो। वह साधु से बोला कि महात्मा जी मेरा मन अब संसार में नहीं लगता मैं अभी थक गया हूं।अब मैं भगवान की भक्ति करना चाहता हूं।
राजा की बात सुनकर साधु हंसने लगा और बोला आप राजा हैं और राजा का काम है राज काज देखना न कि फकीरी करना। अपने कतव्य से मुहं फे र कर आपको शांति नहीं मिलेगी। आप अपनी प्रजा की देखभाल करो अपको सच्चा सुख उसी में मिलेगा। क्यों कि जो अपना कर्तव्य पालन को ही अपना धर्म मानते हैं सच्चा सुख उन्हीं को मिलता है।
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