शनिवार, 26 मार्च 2011

कितने अशुभ हैं मंगल और शनि?

ज्योतिष में शनि और मंगल को क्रूर पाप ग्रह माना जाता है। ये ग्रह अपना अशुभ प्रभाव साथ में मिल कर देते हैं।
शनि और मंगल आपस में एक-दूसरे के शत्रु हैं । मृत्यु का कारक ग्रह शनि को माना गया है और खून के लिए कारक ग्रह मूल रूप से मंगल को माना गया है।
जन्म कुंडली में शनि और मंगल की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। जन्म कुंडली में इन दोनों ग्रहों की युति यानी एक ही भाव में दोनों का साथ बैठना और आपस में एक दूसरे को देखना अशुभ माना गया है। शनि मंगल का दृष्टि संबंध बनना और एक दूसरे से छठी या आठवीं राशि में होकर षडाष्टक योग बनाना दुर्घटनाओं का मूल कारण है।
अगर गोचर कुंडली में भी शनि और मंगल की अशुभ युतियां बनती हैं तो भी इनका अशुभ प्रभाव होगा। यानी इन ग्रहों का अपने शत्रु ग्रह की राशि में एक साथ होना कोई दुघर्टना होने का सूचक होगा। आपस में छठी आंठवी राशि में हो कर षडाष्टक योग बनाना प्राकृतिक आपदा का कारक है।
गोचर में जब ऐसे योग बनते हैं तो उस योग की अवधि में दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है। इस युति काल में दुर्घटनाओं में एक-दो नहीं, बल्कि समूह में मृत्यु होती है। प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। देशों में युद्ध की स्थिति बनती है। आतंकी घटनाओं में भी इस अवधि में जान-माल का ज्यादा नुकसान होता है।
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