रविवार, 10 अप्रैल 2011

क्या किया राजा ने शाप से बचने के लिए?


जब राजा तपस्वी की बात सुनकर भयभीत हो गया। तब उस कपटी तपस्वी ने राजा से कहा तुम्हारे पास शाप से बचने का एक उपाय जरूर है। वह यह की मेरा जाना तो तुम्हारे नगर में हो नहीं सकता। जब से पैदा हुआ हूं, तब से आजतक मैं किसी के घर नहीं गया।
अगर मैं नहीं जाता हूं तो तुम्हारा काम बिगड़ जाएगा। आज मैं बड़ा असमंजस में हूं। तब राजा ने कहा मुनि श्री आप मेरी मदद कीजिए। ऐसा कहकर राजा ने मुनि के चरण पकड़ लिए और कहा कि अब आप मुझ पर कृपा कीजिए क्योंकि आप ही मेरी मदद कर सकते है। तब वह तपस्वी बोला मैं तुम्हारा काम जरूर करूंगा। तुम मन वाणी और शरीर से मेरे भक्त हो लेकिन तुम्हे ये बात गुप्त रखनी होगी। रोज नए एक लाख ब्राह्मणों को कुटुम्ब सहित निमंत्रित करना।
मैं रोज भोजन बना दिया करूंगा। इस तरह थोड़ी सी मेहनत से ही सारे ब्राह्मण तुम्हारे पक्ष में आ जाएंगे। मैं एक और बात बता देता हूं मैं तुम्हारे यहां रूप बदलकर रहूंगा। मैं तुम्हारे पुरोहित का रूप धरकर तुम्हारा काम सिद्ध करूंगा। उसके बाद राजा उस तपस्वी की बात मानकर सो गया। राजा थका हुआ तो था ही उसे नींद आ गई लेकिन वह कपटी कैसे सोता उसे तो बहुत चिंता हो रही थी। उसी समय वहां कालकेतु नाम का राक्षस आया। जिसने सुअर बनकर राजा को भटकाया था। वह राक्षस तपस्वी का मित्र था। इसलिए तपस्वी उसे देखकर खुश हो गया।क्रमश

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