शनिवार, 23 अप्रैल 2011

जर्मन लोककथा

कस्बाई संगीतकार
एक था गधा जिसका नाम था ग्रुफेर्ड। वह बहुत बूढ़ा हो गया था। एक दिन वह थकाहारा और उदास होकर घास पर पड़ा हुआ था। तभी वहाँ एक कुत्ता आया। कुत्ते का नाम था पैकेन। हलो ग्रुफेर्ड, तुम कैसे हो' कुत्ते ने पूछा। बिल्कुल खराब। देख मैं बूढ़ा हो गया हूँ और ज्यादा काम नहीं कर सकता, इसलिए मेरा मालिक मुझसे नाराज रहने लगा है। कल वह मुझे मेरे चमड़े और कुत्तों के भोजन के‍ लिए बेच देगा। अत: मैं हार छोड़कर जा रहा हूँ।
तुम कहाँ जा रहे हो, मेरे दोस्त। कुत्ते ने पूछा। ब्रेमेन। बड़े कस्बे में। वहाँ मेरा भाई रहता है जो कस्बे के एक संगीतकार के यहाँ रहकर तुरही बजाता है। मैं वहाँ जाकर वीणा बजाऊँगा। पर मेरे दोस्त तुम क्यों दुखी हो।' गधे ने कुत्ते से पूछा।
मैं भी बूढ़ा हो गया हूँ। मेरा मालिक ज्यादातर शिकार पर जाता है पर मैं पीछे रह जाता हूँ इसलिए उसने मुझे खाना देना बंद कर दिया है और कल वह मुझे मार डालेगा।' पैकेन ने दुखी स्वर में कहा। 'मार डालेगा तो ऐसा करो कि तुम भी मेरे साथ ब्रेमेन चलो। मैं वीणा बजाऊँगा और तुम तबला।'
बहुत अच्छा। मुझे तबला बजाना भी अच्छी तरह आता है। मैं तुम्हारे साथ ब्रेमेन चलूँगा। खुश होकर पैकेन ने कहा। गधा और कुत्ता चलते-चलते जंगल में सड़क किनारे उन्हें एक बिल्ली मिली जो लगातार दुख से रो रही थी। दोनों ने बिल्ली से पूछा 'क्या बात है बहन, तुम इतनी दुखी क्यों हो?
मैं बूढ़ी हो गई हूँ और मेरे दाँत भी नहीं हैं। अत: मैं चूहे नहीं पकड़ सकती हूँ। मेरी मा‍लकिन ने मुझे खाना देना बंद कर पानी में फेंक दिया। अब मैं बचकर तो आ गई हूँ पर क्या करूँ? कैसे जिऊँ बची जिंदगी? बार्टपुट्‍जर नामक बिल्ला ने दुखी आवाज में कहा।
'क्या तुम गा सकती हो।' गधे ने पूछा।
'क्यों नहीं मैं बहुत ऊँची आवाज में गा सकती हूँ।'
'तो मेरे साथ ब्रेमेन चलो। ग्रुफेर्ड गधे ने कहा।
हाँ, ग्रुफेर्ड वीणा बजाएगा और मैं तबला और तुम गाना।' खुश होकर पैकेन कुत्ते ने कहा।
तीनों इकट्‍ठा होकर चलने लगे। दोपहर में तीनों एक गाँव में पहुँचे जहाँ एक फार्म हाउस की दीवार पर एक मुर्गा कराह रहा था।

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