मंगलवार, 10 मई 2011

भगवान कृष्ण के हाथ में मुरली क्यों?

शास्त्रों के अनुसार जब कृष्ण बाँसुरी बजाते थे तो उसमें अलौकिक आकर्षण होता था। कृष्ण और मुरली एक दूसरे के पर्याय रहे हैं। मुरली के बिना श्री कृष्ण की कल्पना भी नहीं की जा सकती । उनकी मुरली के नाद रूपी ब्रह्म ने सम्पूर्ण सृष्टि को आलोकित और सम्मोहित किया ।

दरअसल कृष्ण की बांसुरी उनके स्वभाव की मधुरता का प्रतीक है। कृष्ण के हाथ में बांसुरी का मतलब जीवन में कै सी भी घड़ी आए हमें घबराना नहीं चाहिए। भीतर से शांति हो तो संगीत जीवन में उतरता है।
ऐसे ही अगर भक्ति पाना है तो अपने भीतर शांति कायम करने का प्रयास करें। साथ ही शास्त्रों के अनुसार कृष्ण के बचपन के अलावा और कहीं उनके बांसुरी वादन का उल्लेख नहीं मिलता है। कृष्ण की बांसुरी प्रेम, कलात्मकता व रचनात्मकता का प्रतीक है। इसलिए कृष्ण का बांसुरी
वादन इस तरफ भी इशारा करता है कि बचपन में बच्चों की कलात्मकता व रचनात्मकता पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे उनके मन में संवेदनाएं उत्पन्न होती है और उनका सर्वांगिण विकास होता है।
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