आज पूरी दुनिया में योग की धूम मची हुई है। वह समय चला गया जब योग को हिन्दू धर्म की उपासना पद्धति मानकर अन्य धर्मों के लोग इससे मुंह फेर लेते थे। लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। विज्ञान ने भी अब योग को एकर वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति मानकर इसकी प्रामाणिकता पर मुहर लगा दी है।
गर्मियों की लगभग शुरुआत हो चुकी है। बारिश और ठंड की बजाय गर्मियों का सीजन सभी के लिये ज्यादा कठिन और पीड़ादायक होता है। योग में एक ऐसी क्रिया है, जिसे करने मात्र 5 से 7 मिनिट लगते हैं तथा इसके करने से गर्मी में भारी राहत मिलती है। यह क्रिया है-शीतली प्राणायाम। आइये देखें इस योगिक क्रिया को कैसे किया जाता है-
शीतली प्राणायाम: पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों से ज्ञान मुद्रा लगाएं। होठों को गोलाकार करते हुए जीभ को पाइप की आकृति में गोल बनाएं।
अब धीरे-धीरे गहरा लंबा सांस जीभ से खींचें। इसके बाद जीभ अंदर करके मुंह बंद करें और सांस को कुछ देर यथाशक्ति रोकें। फिर दोनों नासिकाओं से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस क्रिया को 20 से 25 बार करें।
प्रतिदिन शीतली प्राणायाम करने से अधिक गर्मीं के कारण पैदा होने वाली बीमारियां और समस्याएं नहीं होती। लू लगना, एसिडिटी, आंखों और त्वचा के रोगों में तत्काल आराम मिलता है।
गर्मियों की लगभग शुरुआत हो चुकी है। बारिश और ठंड की बजाय गर्मियों का सीजन सभी के लिये ज्यादा कठिन और पीड़ादायक होता है। योग में एक ऐसी क्रिया है, जिसे करने मात्र 5 से 7 मिनिट लगते हैं तथा इसके करने से गर्मी में भारी राहत मिलती है। यह क्रिया है-शीतली प्राणायाम। आइये देखें इस योगिक क्रिया को कैसे किया जाता है-
शीतली प्राणायाम: पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों से ज्ञान मुद्रा लगाएं। होठों को गोलाकार करते हुए जीभ को पाइप की आकृति में गोल बनाएं।
अब धीरे-धीरे गहरा लंबा सांस जीभ से खींचें। इसके बाद जीभ अंदर करके मुंह बंद करें और सांस को कुछ देर यथाशक्ति रोकें। फिर दोनों नासिकाओं से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस क्रिया को 20 से 25 बार करें।
प्रतिदिन शीतली प्राणायाम करने से अधिक गर्मीं के कारण पैदा होने वाली बीमारियां और समस्याएं नहीं होती। लू लगना, एसिडिटी, आंखों और त्वचा के रोगों में तत्काल आराम मिलता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें