सोमवार, 18 जुलाई 2011

भागवत 315

रिश्ता बनाएं तो क्या ध्यान रखें?
शारीरिक बल या आर्थिक स्थिति रिश्तों को कायम करते समय देखा जाना चाहिए लेकिन केवल हम दो पात्रताओं को ध्यान में रखकर ही कोई रिश्ता न बनाएं। शारीरिक बल या सुंदरता और आर्थिक स्थिति भक्ति के चारित्रिक प्रमाण पत्र नहीं होते हैं। कई लोग आज भी लड़कियों का रिश्ता तय करते समय बस इन्हीं दो बातों को ध्यान रखते हैं। एक वह शारीरिक रूप से सक्षम हो और दूसरा आर्थिक रूप से। इसके अलावा सारी बातें गौण हो जाती हैं। श्रीकृष्ण कहते हैं -हमें चरित्र देखना चाहिए, व्यवहार देखना चाहिए, अपने कुटुम्ब और मित्रों में उसके रिश्ते कैसे हैं यह देखना चाहिए। इसी से उसकी योग्यताओं का अनुमान लगाया जा सकता है। अगर इन मापदण्डों पर वह खरा उतरे तो फिर रिश्ते के लिए आगे सोचना चाहिए। हम यह देखें कि उसकी महत्वाकांक्षाएं क्या हैं, उसके भीतर धर्म कितना गहरा उतरा हुआ है। धर्म के लिए उसका नजरिया कैसा है। फिर रिष्श्ता तय करें। अगर वह इन परिमाणों पर खरा है तो फिर बात आगे बढ़ाई जाए।
तीसरी बात जो कृष्ण ने कही है वह भी बहुत गौर करने वाली है। कृष्ण कहते हैं हम जब रिश्ते तय करते हैं तो यह देखें कि उस युवक का भविष्य क्या है। कृष्ण दुर्योधन का भविष्य जानते थे सो दुर्योधन के खिलाफ थे। उन्हें अर्जुन के भविष्य को लेकर निश्चिंतता थी, सो वे अर्जुन के पक्ष में थे। हम इन बातों पर विचार कर अगर बेटियों के रिश्ते तय करेंगे तो हमें कभी भी अपने निर्णयों पर लज्जित या दुखी नहीं होना पड़ेगा। कृष्ण से सीखें रिश्ते कैसे जोड़े जाते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें