शनिवार, 9 जुलाई 2011

जीवन रहते जरूर कर लें ये 8 काम

शास्त्रों के मुताबिक पाप इंसान के दु:ख और पतन का कारण तो पुण्य सुख और तरक्की का कारण होते हैं। किंतु व्यावहारिक रूप से अक्सर यह भी देखने में आता है कि इंसान स्वार्थ, हित पूर्ति और जरूरतों या लाभ के कारण पाप और पुण्य को भी अपने मुताबिक परिभाषित करता है। जीवन की भागदौड़ भी पाप या पुण्य कर्मों पर गहराई से विचार का वक्त नहीं देती। यही कारण है सुख या दु:ख और होनी-अनहोनी का सामना इंसान को करना ही पड़ता है।

इनके बावजूद हर इंसान के अंदर अच्छाई से जुडऩे का भाव कहीं न कहीं मौजूद रहता है। शास्त्रों में मन, वचन और कर्म से जुड़े अनेक पाप-पुण्य बताए गए हैं। जिनकी गहरी जानकारी हर इंसान को नहीं होती। इसलिए यहां बताई जा रही है शास्त्रों में बताई कुछ ऐसी बातें जिनको पुण्य कर्म माना जाकर सुखी और सफल जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है। यह बातें हर काल, स्थान और व्यक्ति के लिए श्रेष्ठ मानी गई है -

लिखा गया है कि -

प्राणाघातान्निवृति: परधनहणे संयम: सत्यवाक्यं
काले शक्तया प्रदानं युवतिजनकथामूकभाव: परेषाम्।
तृष्णास्त्रोतोविभंगो गुरुषु च विनय: सर्वभूतानुकम्पा
सामान्य: सर्वशास्त्रेष्वनुपहतविधि: श्रेयसामेष पन्था:।।


इस श्लोक का सरल शब्दों में अर्थ है कि मानव के लिये 8 बातों को मन, वचन, व्यवहार में अपनाना चाहिए। ये बाते हैं -
- सच बोलना
- शक्ति और समय के मुताबिक दान करना
- गुरु के प्रति सम्मान और नम्रता का भाव। चाहे वह गुण, उम्र या किसी भी रूप में बड़ा हो।
- सबके प्रति दया भाव रखना।
- मन में पैदा होने वाली इच्छाओं पर काबू रखना।
- परायी स्त्री के बारे में बोलने या सुनने से बचना।
- दूसरों का धन पाने या हड़पने की भावना से दूर रहना।
- प्रणियों के प्रति अहिंसा का भाव अपनाना।
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