मंगलवार, 5 जुलाई 2011

छोटे बच्चों को सूर्य के दर्शन जरूर करवाना चाहिए क्योंकि...

जन्म के बाद वैदिक संस्कार के अनुसार बालक को निष्क्रमण संस्कार के समय सूर्य व चंद्र दोनों के दर्शन करने का भी रिवाज है। निष्क्रमण का अर्थ है बाहर निकालना। अब तक बच्चा घर की चार दीवारी में बंद था, लेकिन अब उसे घर के वातावरण में ही नहीं रहना। शरीर व मन के विकास के लिए शिशु को सूर्य की रोशनी व ठंडी हवा की जितनी आवश्यकता है। उतना किसी और वस्तु की नहीं। इसीलिए निष्क्रमण संस्कार किया जाता है।
सामान्य भाषा में इसे सूर्य पूजन ही कहा जाता है। हमारे देश के लगभग सभी क्षेत्रों में बच्चों के निष्क्रमण संसार के समय सूर्य व चंद्रमा की पूजा जरूर की जाती है लेकिन इसके पीछे कारण क्या है? यह बात बहुत कम लोग जानते है। दरअसल वैदिक मान्यता है कि संपूर्ण विश्व का नियंत्रण दो ही तत्व उष्णता और शीतलता करते हैं।
शरीर में गर्मी जीवन का चिन्ह है, शरीर का ठंडा पड़ जाना मतलब जीवन शक्ति में कमी आ जाना। संसार की गति व प्रगति सूर्य की ही देन है। इसीलिए नवजात शिशु को सूर्य के दर्शन करवाते हैं जिससे बच्चा सूर्य जैसा गतिशील रहे। चंद्र का काम शीतलता है। चंद्र को मन का स्वामी माना जाता है। इसलिए चंद्र के दर्शन करवाकर मंत्र बोलकर जल को नीचे की तरफ फेंका जाता है। उसे नीचे की तरफ फेंकने का अर्थ है चंद्र जनित मनोविकारों को नीचे धकेल देना।

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