मंगलवार, 5 जुलाई 2011

पूजा में दही का उपयोग करना शुभ क्यों माना जाता है?

पंचामृत का पहला भाग दूध होता है जो हमें गाय से मिलता है गाय में देवी देवताओं का वास होने से दूध को अमृत माना गया है। इसीलिए कहा जाता है कि दूध व दही से सेवा करने से देवता भी प्रसन्न हो जाते हैं।
स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो प्रसाद के रूप में पंचामृत में दही खाने से सभी प्रकार के रोगों का नाश भी होता है। इसीलिए भगवान के श्रीकृष्ण अवतार में उन्होंने विशेष रूप से दही व मक्खन का सेवन खुद भी किया व अपने मित्रों को भी करवाया क्योंकि इससे शरीर को अनेक तरह के लाभ होते हैं।
ज्योतिष के अनुसार सफेद रंग को चंद्र का कारक माना जाता है और चन्द्र को मन का कारक माना जाता है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार कोई भी सफेद चीज खाने से मन एकाग्रता से उस कार्य में लगता है। पूजा के समय मंत्रोच्चार किया जाता है। दही भी भगवान को अर्पित किया जाता है। इस तरह दही अर्पित करने के बाद मंत्रोच्चार के साथ उसे भगवान के चरणामृत रूप में ग्रहण करने से विचारों में सकारात्मकता बढऩे लगती है। इसीलिए पूजा में दही अर्पित कर सभी को प्रसाद के रूप में बांटना शुभ माना जाता है।

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