सोमवार, 11 अगस्त 2014

जीवन में जरूरी है यह जानना

दिन और तिथि से जानें कब क्या न खाएं शास्त्रों में खाद्य पदार्थों के सेवन संबंधी कुछ नियम दिए गए हैं। आइए जानें कि दिन और तिथि के अनुसार क्या खाना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है- सूर्यास्त के बाद तिल की कोई भी वस्तु का प्रयोग नहीं करनी चाहिए। अमावस्या, रविवार और पूनम को तिल का तेल हानिकारक होता है। रविवार को तुलसी, अदरक, लाल मिर्च और लाल सब्जी नहीं खाना चाहिए। रविवार, शुक्रवार और षष्ठी को आंवला नहीं खाना चाहिए। तृतीया तिथि को परवल नहीं खाना चाहिए (तृतीया को परवल खाने से शत्रुओं की वृद्धि होती है)। चतुर्थी को मूली नहीं खाना चाहिए (चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है)। अष्टमी को नारियल नहीं खाना चाहिए (अष्टमी नारियल खाने से बुद्धि कमजोर होगी, रात को नारियल नहीं खाना चाहिए) त्रयोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए (त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र नाश या पुत्र से दुख मिलता है) ०००००००००००००००००००००० कालसर्प दोष को दूर करने के अचूक उपाय 12 प्रकार के होते हैं कालसर्प दोष कालसर्प दोष को लेकर लोगों में काफी भय और आशंका-कुशंकाएं रहती हैं, लेकिन कुछ आसान और अचूक उपायों से इसके असर को कम किया जा सकता है। शोध से पता चलता है कि जिनकी भी कुंडली में यह दोष पाया गया है, उसका जीवन या तो रंक जैसे गुजरता है या फिर राजा जैसे। राहु का अधिदेवता काल है तथा केतु का अधिदेवता सर्प है। इन दोनों ग्रहों के बीच कुंडली में एक तरफ सभी ग्रह हों तो कालसर्प दोष कहते हैं। राहु-केतु हमेशा वक्री चलते हैं तथा सूर्य चंद्रमार्गी। ज्योतिषी शास्त्रों के अनुसार कालसर्प दोष 12 प्रकार के बताए गए हैं।
1. अनंत, 2. कुलिक, 3. वासुकि, 4. शंखपाल, 5. पद्म, 6. महापद्म, 7. तक्षक, 8. कर्कोटक, 9. शंखनाद, 10. घातक, 11. विषाक्त, 12. शेषनाग। कुंडली में 12 तरह के कालसर्प दोष होने के साथ ही राहु की दशा, अंतरदशा में अस्त-नीच या शत्रु राशि में बैठे ग्रह मारकेश या वे ग्रह जो वक्री हों, उनके चलते जातक को कष्टों का सामना करना पड़ता है। इस योग के चलते जातक असाधारण तरक्की भी करता है, लेकिन उसका पतन भी एकाएक ही होता है। किसी कुंडली के जानकार व्यक्ति से ही कालसर्प दोष का निवारण कराया जाना चाहिए। कुछ सरल उपायों से भी व्यक्ति अपने दुख तथा समस्याओं में कमी कर सकता है। 1. राहु तथा केतु के मंत्रों का जाप करें या करवाएं- राहु मंत्र : ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: केतु मंत्र : ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:। 2. सर्प मंत्र या नाग गायत्री के जाप करें या करवाएं। सर्प मंत्र- ॐ नागदेवताय नम: नाग गायत्री मंत्र- ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात् 3. ऐसे शिवलिंग (शिव मंदिर में) जहां ॐ शिवजी पर नाग न हो, प्रतिष्ठा करवाकर नाग चढ़ाएं। 4. श्रीमद् भागवत और श्री हरिवंश पुराण का पाठ करवाते रहें। 5. दुर्गा पाठ करें या करवाएं। 6. भैरव उपासना करें। 7. श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से राहु-केतु का असर खत्म होगा। 8. राहु-केतु के असर को खत्म करने के लिए रामबाण है- पाशुपतास्त्र का प्रयोग। 9. पितृ शांति का उपाय करें। 10. घर में फिटकरी, समुद्री नमक तथा देशी गाय का गौमूत्र मिलाकर रोज पोंछा लगाएं तथा गुग्गल की धूप दें। 11. नागपंचमी को सपेरे से नाग लेकर जंगल में छुड़वाएं। 12. घर में बड़ों का आशीर्वाद लें तथा किसी का दिल न दुखाएं और न अपमान करें।

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