बुधवार, 5 मई 2010

हाँ, तुम बिल्कुल वैसी हो...!




आप जानती हैं- पुरुष जब प्रेम करते हैं तो वे स्त्री से क्या चाहते हैं? बहुत सारे लोग शायद उसकी चाहत का अर्थ शारीरिक संबंधों से आगे न लगा पाएँ। यह सही है कि बहुत से पुरुष संबंधों के मामले में संकोची होते हैं और वे चाहते हैं कि जो कुछ हो वह स्त्री की तरफ से ही किया जाए। यह सिर्फ इसलिए होता है कि इससे पुरुष को स्त्री के साथ अपने संबंध मजबूत और ईमानदार बनाने में मदद मिलती है। जो बातें वह स्त्री से कर सकता है वह किसी और से शायद नहीं कर सकता।

खासतौर से जब पुरुष किसी स्त्री से प्यार करता है या शुरुआत करता है तो वह चाहता है कि स्त्री बिना कुछ कहे ही उसकी इमोशन्स और थॉट्‍स को जान और समझ ले ताकि पुरुष भविष्य में उससे अपने मन की अनकही बातें भी कह सके। आखिर प्रेम में पड़े पुरुष क्या सोचते हैं और वे क्या बन जाते हैं?

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार इसे समझना एक टेढ़ी खीर है पर कोशिश की जाए तो कुछ हद तक प्रेम के प्रति पुरुषों का नजरिया समझा जा सकता है।

वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक गीतिका कपूर कहती हैं- जब कोई व्यक्ति प्रेम में पड़ता है तो संबंधों को लेकर उसमें एक अलग तरह का कॉन्फिडेंस आ जाता है। वह खुद को दूसरों से प्रेम करने वाला और संयमी महसूस करने लगता है। तब दरअसल पुरुष जिस स्त्री से विवाह करता है वह उससे कई मुलाकातों, डेटिंग और दूसरों से सर्वश्रेष्ठ मानने के बाद ही जुड़ता है। इस तरह की फीलिंग्स उसे जीवन के प्रति एटिट्‍यूड को बदलने और विभिन्न आयामों को समझने में भी मददगार साबित होती हैं। इसलिए वह अपने आपको इस तरह तैयार करता है कि दूसरे भी उससे इन्सपायर हों।

छः माह पहले ही लव मैरिज करने वाले विनीत चोपड़ा कहते हैं- यह प्रेम का पॉजीटिव साइड है जो पुरुष दूसरों को बता सकता है। कुछ लोगों के लिए प्रेम जीवन में अहंकार को बढ़ाने वाला भी साबित होता है। वरिष्ठ मनोचिकित्सक संदीप वोरा मानते हैं कि यह रवैया दरअसल पुरुष में स्वयं को बेहतर मानने के कारण पैदा होता है।
बहुत से लोग संबंधों को सिर्फ मौजमस्ती और समय काटने का रास्ता मानते हैं लेकिन कई पुरुष इन्हीं संबंधों के जरिए अपने जीवन में खुशी और उल्लास भी समेट लेते हैं। उनके लिए अपनी पत्नी या महिला मित्र की मुस्कान या आवाज ही उनके लिए सम्मान और पुरस्कार की तरह होती है। एक कंपनी में व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में काम करने वाली शाहना कहती हैं- 'इसलिए मैं हमेशा अपने पुरुष मित्र के साथ मुस्कराकर मिलती हूँ। वे मानती हैं कि इससे जीवन में फ्रेशनेस बनी रहती है। वह रोज खुद में एक नयापन ढूँढता है।'

एक युवा प्रेमी विकास चतुर्वेदी कहते हैं- दुनिया में मेरे लिए 'उसका' स्माइली फेस ही सब कुछ है। मैं जानता हूँ कि वह मुझे बहुत चाहती है इसलिए मैं उसे खुश रखने के लिए कुछ भी कर सकता हूँ। जब वह मुझसे अपनी कोई प्रॉब्लम शेयर करती है तो वह मेरे लिए अद्भुत पल होता है।'

गीतिका कहती हैं- करियर संबंधी मामलों में भी पुरुष चाहते हैं कि कोई योग्य महिला उनकी सहयोगी बने। उनमें अपनी योग्यता को उनसे बाँटने की चाह होती है। ऐसा होने पर पुरुष खुद को लकी फील करते हैं। लेकिन आमतौर पर महिलाएँ इस नजरिए को जानते हुए भी अनजान बनी रहती हैं जिससे पुरुष अक्सर खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं।

खासतौर से यौन संबंधों में भी महिलाएँ अपनी इच्छाओं का खुलासा नहीं करतीं जबकि पुरुष चाहते हैं कि स्त्री उनके साथ भी उसी तरह से रिएक्ट करें। सेक्स, संबंधों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संदीप वोरा कहते हैं- इससे संबंध मजबूत और नए बने रहते हैं, लेकिन कुछ पुरुषों के लिए सिर्फ यही प्रेम का अर्थ होता है। हालाँकि शारीरिक संबंधों के बगैर भी प्रेम का अर्थ अधूरा ही होता है।
गौर से देखा जाए तो पुरुषों में तीव्र इच्छा रहती है कि वे जो कुछ अपने जीवन में या दिनभर में करते हैं उसे उनकी सहयोगी मित्र, गर्लफ्रेंड या पत्नी देखे और सराहे। यही नहीं बल्कि उन्हें सहयोग भी करे।

गीतिका कहती हैं कि इससे पुरुष को करेज मिलता है। वह ढंग से विकसित होता है। यह जीवन को संतुलित और मजबूत बनाता है। लेकिन जहाँ पुरुष अकेले होते हैं वहाँ संबंधों में ही नहीं उनके करियर में भी असंतुलन आ जाता है। इसलिए बहुत से पुरुष कभी-कभी बहुत ही कॉम्पीटिटिव पाए जाते हैं।

संदीप वोरा कहते हैं- इसलिए पुरुष हमेशा किसी ऐसे साथी की तलाश में रहते हैं जो उन्हें मानसिक और संवेदनात्मक सुरक्षा के साथ-साथ भावनात्मक सुरक्षा भी दे सके। समझदार महिलाओं को इसमें पुरुषों की मदद करनी चाहिए।

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