बुधवार, 5 मई 2010

गिनी पिग नहीं है स्त्री


शीर्षक कुछ अजीब लग सकता है आपको, पर यकीन मानिए पूरा लेख पढ़ने पर यह बिलकुल सटीक लगेगा। गिनी-पिग, जैसा कि अधिकांश लोग जानते ही हैं, ये बेचारे वे प्राणी हैं जिनके शरीर पर कई तरह के प्रयोग करने के बाद ही जीव-विज्ञानी उन प्रयोगों को मनुष्यों के ऊपर आजमाते हैं।


चूँकि यह संपूर्ण मानव जाति के कल्याण का विषय है और गिनी-पिग्स धरना और आंदोलन नहीं कर सकते अतः यह प्रयोग यूँ ही चलते रहेंगे। पर चूँकि यह लेख गिनी-पिग्स के बारे में नहीं है और जब हमारे इस सभ्य(?) समाज में तथाकथित सभ्य व सुसंस्कृत लोग जीती जागती और मनुष्यों की श्रेणी में आने वाली(?) स्त्रियों पर बड़ी सरलता और बेशर्मी से प्रयोग करते हैं तो बेचारे गिनी-पिग तो अदने, तुच्छ प्राणी ही हैं।

यह बात जानकर शायद आपको आश्चर्य होगा पर अपने आस-पास आपको ऐसी कई गिनी पिग रूपी लड़कियाँ दिख जाएँगी जिनकी शादी एक प्रयोग की तरह हुई है, और वे न चाहते हुए भी उस प्रयोग का हिस्सा बनी हुई हैं। सबसे बड़े दुख की बात तो यह है कि इसके प्रयोगकर्ता भले ही बड़े ज्ञानवान वैज्ञानिक नहीं हैं पर इनमें से अधिकांश पढ़े-लिखे व समाज में अच्छी हैसियत रखने वाले लोग हैं।

इसका फायदा वे अपने बेरोजगार, चरित्रहीन, नशेड़ी, नपुंसक या किसी भी शारीरिक या मानसिक कमी से ग्रस्त बेटों के विवाह में उठाते हैं। पहले धोखे से अपने सुपुत्र (?) का विवाह करते हैं और फिर जब कुछ समय बाद यह बात लड़की पर खुल जाती है तो उसे समाज की दुहाई देकर या बलपूर्वक चुप करा दिया जाता है। लड़कियाँ भी इसे अपनी नियति मान या माता-पिता की इज्जत(?) बचाने हेतु इस प्रयोग का हिस्सा बन जाती हैं।

लड़के के माता-पिता इसे अपने प्रयोग की पहली सफलता मान खुशी-खुशी इंतजार करते हैं कि अब उनका बेटा सुधर जाएगा और श्रवण कुमार बन कर अपना व उनका जीवन धन्य कर देगा यदि ऐसा नहीं भी हुआ और उनका सुपुत्र उसी राह चलता रहा तो उसकी किस्मत और कम से कम उनके बेटे को अपनी भड़ास और कुण्ठा निकालने के लिए तथा घर के कामों के लिए उनके बुढ़ापे की सेवा के लिए व उन्हें बेटे का गुस्सा उतारने के लिए कोई तो मिला। इस तरह प्रयोग के असफल होने की संभावना बहुत कम होती है।

हमारे आस-पास देखने पर कई ऐसी स्त्रियाँ दिखेंगी जिन्होंने अपना पूरा जीवन ऐसे ही किसी प्रयोग का हिस्सा बनकर उसके सफल होने का इंतजार करते-करते रो-धोकर काट दिया। आज परिस्थितियों में कुछ सुधार तो आया है। चूँकि स्त्रियाँ अब काफी हद तक आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं और अपने अधिकार जानती हैं अतः वे इस प्रयोग का हिस्सा बनने के लिए तैयार नहीं हैं लेकिन इस तरह के विवाह अभी भी हो ही रहे हैं।

हाँ, अब इसकी परिणति तलाक या लंबे चलने वाले कोर्ट केस होते हैं। जरूरी है कि अगर आपके बेटे में कुछ कमी है या वो किसी बीमारी या बुरी लत से ग्रस्त है तो सबसे पहले तो आप अपने अच्छे माता-पिता का कर्तव्य निभाते हुए स्नेह के बल पर उसे ठीक करने की कोशिश करें।

यदि फिर भी आपको लगता है कि विवाह इसका एक हल हो सकता है, तो अपने बेटे की किसी भी तरह की कमी को कन्या पक्ष से न छुपाएँ क्योंकि वैसे भी स्त्री का हृदय समुद्र की तरह विशाल माना गया है। हो सकता है कि मदर टेरेसा की तरह अपना जीवन दूसरों को समर्पित करने वाली कोई लड़की द्रवित होकर आपके इस प्रयोग में सहभागी बन जाए। इस अवस्था में आपके प्रयोग की सफलता की संभावनाएँ कई गुना बढ़ जाएगी है ना?

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