रविवार, 23 मई 2010

कार चलेगी आँख के इशारे से


कार चलाना कोई हँसी-ठठ्ठा नहीं है, जल्द ही हो जाएगा। यहाँ तक कि कार को घुमाने-फिराने तक के लिए हाथ नहीं लगाना पड़ेगा। बोलना भी नहीं पड़ेगा। कार चलेगी आँख के इशारे से।

कार चलाना आसान बनाने के लिए इस समय हर जगह होड़ चल रही है। उपग्रह आधारित नेविगेशन प्रणालियों ने सड़कों के नक्शे साथ रखना तो बेकार बना ही दिया है, अब कोशिश है कंप्यूटर नियंत्रित ऐसी ड्राइविंग प्रणालियाँ बनाने की कि कार को घुमाने-फिराने के लिए हाथ की भी जरूरत न पड़े।

जर्मनी में बर्लिन की फ्री यूनिवर्सिटी की एक टीम ने ऐसी ही भावी कार के कंप्यूटर के लिए एक ऐसा सॉफ्टवेर तैयार किया है, जो आँख की पुतलियों को देखते हुए कार को उसी दिशा में मोड़ता-चलाता है, जहाँ आप देख रहे होते हैं।

गत 23 अप्रैल को बर्लिन के एक पुराने हवाई अड्डे पर पत्रकारों के सामने आइड्राइविंग (EyeDriving) नाम की इस प्रणाली का प्रदर्शन किया गया। परियोजना प्रमुख प्रोफेसर राउल रोखासः 'कार में एक वीडियो कैमरा है जो कार चालक की आँखों को देख रहा होता है। चालक दाहिने देख रहा है या बाएँ, आँख की पुतलियों की हरकतों को पढ़ रहा कंप्यूटर इसे जान जाता है।'

कैमरे और कंप्यूटर चलाएँगे कार :
प्रो. डॉ. रोखास मूल रूप से मेक्सिको के हैं, पर अब बर्लिन की फ्री यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं। वे कहते हैं, 'कंप्यूटर, कार की इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से जुड़ा होता है और उसी के माध्यम से कार की स्टीयरिंग को आँखों की हरकतों के अनुसार नियंत्रित करता है। यदि आप सड़क पर हैं और सीधे सामने की ओर जाना चाहते हैं, तो सीधे सामने की ओर देखिए, कार चल पड़ेगी। यदि आप दाहिने मुड़ना चाहते हैं, तो दहिनी ओर देखें, कार दाहिनी ओर मुड़ जाएगी। तो, इस तरह सड़क पर अपनी नजर की दिशा के द्वारा आप कार को पूरी तरह नियंत्रित कर सकते हैं।'

दो तरीके :
यदि आप को डर है कि आपकी आँखें बहुत चंचल हैं, बहुत चकर-मकर करती हैं, तो कोई बात नहीं, प्रो. कहते हैं, 'चलाने के दो तरीके हैं- एक तरीका तो यह है कि कार पूरी तरह चालक के नियंत्रण में है, यानी वह कार को पूरी तरह अपनी आँख के इशारों से चला रहा है। दूसरा है सेमी-ऑटोमैटिक तरीका। यानी कार में लगे सेंसर और कंप्यूटर जानते हैं कि कार ठीक इस समय कहाँ है। कार में सैटेलाइट वाला जीपएस नेविगेशन सिस्टम है, लेजर स्कैनर हैं और कई दूसरे वीडियो कैमरे भी हैं। उनकी मदद से कार जानती है कि वह कहाँ है, किस जगह है। कार जब सीधी सड़क पर चल रही हो तो आपको कुछ नहीं करना होता। केवल नुक्कड़ या चौराहे पर आप को अपनी आँख से सामने लगे वीडियो कैमरे को इशारा करना होगा कि आप कहाँ जाना चाहते हैं।'

नजर फिसली, तो कोई बात नहीं :
लेकिन, यह भी तो हो सकता है कि किसी बात से आप का ध्यान बँट गया, आप किसी और दिशा में देखने लगें, तब?
प्रो. रोखास कहते हैं, 'कोई दुर्घटना नहीं होगी। कुछ लोगों ने कहा, आपकी नजरें यदि किसी सुंदरी की तरफ फिसल गईं, तब? तब भी नहीं। कार यदि सेमी ऑटोमैटिक दशा में है तो वह यह भी जानती है कि सड़क यातायात के नियम-कानून क्या हैं, सड़क की सीमा कहाँ है। वह आपको सड़क की सीमा पार नहीं करने देगी, नियम भंग नहीं करने देगी, इसलिए कोई दुर्घटना भी नहीं होगी। बर्लिन के प्रदर्शन के समय हमने दिखाया कि यदि कोई आदमी कार के सामने आ जाए, तो उसके सेंसर तुरंत जान जाते हैं कि रास्ते में कोई बाधा आ गई है और वे कार को तुरंत रोक देते हैं।'

चौतरफा नजर :
आँखों के इशारों पर कार चलाने वाला यह सॉफ्टवेयर फिलहाल अधिकतम 50 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति के लिए बना है। जर्मनी के शहरों और बस्तियों में यही गति सीमा है। पर, बाद में उसे एक्सप्रेस हाईवे के लायक भी बनाया जाएगा। सॉफ्टवेयर बनाने का काम 2007 में शुरू हुआ था। उसे कई बार आजमाया जा चुका है।

प्रो. रोखास ने बताया कि अभी तक कोई दुर्घटना नहीं हुई है, 'दुर्घटना रोकने लिए कार में लेजर किरण वाले ऐसे स्कैनर लगे हैं, जो लेजर किरणें छोड़ते रहते हैं। यदि वे किसी चीज से टकराती हैं, तो उनके लौटकर वापस आने में लगे समय के आधार पर हम जान सकते हैं कि वह चीज कार से कितनी दूर है। इस तरह कार चालने के दौरान 70 मीटर के दायरे में हर चीज का पता रहता है, चाहे वह कोई आदमी हो, कोई पेड़ हो या कोई मकान हो। आदमी तो केवल सामने ही देखता है, लेकिन हमारी प्रणाली हर समय 360 डिग्री यानी चारो तरफ देख रही होती है।'

कार के वीडियो कैमरे सड़क पर बने निशानों, लेन दिखाने वाली पट्टियों, आगे-पीछे और बगल में चल रहे वाहनों तथा ट्रैफिक सिग्नल की बत्तियों पर भी सारा समय नजर रखे रहते हैं। चालक यदि थका-माँदा और सुस्त हो, दुर्घटना का डर हो, तो जरूरत पड़ने पर वे कार रोकने के ब्रेक को भी सक्रिय कर देते हैं।

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