रंग-बिरंगे फूलों की दुनिया समेटे है कौएकेनहोफ
ट्युलिप के फूलों के साथ यूरोप में वसंत का आगमन होता है। फिल्म निर्देशक यश चोपड़ा ने फिल्म सिलसिला में अमिताभ बच्चन और रेखा पर फिल्माए गए गाने के साथ हॉलैंड के ट्युलिप बागों का परिचय कराया था।
हॉलैंड में कौएकेनहोफ का ट्युलिप बाग इस साल के लिए रविवार को दर्शकों के लिए बंद हो गया। एम्स्टर्डम के पास कौएकेनहोफ हॉलैंड की पहचान बन गया है। हर साल 8 लाख से अधिक दर्शक फूलों की मनमोहक वादियों का आनंद लेने जाते हैं। फूलों का बाग पर्यटकों का आकर्षण है तो फूलों की खेती हॉलैंड के लिए कमाई का महत्वपूर्ण जरिया।
कौएकेनहोफ का बाग दुनिया की सबसे बड़ी फूलों की प्रदर्शनी है। अप्रैल से 32 हेक्टएर के क्षेत्र में 40 लाख ट्युलिप के पौधों के अलावा 35 लाख डेफोडिल्स, हायसिंथ और क्रोकुस के पीले नीले रंगीन पौधों को वहाँ देखा जा सकता है।
1949 से कौएकेनहोफ प्याज वाले फूलों के उद्योग का केंद्र बन गया है। एम्स्टर्डम से द हेग के बीच 3500 हेक्टर जमीन पर ग्लासघरों में ट्युलिप उगाए जाते हैं और मौसम कितना भी ठंडा हो, बर्फ गिर रही हो या धुंध हो, सही तापमान वाले हवाई जहाजों से उन्हें पूरी दुनिया में पहुँचाया जाता है, वसंत का अहसास कराने।
ट्युलिप से हॉलैंड का सदियों का नाता है। चार सदी पहले ट्युलिप सट्टेबाजी का लक्ष्य हो गया था। लोग फूलों के निकलने से पहले उसके रंगों पर बाजी लगाने लगे थे। हालत यहाँ तक पहुँची कि 1634 से 1637 के बीच विशेष प्रकार के ट्युलिप बीजों की कीमत एम्स्टर्डम में नहरों पर बने घरों की कीमत के बराबर हो गई थी। शेयर बाजार क्रैश हो गया, लेकिन हॉलैंड उससे उबर गया और ट्युलिप उपजाने में नंबर एक बना रहा।
साल दर साल सर्दियों से पहले ही प्याज जैसे दिखने वाले ट्युलिप के लाखों बीजों को जमीन के अंदर दबा दिया जाता है। मध्य मार्च तक उनके हरे हरे पौधे पूरे इलाके को हरी भरी वादियों में बदल डालते हैं। अप्रैल के शुरू होते होते कलियाँ फूटने लगती हैं और फिर रंग-बिरंगे पौधे का समुद्र दिखने लगता है। सरसों के खेतों की तरह ट्युलिप की चादर बिछी दिखती हैं। 30 किलोमीटर के इलाके में 5500 अलग-अलग प्रकार और रंगों के ट्युलिप बिछे नजर आते हैं।
बहार के इस सीजन की पराकाष्ठा होती है अप्रैल के अंत में आयोजित होने वाली फूलों की झाँकी। ट्रकों पर फूलों से बनाई गई इस झाँकी को देखने दसियों हजार लोग हर साल उमर पड़ते हैं कौएकेनहोफ की ओर। फूलों से गढ़ी आकृतियाँ बनाने में तीन-तीन दिन लगते हैं। ट्रक का खर्च किसान उठाते हैं, वही फूल देते हैं। आयोजन कमिटी की विल्मा फान फेल्त्सेन बताती हैं, 'हर ट्रक को सजाने में 20 हजार यूरो खर्च होते हैं।'
हर साल कौएकेनहोफ ट्युलिप बाग़ का एक साथी देश होता है। 2010 में यह सम्मान रूस को मिला। 2011 में साथी देश जर्मनी होगा। फूलों की प्रदर्शनी 24 मार्च से 20 मई तक चलेगी। जर्मनी न सिर्फ हॉलैंड का पड़ोसी है, वहाँ हर साल जाने वाले 8 लाख पर्यटकों में सबसे बड़ी संख्या जर्मन पर्यटकों की होती है। हॉलैंड के लोगों को जर्मनी के पहाड़ अच्छे लगते हैं तो जर्मनों को हॉलैंड के समुद्र और वहाँ की रंग-बिरंगी फूलों भरी वादियाँ।
ट्युलिप के फूलों के साथ यूरोप में वसंत का आगमन होता है। फिल्म निर्देशक यश चोपड़ा ने फिल्म सिलसिला में अमिताभ बच्चन और रेखा पर फिल्माए गए गाने के साथ हॉलैंड के ट्युलिप बागों का परिचय कराया था।
हॉलैंड में कौएकेनहोफ का ट्युलिप बाग इस साल के लिए रविवार को दर्शकों के लिए बंद हो गया। एम्स्टर्डम के पास कौएकेनहोफ हॉलैंड की पहचान बन गया है। हर साल 8 लाख से अधिक दर्शक फूलों की मनमोहक वादियों का आनंद लेने जाते हैं। फूलों का बाग पर्यटकों का आकर्षण है तो फूलों की खेती हॉलैंड के लिए कमाई का महत्वपूर्ण जरिया।
कौएकेनहोफ का बाग दुनिया की सबसे बड़ी फूलों की प्रदर्शनी है। अप्रैल से 32 हेक्टएर के क्षेत्र में 40 लाख ट्युलिप के पौधों के अलावा 35 लाख डेफोडिल्स, हायसिंथ और क्रोकुस के पीले नीले रंगीन पौधों को वहाँ देखा जा सकता है।
1949 से कौएकेनहोफ प्याज वाले फूलों के उद्योग का केंद्र बन गया है। एम्स्टर्डम से द हेग के बीच 3500 हेक्टर जमीन पर ग्लासघरों में ट्युलिप उगाए जाते हैं और मौसम कितना भी ठंडा हो, बर्फ गिर रही हो या धुंध हो, सही तापमान वाले हवाई जहाजों से उन्हें पूरी दुनिया में पहुँचाया जाता है, वसंत का अहसास कराने।
ट्युलिप से हॉलैंड का सदियों का नाता है। चार सदी पहले ट्युलिप सट्टेबाजी का लक्ष्य हो गया था। लोग फूलों के निकलने से पहले उसके रंगों पर बाजी लगाने लगे थे। हालत यहाँ तक पहुँची कि 1634 से 1637 के बीच विशेष प्रकार के ट्युलिप बीजों की कीमत एम्स्टर्डम में नहरों पर बने घरों की कीमत के बराबर हो गई थी। शेयर बाजार क्रैश हो गया, लेकिन हॉलैंड उससे उबर गया और ट्युलिप उपजाने में नंबर एक बना रहा।
साल दर साल सर्दियों से पहले ही प्याज जैसे दिखने वाले ट्युलिप के लाखों बीजों को जमीन के अंदर दबा दिया जाता है। मध्य मार्च तक उनके हरे हरे पौधे पूरे इलाके को हरी भरी वादियों में बदल डालते हैं। अप्रैल के शुरू होते होते कलियाँ फूटने लगती हैं और फिर रंग-बिरंगे पौधे का समुद्र दिखने लगता है। सरसों के खेतों की तरह ट्युलिप की चादर बिछी दिखती हैं। 30 किलोमीटर के इलाके में 5500 अलग-अलग प्रकार और रंगों के ट्युलिप बिछे नजर आते हैं।
बहार के इस सीजन की पराकाष्ठा होती है अप्रैल के अंत में आयोजित होने वाली फूलों की झाँकी। ट्रकों पर फूलों से बनाई गई इस झाँकी को देखने दसियों हजार लोग हर साल उमर पड़ते हैं कौएकेनहोफ की ओर। फूलों से गढ़ी आकृतियाँ बनाने में तीन-तीन दिन लगते हैं। ट्रक का खर्च किसान उठाते हैं, वही फूल देते हैं। आयोजन कमिटी की विल्मा फान फेल्त्सेन बताती हैं, 'हर ट्रक को सजाने में 20 हजार यूरो खर्च होते हैं।'
हर साल कौएकेनहोफ ट्युलिप बाग़ का एक साथी देश होता है। 2010 में यह सम्मान रूस को मिला। 2011 में साथी देश जर्मनी होगा। फूलों की प्रदर्शनी 24 मार्च से 20 मई तक चलेगी। जर्मनी न सिर्फ हॉलैंड का पड़ोसी है, वहाँ हर साल जाने वाले 8 लाख पर्यटकों में सबसे बड़ी संख्या जर्मन पर्यटकों की होती है। हॉलैंड के लोगों को जर्मनी के पहाड़ अच्छे लगते हैं तो जर्मनों को हॉलैंड के समुद्र और वहाँ की रंग-बिरंगी फूलों भरी वादियाँ।
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