-अरुण कुमार बंछोर
एक शहर में एक छोटा-सा परिवार रहता था। इस परिवार में एक छोटी चुहिया भी थी। दिन बीतते गए और देखते ही देखते यह छोटी चुहिया सयानी हो गई। इतनी बड़ी कि उसके माता-पिता को उसके ब्याह की चिंता हुई।
चुहिया का कहना था कि वह अनपढ़ नहीं पढ़ी-लिखी है और इसलिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वर से ब्याह रचाएगी। माता-पिता के सिर पर अच्छा वर ढूँढने की जिम्मेदारी आन पड़ी। वे दोनों दिनभर सोचने लगे। सर्वश्रेष्ठ वर की तलाश में अखबारों और कम्प्यूटर पर मेट्रीमोनियल विज्ञापन देखने लगे। उन्होंने अखबार में- रंग गोरा, कद ५ फुट ७ इंच, सॉफ्टवेअर इंजीनियर के सैकड़ों विज्ञापन देखे, पर उन्हें कोई भी जँचा नहीं।
फिर एक दिन उन्हें खयाल आया कि सूरज पूरी दुनिया में रोशनी करता है तो उससे अच्छा वर कहाँ मिलेगा। माँ चुहिया ने पिता चूहे से कहा कि और सूरज तो प्रकाश बाँटते हुए जात-पाँत के चक्कर में भी नहीं पड़ता है इसलिए उससे योग्य वर और कोई हो ही नहीं सकता।
चुहिया के माता-पिता सूरज के पास जा पहुँचे। उन्होंने सूरज से कहा कि हमारी बेटी सयानी हो गई है और हम उसके लिए दुनिया का सबसे योग्य वर आपको ही मानते हैं। सूरज ने कहा- यह आपका बड़प्पन है पर मैं दुनिया का सबसे योग्य वर नहीं हूँ, क्योंकि मुझसे ज्यादा योग्य तो बादल हैं। वैसे भी जब बादल मुझ पर छा जाते हैं तो मैं उजाला तक नहीं कर पाता हूँ। बेहतर होगा आप अपनी बेटी के लिए बादल से बात करें।
चुहिया के माता-पिता यह सुनकर बादल के पास गए। बादल ने उन दोनों का स्वागत किया। चुहिया की माँ बोली- हमने सूरज से सुना है कि आप सर्वयोग्य वर हैं। हम अपनी बेटी के लिए ऐसे ही वर की तलाश कर रहे हैं। कृपा करके हमारी बेटी को अपनी अर्द्धांगिनी बना लीजिए। यह सुनकर बादल बोला - माफ कीजिए पर मुझसे श्रेष्ठ तो पवन है, जो मुझे उड़ाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाता है।
चुहिया के परेशान माता-पिता पवन के पास पहुँचे। पवन - आप मुझे अपनी बेटी के योग्य समझते हैं यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है, पर मुझसे भी श्रेष्ठ कोई है। चुहिया के माता-पिता-कौन? पहाड़। जब मैं एक जगह से दूसरी जगह जाता हूँ तो पहाड़ मुझे रोक लेते हैं। इसलिए सबसे योग्य तो पहाड़ है। आप चाहें पहाड़ से अपनी बेटी का रिश्ता कर सकते हैं।
चुहिया के माता-पिता पहाड़ के पास पहुँचे। उन्होंने पहाड़ से कहा - आप हमारी बिटिया के लिए सबसे योग्य वर हैं। आप हमारी बेटी को अपना जीवनसाथी बना लीजिए। पहाड़ ने बड़े ही धैर्य से जवाब दिया - माननीय आप दोनों के सम्मान का मैं आभारी हूँ, पर मैं सबसे योग्य वर नहीं हूँ। मेरे लंबे-चौड़े शरीर में छोटे-से चूहे छेद कर सकते हैं इसलिए मुझसे योग्य वर तो चूहों में ही आपको मिल सकेगा।
इसके बाद चुहिया के माता-पिता खुश होकर लौट आए। रास्ते में वे एक-दूसरे से बात करते रहे कि हमें पता ही नहीं था कि सबसे योग्य वर इतनी आसानी से अपने आसपास ही मिल जाएगा। कुछ दिनों बाद उन्होंने एक योग्य चूहा तलाश किया और उससे अपनी बेटी का ब्याह कर दिया। ब्याह में पूरे शहर के चूहों को बुलाया गया और सबने खूब छककर भोजन किया। माता-पिता बहुत खुश थे कि उनकी बेटी का विवाह सबसे योग्य वर के साथ हो रहा है।
(यह एक जापानी लोककथा है।)
एक शहर में एक छोटा-सा परिवार रहता था। इस परिवार में एक छोटी चुहिया भी थी। दिन बीतते गए और देखते ही देखते यह छोटी चुहिया सयानी हो गई। इतनी बड़ी कि उसके माता-पिता को उसके ब्याह की चिंता हुई।
चुहिया का कहना था कि वह अनपढ़ नहीं पढ़ी-लिखी है और इसलिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वर से ब्याह रचाएगी। माता-पिता के सिर पर अच्छा वर ढूँढने की जिम्मेदारी आन पड़ी। वे दोनों दिनभर सोचने लगे। सर्वश्रेष्ठ वर की तलाश में अखबारों और कम्प्यूटर पर मेट्रीमोनियल विज्ञापन देखने लगे। उन्होंने अखबार में- रंग गोरा, कद ५ फुट ७ इंच, सॉफ्टवेअर इंजीनियर के सैकड़ों विज्ञापन देखे, पर उन्हें कोई भी जँचा नहीं।
फिर एक दिन उन्हें खयाल आया कि सूरज पूरी दुनिया में रोशनी करता है तो उससे अच्छा वर कहाँ मिलेगा। माँ चुहिया ने पिता चूहे से कहा कि और सूरज तो प्रकाश बाँटते हुए जात-पाँत के चक्कर में भी नहीं पड़ता है इसलिए उससे योग्य वर और कोई हो ही नहीं सकता।
चुहिया के माता-पिता सूरज के पास जा पहुँचे। उन्होंने सूरज से कहा कि हमारी बेटी सयानी हो गई है और हम उसके लिए दुनिया का सबसे योग्य वर आपको ही मानते हैं। सूरज ने कहा- यह आपका बड़प्पन है पर मैं दुनिया का सबसे योग्य वर नहीं हूँ, क्योंकि मुझसे ज्यादा योग्य तो बादल हैं। वैसे भी जब बादल मुझ पर छा जाते हैं तो मैं उजाला तक नहीं कर पाता हूँ। बेहतर होगा आप अपनी बेटी के लिए बादल से बात करें।
चुहिया के माता-पिता यह सुनकर बादल के पास गए। बादल ने उन दोनों का स्वागत किया। चुहिया की माँ बोली- हमने सूरज से सुना है कि आप सर्वयोग्य वर हैं। हम अपनी बेटी के लिए ऐसे ही वर की तलाश कर रहे हैं। कृपा करके हमारी बेटी को अपनी अर्द्धांगिनी बना लीजिए। यह सुनकर बादल बोला - माफ कीजिए पर मुझसे श्रेष्ठ तो पवन है, जो मुझे उड़ाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाता है।
चुहिया के परेशान माता-पिता पवन के पास पहुँचे। पवन - आप मुझे अपनी बेटी के योग्य समझते हैं यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है, पर मुझसे भी श्रेष्ठ कोई है। चुहिया के माता-पिता-कौन? पहाड़। जब मैं एक जगह से दूसरी जगह जाता हूँ तो पहाड़ मुझे रोक लेते हैं। इसलिए सबसे योग्य तो पहाड़ है। आप चाहें पहाड़ से अपनी बेटी का रिश्ता कर सकते हैं।
चुहिया के माता-पिता पहाड़ के पास पहुँचे। उन्होंने पहाड़ से कहा - आप हमारी बिटिया के लिए सबसे योग्य वर हैं। आप हमारी बेटी को अपना जीवनसाथी बना लीजिए। पहाड़ ने बड़े ही धैर्य से जवाब दिया - माननीय आप दोनों के सम्मान का मैं आभारी हूँ, पर मैं सबसे योग्य वर नहीं हूँ। मेरे लंबे-चौड़े शरीर में छोटे-से चूहे छेद कर सकते हैं इसलिए मुझसे योग्य वर तो चूहों में ही आपको मिल सकेगा।
इसके बाद चुहिया के माता-पिता खुश होकर लौट आए। रास्ते में वे एक-दूसरे से बात करते रहे कि हमें पता ही नहीं था कि सबसे योग्य वर इतनी आसानी से अपने आसपास ही मिल जाएगा। कुछ दिनों बाद उन्होंने एक योग्य चूहा तलाश किया और उससे अपनी बेटी का ब्याह कर दिया। ब्याह में पूरे शहर के चूहों को बुलाया गया और सबने खूब छककर भोजन किया। माता-पिता बहुत खुश थे कि उनकी बेटी का विवाह सबसे योग्य वर के साथ हो रहा है।
(यह एक जापानी लोककथा है।)
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