जैसलमेर का नाम लेते ही रेगिस्तान और वहां ऊंटों पर सैलानियों के दृश्य जेहन में आने लगते हैं। पर गर्मी में शायद ही कोई
जैसलमेर का नाम अपनी जुबान पर लाए। अपना हॉलीडे डेस्टिनेशन तय करने से पहले एक बार सम के रेतीले टीलों पर चांदनी रात में राजस्थानी लोकगीतों की कल्पना कीजिए। यह कल्पना ही दिन की झुलसती गर्मी को ठंडा करने के लिए बहुत है। गर्मी के कारण बेशक दिन के समय जैसलमेर की शान-ओ-शौकत देखने के लिए बाहर न निकला जा सके, पर शाम ढलते ही जैसलमेर किला और हवेलियों की तरफ रुख किया जा सकता है। यहां का जैन मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है। गर्मियों में जैसलमेर की एक खासियत यह भी है कि इस समय सैलानियों की संख्या कम रहती है और आप अपनी पसंद के होटल में कम किराये पर रहने का मजा ले सकते हैं।
कैसे पहुंचें
हवाई यात्रा : जैसलमेर में एयरपोर्ट नहीं है। इसके लिए जोधपुर एयरपोर्ट तक पहुंचा जा सकता है, जो जैसलमेर से लगभग 285 किलोमीटर दूर है।
रेल यात्रा : सीधे जैसलमेर पहुंचने के लिए दिल्ली और जोधपुर से रेल द्वारा पहुंचा जा सकता है।
सडक यात्रा : जयपुर, जोधपुर, बीकानेर आदि जगहों से राजस्थान रोडवेज और प्राइवेट बसों से जैसलमेर पहुंचा जा सकता है।
ऋषिकेश
एडवेंचर पसंद करने वालों के लिए ऋषिकेश पहले से ही फेहरिस्त में अपनी जगह बना चुका है। जहां अक्टूबर-नवंबर में राफ्टिंग के लिए खूब भीड जुडती है, वहीं गर्मी में भीड काफी कम हो जाती है। इसकी एक वजह भी है। गर्मियों में झुलसते टैंट में बहुत कम लोग रुकना पसंद करते हैं। एडवेंचर ट्रिप में गए भी और वहां रफ एंड टफ लाइफ का मजा नहीं लिया तो फिर क्या किया! शिवपुरी में राफ्टिंग के अलावा आप कैंपिंग, ट्रेकिंग और वॉटर सर्फिग का मजा भी ले सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने ट्रैवल पैकेज की बुकिंग करते समय टूर ऑपरेटर से इन सभी चीजों के लिए बात कर लें।
न सिर्फ एडवेंचर, बल्कि ऋषिकेश को आप अपना रिलेक्स पॉइंट भी बना सकते हैं। दरअसल ऋषिकेश में आपको विभिन्न तरह के स्पा और आयुर्वेदिक मसाज लेने का भी ऑप्शन मिलता है। एडवेंचर के बाद अगर आप अपनी थकान को थोडा कम करना चाहें तो ऋषिकेश में योग से लेकर पंचतत्व आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट तक मिल जाएगा।
सेहत और एडवेंचर से अगर मन भर चुका हो और भक्तिभाव में डूबने का आनंद लेना हो तो आप ऋषिकेश से ही हरिद्वार की तरफ भी अपना रुख कर सकते हैं। यहां गंगा नदी में डुबकी के बाद चोटी वाले के स्वादिष्ट खाने का मजा भी लिया जा सकता है।
कैसे पहुंचें
हवाई यात्रा : दिल्ली से देहरादून के लिए जॉली ग्रांट एयरपोर्ट सबसे नजदीक है और उसके बाद 14 किलोमीटर वाया रोड।
रेल यात्रा : दिल्ली से हरिद्वार तक ट्रेन से और उसके बाद हरिद्वार से कैब, बस या ऑटो रिक्शा के जरिये 25 किलोमीटर दूर है ऋषिकेश।
सडक यात्रा : दिल्ली से ऋषिकेश जाने के लिए वाया हरिद्वार होते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग 58 से लगभग 227 किलोमीटर जाना होगा।
ओरछा
मध्य प्रदेश के टीकमगढ जिले में है ओरछा। झांसी से लगभग 18 किलोमीटर दूर बेतवा नदी के किनारे बसा यह कस्बा अपने नाम के मुताबिक वाकई अब भी सैलानियों की पहुंच से कुछ दूर है। दरअसल ओरछा का अर्थ छुपा हुआ स्थान होता है। अपने महलों, मंदिरों और स्मारकों को संजोए हुए ओरछा आज भी एक छोटा कसबा है, पर कभी यह बुंदेलखंड साम्राज्य की राजधानी रहा था। ओरछा अपनी बुंदेला पेंटिंग्स के लिए आज भी प्रसिद्ध है। स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की याद में यहां चंद्रशेखर आजाद मेमोरियल भी है। जहांगीर महल और राम राजा मंदिर ओरछा में घूमने की बेहतरीन जगहों में शामिल है। अगर आप दो-तीन दिन से अधिक घूमने का प्लान बना रहे हैं तो ओरछा के आसपास झांसी व खजुराहो भी घूमने जा सकते हैं।
कैसे पहुंचें
हवाई यात्रा : ओरछा पहुंचने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट खजुराहो है। यह एयरपोर्ट कई बडे शहरों जैसे दिल्ली, वाराणसी से जुडता है।
रेल यात्रा : नजदीकी रेलवे स्टेशन झांसी है।
सडक यात्रा : ओरछा सडक के रास्ते झांसी (19 किमी) और खजुराहो (178 किमी) से दूर है। मध्य प्रदेश का एक और अहम डेस्टिनेशन ग्वालियर सडक के रास्ते ओरछा से 120 किलोमीटर दूर है।
कोणार्क
उडीसा के दो महत्वपूर्ण शहरों भुवनेश्वर से लगभग 65 किलोमीटर और पुरी से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर है कोणार्क। यूनेस्को की ओर से घोषित विश्व धरोहर सूर्य मंदिर कोणार्क में सैलानियों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। सूर्य मंदिर या सन टैंपल नाम से विश्व प्रसिद्ध यह ढांचा चौबीस पहियों वाले एक रथ की तरह है, जिसमें आगे सात घोडे हैं।
मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर है कोणार्क बीच। इसकी खासियत यहां का सूर्योदय का दृश्य है। वैसे तो कोणार्क घूमने का सबसे बढिया समय अक्टूबर से मार्च होता है, लेकिन गर्मी में भी कोणार्क की खूबसूरती लाजवाब होती है।
कोणार्क में सूर्य मंदिर और कोणार्क बीच के अलावा घूमने के लिहाज से मायादेवी मंदिर और पुरातत्व संग्रहालय भी है। मायादेवी मंदिर सूर्य मंदिर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है, जबकि पुरातत्व संग्रहालय सूर्य मंदिर परिसर के बाहर ही है, जहां मूल मंदिर के अलावा सूर्य मंदिर के पत्थरों और दूसरे अवशेषों को रखा गया है।
कैसे पहुंचें
हवाई यात्रा : कोणार्क के सबसे नजदीक भुवनेश्वर एयरपोर्ट है, जहां देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचा जा सकता है।
रेल यात्रा : इसके नजदीक दो प्रमुख रेलवे स्टेशन भुवनेश्वर और पुरी हैं, जहां से देश के लगभग सभी प्रमुख शहर रेल मार्ग से जुडे हुए हैं।
सडक यात्रा : भुवनेश्वर और पुरी से टैक्सी और टूरिस्ट बसों से भी कोणार्क पहुंचा जा सकता है।
तवांग
हिमालय की गोद में बसे हुए अरुणाचल प्रदेश के एक खूबसूरत हिल स्टेशन तवांग की हर बात निराली है। नवंबर से मार्च में सर्दियों का मौसम हो या अप्रैल से जून गर्मियों का। प्राकृतिक खूबसूरती से सराबोर तवांग बौद्ध धर्म के लिहाज से भी महत्वपूर्ण स्थान है। यहां चार सौ साल पुरानी मॉनेस्ट्री भी मौजूद है। तवांग समुद्र तल से लगभग 10,000 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है।
अपने हैंडीक्राफ्ट के लिए यूं तो सभी पूर्वोत्तर राज्य बहुत प्रसिद्ध हैं, लेकिन तवांग की ब्लॉक पेंटिंग्स, थंका की बात ही अलग है। तवांग में देखने योग्य जगह तो मॉनेस्ट्री ही है, पर यहां तक पहुंचते समय रास्ते में जो अद्भुत नजारे देखने को मिलेंगे, वे आपकी रास्ते की पूरी थकान को दूर करने के लिए पर्याप्त हैं। आसमान छूते पहाड और झीलें देखने के लिए आपको कहीं स्पेशल जाने की जरूरत नहीं है। ये नजारे तो पूरे रास्ते में आपका स्वागत करेंगे। इसके अलावा यहां युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के लिए एक मेमोरियल भी बनाया गया है।
नोट : अरुणाचल प्रदेश के तवांग घूमने के लिए परमिट लेना पडता है, जिसके लिए अपने टूर ऑपरेटर से पहले ही बात कर लें।
कैसे पहुंचें
हवाई यात्रा : दिल्ली, कोलकाता और मुंबई से तेजपुर (असम) पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा आप गुवाहाटी एयरपोर्ट से ही तवांग के लिए हेलीकॉप्टर की बुकिंग करा सकते हैं।
रेल यात्रा : तवांग जाने के लिए असम का रंगपारा सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है और फिर वहां से सडक यात्रा करते हुए पहुंचा जा सकता है।
सडक यात्रा : तवांग का सबसे पास बस स्टैंड बॉम्डिला है। यहां से शेयरिंग जीप या टैक्सी में तवांग तक की बाकी यात्रा की जा सकती है।
मैसूर
दक्षिण भारत के कर्नाटक में टूरिज्म की नजर से जाना-माना नाम है मैसूर। राजसी शान-ओ-शौकत से सराबोर यह शहर दशहरा हो या फिर घुडदौड, अपने विभिन्न रंगों में सैलानियों को आकर्षित करता रहता है। मैसूर के खूबसूरत वृंदावन गार्डन की बात हो या राजसी ठाठ-बाट लिए सिटी पैलेस की। मैसूर कहीं भी टूरिस्ट्स को नाराज होने का मौका नहीं देता।
मैसूर के रंग में रंगने के लिए सैलानी सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक 10 रुपये प्रति व्यक्ति का टिकट ले कर सिटी पैलेस घूम सकते हैं। राजाओं-महाराजाओं के इस शहर में महलों की बात की जाए तो सिटी पैलेस के अलावा यहां लगभग आधा दर्जन महल होंगे। इनमें जगमोहन पैलेस, ललिता पैलेस, जयलक्ष्मी विलाज पैलेस, वसंत महल और राजेंद्र विलाज पैलेस भी घूमने के लिहाज से बढिया जगहें हैं।
महलों के अलावा मैसूर में चामुंडी हिल्स नाम से भी एक जगह है, जिसकी चोटी पर चामुंडेश्वरी मंदिर भी है। अपनी लोकेशन की वजह से भी चामुंडी हिल्स सैलानियों में काफी लोकप्रिय है। मंदिर के साथ ही मैसूर का सेंट फिलोमेनिया चर्च भी आकर्षण का केंद्र है। अगर मैसूर से थोडा आगे निलकना चाहते हैं तो इसके आसपास बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान (80 किलोमीटर दूर) और टीपू सुल्तान की पुरानी राजधानी श्रीरंगपत्तन (15 किलोमीटर दूर) भी है।
वाइल्ड लाइफ को एंजॉय करना चाहते हैं तो बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान घूमने जा सकते हैं। जबकि ऐतिहासिक दृष्टि से श्रीरंगपत्तन काफी महत्वपूर्ण जगह है। इसी जगह टीपू सुल्तान के किले में उनके ही एक विश्वासपात्र ने उनकी हत्या की थी। श्रीरंगपत्तन एक द्वीप जैसा दिखाई देता है, क्योंकि तीन तरफ से कावेरी नदी इसे घेरे हुए है।
कैसे पहुंचें
हवाई यात्रा : सबसे नजदीक एयरपोर्ट बेंगलूर है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई से यहां के लिए रोजाना उडान है।
रेल यात्रा : मैसूर का खुद अपना रेलवे स्टेशन है, जो बेंगलूर के अलावा दक्षिण भारत के कई बडे शहरों से जुडा हुआ है।
सडक यात्रा : लगभग 139 किलोमीटर दूर बेंगलूर मैसूर से राज्य मार्ग द्वारा जुडा हुआ है।
क्विक टिप्स
1. झुलसती गर्मी में थका देने वाली एक्टिविटीज से बचें और ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी पिएं।
2. इन जगहों पर आप जो पानी पिएं, वह सुरक्षित होना चाहिए। बोतलबंद पानी या फिर उबला हुआ पानी बेहतर विकल्प है।
3. अपनी फर्स्ट एड किट में इलेक्ट्रॉल या ओआरएस के पैकेट साथ रखें।
4. अपनी स्किन को ध्यान में रखते हुए सन प्रोटेक्टिव लोशंस और क्रीम्स व मॉस्किटो रेपेलेंट क्रीम्स जरूर साथ रखें।
5. चुभती गर्मी में बाहर न निकलें। सुबह-सुबह और शाम के वक्त भी अपनी बॉडी को ढक कर रखें और सन ग्लासेज व हैट का इस्तेमाल करें।
6. कैमरा, मोबाइल फोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स को ट्रैवल के दौरान सनलाइट से दूर रखें।
7. गर्मी में वहां कम सैलानी होंगे, यह मत सोचें और वहां जाने से पहले ही अपनी बुकिंग्स करा लें।
8. दूसरे राज्यों में घूमने जा रहे हैं तो अपने बुकिंग संबंधी कागजों की फोटोकॉपी और ऑरिजनल्स संभाल कर रखें। साथ ही अपने पहचान पत्र (मतदाता पहचान पत्र, ऑफिस का पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस) की फोटोकॉपी भी अपने साथ रखें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें