जरा संभल के..
रिसर्च की मानें तो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की संभावना तब सबसे ज्यादा होती है, जब औरत प्रेग्नेंट होती है। इसकी बडी वजह है प्रेग्नेंसी के नौ महीनों के दौरान सेक्सुअल दूरी आना। आमतौर पर लोगों में यह धारणा होती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स बच्चे के लिए घातक होता है, जो कि गलत है। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स अगर सावधानी से किया जाए तो इस दौर में रिश्ते पर आंच नहीं आती।
प्रेग्नेंसी में सेक्स वर्जित नहीं
डॉक्टरों की मानें तो नॉर्मल प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स में कोई बुराई नहीं है। बस इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि औरत पर ज्यादा प्रेशर न पडे। यहां नॉर्मल प्रेग्नेंसी से आशय है ऐसी प्रेग्नेंसी जिसमें मिस-कैरेज या प्री-टर्म लेबर का रिस्क कम हो। अशोक क्लीनिक के सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. अशोक कहते हैं, अकसर इस मुद्दे को लोग डिस्कस करने से हिचकते हैं जिसके कारण कई भ्रांतियां पैदा हो जाती हैं और रिश्ते में दूरी का कारण बनती हैं। ऐसे संवेदनशील मुद्दों को अपने डॉक्टर के साथ विस्तार से डिस्कस करें। अपने डॉक्टर से पूछें कि प्रेग्नेंसी में कितना और किस किस्म का रिस्क है।
इमोशनल बदलाव का रखें ध्यान
प्रेग्नेंसी के दौरान औरत के हार्मोस में बदलाव होते हैं। जिनके कारण उसमें बडे इमोशनल बदलाव भी होते हैं। कई बार स्त्री ज्यादा सेंसिटिव और इमोशनल हो जाती है, जिससे पारिवारिक जीवन पर असर पड सकता है। डॉ. अशोक कहते हैं, एक्सपेक्टिंग मदर्स की मानसिक जरूरतों का किस तरह ध्यान रखा जाता है, इससे उनकी मानसिक स्थिति और बच्चे के विकास पर गहरा असर पडता है। प्रेग्नेंसी के दौर में स्त्रियों में भी सेक्स डिजायर होती है, लेकिन कई बार वे अपने शारीरिक बदलाव को लेकर कांशियस भी हो जाती हैं जिसका नकारात्मक असर सेक्सुअल रिश्ते पर पडता है। इस दौर में पार्टनर्स के बीच उनकी जरूरतों को लेकर बातचीत बेहद जरूरी है। आपस में डिस्कस करें कि किस तरह से वे एक आरामदायक और सुखद अनुभव के साथ अपने रिश्ते में वही अहसास पा सकते हैं, जो प्रेग्नेंसी के पहले हुआ करता था।
इस दौर में मेल पार्टनर को ध्यान रखने की जरूरत है कि प्रेग्नेंसी की कई स्टेजेज में स्त्री को दर्द भी होता है, जिसके कारण वह सेक्स के दौरान बहुत सहज नहीं महसूस करती। सेक्स के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि आपकी पार्टनर असहज न महसूस करे और उसे कोई तकलीफ न हो।
गौरतलब है..
प्रेग्नेंसी के दौरान स्त्रियों का फिगर बिगड जाता है, जो एक बडा कारण है एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स बढने का। मनोवैज्ञानिकों की मानें तो इस दौरान पुरुषों का दूसरी महिलाओं के प्रति आकर्षण हो जाता है जो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स का एक बडा कारण होता है। स्त्रियों में भी इस दौरान इतने बदलाव आते हैं कि कई बार उन्हें सहारे की जरूरत होती है। ऐसे में पुरुषों की बेरुखी उनकी तकलीफ को और भी बढा देती है। मनोवैज्ञानिक समीर पारेख कहते हैं, इस दौर में जितना रिश्ते को नुकसान होने की आशंका होती है, उतनी ही रिश्ते में मजबूती आने की गुंजाइश भी होती है। इस दौर में दोनों लोग जितना साथ रहेंगे और एक-दूसरे को समझेंगे, रिश्ते में उतनी ही गहराई आएगी।
कुछ आम सवाल..
प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स से बच्चे को नुकसान हो सकता है?
नहीं, सीधे तौर पर सेक्स से बच्चे को नुकसान नहीं होता। गर्भ (वूम) के अंदर बच्चा एमनियॉटिक सैक और यूट्रस की मसल्स में पूरी तरह सुरक्षित होता है। इसके अलावा बच्चे को इन्फेक्शन का भी खास खतरा नहीं होता। इसलिए सेक्स से बच्चे को नुकसान की आशंका नहीं होती।
प्रेग्नेंसी के दौरान स्त्री की सेक्स ड्राइव में उतार-चढाव आना स्वाभाविक है?
प्रेग्नेंसी के दौरान स्त्री की सेक्स ड्राइव में बढत भी हो सकती है और उसका रुझान कम भी हो सकता है। दोनों ही बातों की बराबर संभावना होती है। कई प्रेग्नेंट स्त्रियों को थकावट और नॉजिया जैसी दिक्कतों का सामना करना पडता है, खासकर उन्हें जिनकी पहली प्रेग्नेंसी होती है। इस तरह की मुश्किलें दूसरी प्रेग्नेंसी में आमतौर पर कम हो जाती हैं, जिससे उनमें सेक्सुअल ड्राइव बढ सकती है। इसी तरह पुरुषों में भी उनकी पार्टनर्स की प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स ड्राइव बढ या घट सकती है। कई पुरुष अपनी पार्टनर्स की प्रेग्नेंसी के दौर को इंज्वॉय करते हैं, वहीं कुछ पुरुषों को यह दौर सेक्स में बाधक नजर आता है। इस समय रिश्ते को बरकरार रखने का सबसे अच्छा तरीका है आपस में कम्यूनिकेशन बनाए रखना।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान-
1. मिशनरी पोजीशन जिसमें पुरुष ऊपर हो, अवॉयड करनी चाहिए। अनजाने में इस पोजीशन के कारण फीटस को नुकसान पहुंच सकता है।
2. प्रेग्नेंसी के छठे से बारहवें हफ्ते तक इंटरकोर्स अवॉयड करना चाहिए। इससे मिसकैरेज का खतरा हो सकता है। डॉक्टर्स प्रेग्नेंसी के आखिरी दो महीनों में भी सेक्सुअल रिश्तों से दूरी बना कर रखने की सलाह देते हैं। इस समय कॉम्प्लीकेशंस होने का खतरा रहता है।
3. प्रेग्नेंसी के चौथे से सातवें महीने तक शारीरिक संबंध में कोई बुराई नहीं है। बशर्ते कोई मेडिकल प्रॉब्लम न हो।
रिसर्च की मानें तो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की संभावना तब सबसे ज्यादा होती है, जब औरत प्रेग्नेंट होती है। इसकी बडी वजह है प्रेग्नेंसी के नौ महीनों के दौरान सेक्सुअल दूरी आना। आमतौर पर लोगों में यह धारणा होती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स बच्चे के लिए घातक होता है, जो कि गलत है। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स अगर सावधानी से किया जाए तो इस दौर में रिश्ते पर आंच नहीं आती।
प्रेग्नेंसी में सेक्स वर्जित नहीं
डॉक्टरों की मानें तो नॉर्मल प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स में कोई बुराई नहीं है। बस इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि औरत पर ज्यादा प्रेशर न पडे। यहां नॉर्मल प्रेग्नेंसी से आशय है ऐसी प्रेग्नेंसी जिसमें मिस-कैरेज या प्री-टर्म लेबर का रिस्क कम हो। अशोक क्लीनिक के सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. अशोक कहते हैं, अकसर इस मुद्दे को लोग डिस्कस करने से हिचकते हैं जिसके कारण कई भ्रांतियां पैदा हो जाती हैं और रिश्ते में दूरी का कारण बनती हैं। ऐसे संवेदनशील मुद्दों को अपने डॉक्टर के साथ विस्तार से डिस्कस करें। अपने डॉक्टर से पूछें कि प्रेग्नेंसी में कितना और किस किस्म का रिस्क है।
इमोशनल बदलाव का रखें ध्यान
प्रेग्नेंसी के दौरान औरत के हार्मोस में बदलाव होते हैं। जिनके कारण उसमें बडे इमोशनल बदलाव भी होते हैं। कई बार स्त्री ज्यादा सेंसिटिव और इमोशनल हो जाती है, जिससे पारिवारिक जीवन पर असर पड सकता है। डॉ. अशोक कहते हैं, एक्सपेक्टिंग मदर्स की मानसिक जरूरतों का किस तरह ध्यान रखा जाता है, इससे उनकी मानसिक स्थिति और बच्चे के विकास पर गहरा असर पडता है। प्रेग्नेंसी के दौर में स्त्रियों में भी सेक्स डिजायर होती है, लेकिन कई बार वे अपने शारीरिक बदलाव को लेकर कांशियस भी हो जाती हैं जिसका नकारात्मक असर सेक्सुअल रिश्ते पर पडता है। इस दौर में पार्टनर्स के बीच उनकी जरूरतों को लेकर बातचीत बेहद जरूरी है। आपस में डिस्कस करें कि किस तरह से वे एक आरामदायक और सुखद अनुभव के साथ अपने रिश्ते में वही अहसास पा सकते हैं, जो प्रेग्नेंसी के पहले हुआ करता था।
इस दौर में मेल पार्टनर को ध्यान रखने की जरूरत है कि प्रेग्नेंसी की कई स्टेजेज में स्त्री को दर्द भी होता है, जिसके कारण वह सेक्स के दौरान बहुत सहज नहीं महसूस करती। सेक्स के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि आपकी पार्टनर असहज न महसूस करे और उसे कोई तकलीफ न हो।
गौरतलब है..
प्रेग्नेंसी के दौरान स्त्रियों का फिगर बिगड जाता है, जो एक बडा कारण है एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स बढने का। मनोवैज्ञानिकों की मानें तो इस दौरान पुरुषों का दूसरी महिलाओं के प्रति आकर्षण हो जाता है जो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स का एक बडा कारण होता है। स्त्रियों में भी इस दौरान इतने बदलाव आते हैं कि कई बार उन्हें सहारे की जरूरत होती है। ऐसे में पुरुषों की बेरुखी उनकी तकलीफ को और भी बढा देती है। मनोवैज्ञानिक समीर पारेख कहते हैं, इस दौर में जितना रिश्ते को नुकसान होने की आशंका होती है, उतनी ही रिश्ते में मजबूती आने की गुंजाइश भी होती है। इस दौर में दोनों लोग जितना साथ रहेंगे और एक-दूसरे को समझेंगे, रिश्ते में उतनी ही गहराई आएगी।
कुछ आम सवाल..
प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स से बच्चे को नुकसान हो सकता है?
नहीं, सीधे तौर पर सेक्स से बच्चे को नुकसान नहीं होता। गर्भ (वूम) के अंदर बच्चा एमनियॉटिक सैक और यूट्रस की मसल्स में पूरी तरह सुरक्षित होता है। इसके अलावा बच्चे को इन्फेक्शन का भी खास खतरा नहीं होता। इसलिए सेक्स से बच्चे को नुकसान की आशंका नहीं होती।
प्रेग्नेंसी के दौरान स्त्री की सेक्स ड्राइव में उतार-चढाव आना स्वाभाविक है?
प्रेग्नेंसी के दौरान स्त्री की सेक्स ड्राइव में बढत भी हो सकती है और उसका रुझान कम भी हो सकता है। दोनों ही बातों की बराबर संभावना होती है। कई प्रेग्नेंट स्त्रियों को थकावट और नॉजिया जैसी दिक्कतों का सामना करना पडता है, खासकर उन्हें जिनकी पहली प्रेग्नेंसी होती है। इस तरह की मुश्किलें दूसरी प्रेग्नेंसी में आमतौर पर कम हो जाती हैं, जिससे उनमें सेक्सुअल ड्राइव बढ सकती है। इसी तरह पुरुषों में भी उनकी पार्टनर्स की प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स ड्राइव बढ या घट सकती है। कई पुरुष अपनी पार्टनर्स की प्रेग्नेंसी के दौर को इंज्वॉय करते हैं, वहीं कुछ पुरुषों को यह दौर सेक्स में बाधक नजर आता है। इस समय रिश्ते को बरकरार रखने का सबसे अच्छा तरीका है आपस में कम्यूनिकेशन बनाए रखना।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान-
1. मिशनरी पोजीशन जिसमें पुरुष ऊपर हो, अवॉयड करनी चाहिए। अनजाने में इस पोजीशन के कारण फीटस को नुकसान पहुंच सकता है।
2. प्रेग्नेंसी के छठे से बारहवें हफ्ते तक इंटरकोर्स अवॉयड करना चाहिए। इससे मिसकैरेज का खतरा हो सकता है। डॉक्टर्स प्रेग्नेंसी के आखिरी दो महीनों में भी सेक्सुअल रिश्तों से दूरी बना कर रखने की सलाह देते हैं। इस समय कॉम्प्लीकेशंस होने का खतरा रहता है।
3. प्रेग्नेंसी के चौथे से सातवें महीने तक शारीरिक संबंध में कोई बुराई नहीं है। बशर्ते कोई मेडिकल प्रॉब्लम न हो।
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