बेटी! मैं सोच रहा हूं कल अपने घर चला जाऊं। तुम्हारे पास रहते हुये कई माह हो गये हैं।
पिताजी! आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है। क्या आप भूल गये? भय्या और भाभी ने आपको कितना प्रताडित और अपमानित करके घर से बाहर निकाल दिया था। मैं तो इसे अभी तक नहीं भूल पायी।
मैं कब तक तुम पर बोझ बना रहूंगा? बेटियां बोझ होती हैं, पिता नहीं। बेटी के घर में रहकर पाप लगेगा।
अपने पिता को अपमानित करने का पाप भय्या और भाभी को लगेगा, आपको नहीं। बेटी! क्यों अपने पिता को नरक में ढकेल रही है?
पिताजी! जिस नरक की बात आप कर रहे हैं वह तो मैंने नहीं देखा। पर हां, आप जिस स्थान पर जाने के लिए कह रहे हैं वह नरक जरूर मेरी आंखों के सामने घूम रहा है। मैं जीते जी आपको उस नरक में नहीं ढकेलूंगी बस।
लतीफ़े
एक महिला ट्रेन से उतरी, उसने संता से पूछा ये कौन-सा स्टेशन है?
संता ने सोचा..सोचा..बहुत सोचा फिर बोला बहनजी ये रेलवे स्टेशन है।
पति-पत्नी की जबरदस्त लड़ाई के बाद पत्नी भगवान से बोली।
अगर ये गलत हैं तो इन्हें उठा लो और अगर मैं गलत हूं तो मुझे विधवा बना दो।
मरीज (डॉक्टर से)- डॉक्टर साहब क्या आप मेरी बीमारी का पता लगा सकते हैं।
डॉक्टर (गुस्से से)- हां तुम्हारी आंखें बहुत कमजोर हैं।
मरीज- आपको कैसे पता चला?
डॉक्टर- तुमने बाहर बोर्ड पर नही पढ़ा कि मैं जानवरों का डॉक्टर हूं।
एक आदमी कपड़े की दुकान पर गया।
दुकानदार- सर, क्या चाहिए?
सलवार-सूट
सर पत्नी के लिए चाहिए या कुछ अच्छा सा दिखाऊं।
सोनू (चिंटू से)- मेरे पापा के आगे अमीर से अमीर आदमी भी कटोरी लेकर खड़े रहते हैं।
चिंटू (सोनू से)- ऐसे कितने अमीर हो तुम?
सोनू- मेरे पापा गोल-गप्पे की रेडी लगाते हैं।
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