गुरुवार, 15 जुलाई 2010

तीर्थ स्थल

तीन धर्मों का तीर्थ स्थल
भूमध्य सागर और मृत सागर के बीच इसराइल की सीमा पर बसा यरुशलम एक शानदार शहर है। शहर की सीमा के पास दुनिया का सबसे ज्यादा नमक वाला डेड सी याने मृत सागर है। कहते हैं यहाँ के पानी में इतना नमक है कि इसमें किसी भी प्रकार का जीवन नहीं पनप सकता और इसके पानी में मौजूद नमक के कारण इसमें कोई डूबता भी नहीं है।
मध्यपूर्व का यह प्राचीन नगर यहूदी, ईसाई और मुसलमान का संगम स्थल है। उक्त तीनों धर्म के लोगों के लिए इसका महत्व है, इसीलिए यहाँ पर सभी अपना कब्जा बनाए रखना चाहते हैं। जेहाद और क्रूसेड के दौर में सलाउद्दीन और रिचर्ड ने इस शहर पर कब्जे के लिए बहुत सारी लड़ाइयाँ लड़ी। ईसाई तीर्थ यात्रियों की रक्षा के लिए इसी दौरान नाइट टेम्पलर्स का गठन भी किया गया था।

इसराइल का एक हिस्सा है गाजा पट्टी और रामल्लाह। जहाँ फिलिस्तीनी मुस्लिम लोग रहते हैं और उन्होंने इसराइल से अलग होने के लिए विद्रोह छेड़ रखा है। ये लोग यरुशलम को इसराइल कब्जे से मुक्त कराना चाहते हैं। अंतत: इस शहर के बारे में जितना लिखा जाए कम है। काबा, काशी, मथुरा, अयोध्या, ग्रीस, बाली, श्रीनगर, जाफना, रोम, कंधहार आदि प्राचीन शहरों की तरह ही इस शहर का इतिहास भी बहुत महत्व रखता है।

प्राचीन और नया शहर :
माउंट ऑफ ओलिव्स पर खड़े होकर आप सामने यरुशलम के प्राचीन शहर को देखते हैं तो उसके मनोरम और भव्य दृश्य का नजारा देख आप मंत्रमुग्ध होकर सोचना बंद कर देते हैं। ओलिब्स पहाड़ी से सुंदर गुंबद और गुंबदों के पीछे दीवार नजर आती है। एक वर्ग किलोमीटर की पहाड़ी दीवारों से घिरा हजारों सालों का इतिहास लिए यह शहर दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी की आस्था का केंद्र है।

इतिहास और विवाद :
हिब्रू में लिखी बाइबिल में इस शहर का नाम 700 बार आता है। यहूदी और ईसाई मानते हैं कि यही धरती का केंद्र है। राजा दाऊद और सुलेमान के बाद इस स्थान पर बेबीलोनियों तथा ईरानियों का कब्जा रहा फिर इस्लाम के उदय के बाद बहुत काल तक मुसलमानों ने यहाँ पर राज्य किया। इस दौरान यहूदियों को इस क्षेत्र से कई दफे खदेड़ दिया गया।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसराइल फिर से यहूदी राष्ट्र बन गया तो यरुशलम को उसकी राजधानी बनाया गया और दुनिया भर के यहूदियों को पुन: यहाँ बसाया गया। यहूदी दुनिया में कहीं भी हों, यरुशलम की तरफ मुँह करके ही उपासना करते हैं।
ऐतिहासिक म्‍यूजियम व स्मारक :
धार्मिक स्थलों के अलावा यहाँ प्राचीन एवं धार्मिक ग्रंथों का 'द इसराइल म्‍यूजियम' है। इसराइल का होलोकॉस्‍ट म्‍यूजियम जिसे याद वशेम कहा जता है जिसका खासा महत्व है। यहाँ पर यरुशलम के इतिहास से संबंधित दस्तावेज और शहीदों के स्मारक व स्मृति चिन्हों आदि के बारे में जानकारी है। दोनों ही म्यूजीयम का इतिहास बहुत पुराना है।

यरुशलम के जंगल :
मुस्लिम इलाके में स्थित 35 एकड़ क्षेत्रफल में फैले नोबेल अभयारण्य में ही अल अक्सा मस्जिद, डोम ऑफ द रॉक, फव्‍वारे, बगीचे, गुम्‍बद और प्राचीन इमारतें बनी हुई हैं। इसके अलावा छोटे से गॉर्डन ऑफ गेथेमिन की खुबसूरती भी देखने लायक है। इसके अलावा याद वशेम का इलाका भी यरुशलम के जंगल के नाम से प्रसिद्ध है।

पवित्र परिसर :
किलेनुमा चारदीवारी से घिरे पवित्र परिसर में यहूदी प्रार्थना के लिए इकट्ठे होते हैं। इस परिसर की दीवार बहुत ही प्राचीन और भव्य है। यह पवित्र परिसर ओल्ड सिटी का हिस्सा है। पहाड़ी पर से इस परिसर की भव्यता देखते ही बनती है। इस परिसर के ऊपरी हिस्से में तीनों धर्म के पवित्र स्थल है। उक्त पवित्र स्थल के बीच भी एक परिसर है।

यरुशलम में लगभग 1204 सिनेगॉग, 158 गिरजें, 73 मस्जिदें, बहुत सी प्राचीन कब्रें, 2 म्‍यूजियम और एक अभ्यारण्य है। इसके अलावा भी पुराने और नए शहर में देखने के लिए बहुत से दर्शनीय स्थल हैं। यरुशल में जो भी धार्मिक स्थल है वे सभी एक बहुत बड़ी सी चौकोर ‍दीवार के आसपास और पहाड़ पर स्थित है।

दीवार के पास तीनों ही धर्म के स्थल हैं। यहाँ एक प्राचीन पर्वत है जिसका नाम जैतून है। इस पर्वत से यरुशलम का खुबसूरत नजारा देखा जा सकता है। इस पर्वत की ढलानों पर बहुत सी प्राचीन कब्रें हैं। यरुशलम चारों तरफ से पर्वतों और घाटियों वाला इलाका नजर आता है।
यरुशलम: वि‍वि‍धता का नमूना
इसराइल के चार प्रमुख क्षेत्र हैं- तेल अवीव, जेरुशलमल, हैफा और बीयर शेव। यरुशलम इसराइल का सबसे बड़ा शहर और राजधानी है। यरुशलम की गिनती प्राचीन नगरों में की जाती है।

यरुशलम के पास से जॉर्डन सीमा प्रारंभ होती हैं। इसराइल के तेल अवीव की सीमा भी इससे लगी हुई हैं। यहाँ कि अधिकारिक भाषा हिब्रू है, लेकिन अरबी और अंग्रेजी अब ज्यादा बोली जाती है। यरुशलम सहित इसराइल के बाशिंदे लगभग 75 प्रतिशत यहूदी, 15 प्रतिशत ‍मुस्लिम और 10 प्रतिशत अन्य धर्म को मानते हैं।

टॉवर ऑफ डेविड:
जियोन के नजदीक प्राचीन जाफा गेट पर बना हुआ प्राचीन 'टॉवर ऑफ डेविड', जिसे बुर्ज दाऊद या दाऊद का गुम्बद भी कहा जाता है। माना जाता है कि यहाँ राजा सुलैमान (सोलोमन) की कब्र है। यहीं से पुराने शहर में प्रवेश किया जाता है। इस गेट के आसपास किलेनुमा परकोटा है और गेट के अंदर घुसते ही एक ओर आर्मेनियाई क्वार्टर तो दूसरी और ‍ईसाई क्वार्टर है। गेट से बाहर जियोन पहाड़ी पर 'सिटी ऑफ डेविड' को देखने के लिए भी लोगों की भीड़ जमा होती है।

सोलोमन टेम्पल:
दाऊद के बेटे ही सुलैमान थे जिन्हें इसराइल का सम्राट माना जाता था। माना जाता है कि सोलोमन टेम्पल का निर्माण 10वीं शताब्‍दी ईसा पूर्व में हुआ था। मूलत: यह मंदिर हिब्रू (यहूदी) संप्रदाय से संबंधित है। पवित्र सोलोमन टेम्पल को रोमनों ने नष्ट कर दिया था।

उक्त टेम्पल बाइबिल में प्रथम प्रार्थनालय के नाम से दर्ज है। चारदीवारी से घिरे इस भव्य टेम्पल के स्थल पर ही अब यहूदियों के महत्वपूर्ण स्थल टेम्पल माउंट और पश्चिमी दीवार के अलावा अल अक्सा मस्जिद, डोम ऑफ द रॉक और चर्च है। हालाँकि यह विवाद का विषय और जगह है।

सिटी ऑफ डेविड :
इसराइल के सम्राट दाऊद के नाम पर उनके बेटे सुलैमान ने एक नगर बसाया था जिसे सिटी ऑफ डेविड कहा जाता है। ओल्ड सिटी के जियोन गेट या डंग गेट से निकल कर जियोन पहाड़ी पर इस प्राचीन सिटी के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि यह लगभग तीन हजार वर्ष पुराना शहर है। सोलोमन मंदिर के साथ ही इसे बनाया गया था। पर्यटकों के बीच यह सिटी आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। यहीं डर्मिशन चर्च के पास उनकी कब्र है।
वेलिंग वॉल :
वेलिंग वॉल को 'विलाप की दीवार' भी कहते हैं। यह यहुदियों का सबसे पवित्र स्थल है। माना जाता है कि यही प्राचीन प्रार्थनालय सोलोमन टेम्पल का परिसर है। इस दीवार के ऊपरी हिस्से में अल-अक्सा मस्जिद स्थित है। यहीं पास में टेम्पल माउंट अर्थात डोम ऑफ द रॉक है। इस दीवार को पश्चिमी दीवार भी कहते हैं।

माना जाता है कि दीवार के ऊपर बने अपने धार्मिक स्थल के अपने हाथों से निकल जाने के गम में यहूदी दीवार के समक्ष विलाप करते हैं और प्रार्थना भी। अल-अक्सा मस्जिद (अलहरम-अलशरीफ) का एक हिस्सा बन चुका यह स्थल यहूदियों और मुसलमानों दोनों का एक पावन स्थल है।

चार क्वार्टर :
पश्चिम दीवार के सामने वाले हिस्से में परिसर के बाद पथ पार करके यहूदियों के क्वार्टर का क्षेत्र शुरू हो जाता है। ओल्ड सिटी से बाहर निकलने के लिए यहीं पास में डंग गेट है, जहाँ से निकल कर आप क्वार्डन घाटी में जा सकते हैं।

यहूदी क्वार्टर की सीमा जहाँ समाप्त होती है वहीं से मुस्लिम क्वार्टर की सीमा शुरू होकर हिरोड्‍स और लॉयन गेट पर खत्म होती है। मुस्लिम क्वार्टर का क्षेत्र भी बहुत बड़ा है। मुस्लिम क्वार्टर के पीछे ईसाई क्वार्टर है और यहूदियों के क्वार्टर के पीछे आर्मेनियाई क्वार्टर है।

ईसाई क्वार्टर के लिए न्यू गेट और आर्मेनियाई क्वार्टर के लिए जफा और जियोन गेट नजदीक पड़ता है। जियोन गेट पर ही बना है चर्च ऑफ डर्मिशन। यहाँ से जियोन पहाड़ी पर सिटी ऑफ डेविड देखने जा सकते हैं। मुस्लिम और ईसाई क्वार्टर की विभाजक रेखाGet Fabulous Photos of Rekha पर स्थित है दमश्क गेट।

टेम्पल माउंट :
यहूदी इसे 'टेम्पल माउंट' कहते हैं। इस टेम्पल के नजदीक ही गोल्डन गेट है जहाँ से ओल्ड सिटी के बाहर जाया जा सकता है। टेम्पल का गुब्बद सोने से जड़ित है। माना जाता है कि ईश्वर ने प्रथम आदमी की यहीं पर उत्पत्ति की थी। यहीं पर मानव के निर्माण के लिए धूल इकट्ठी हुई थी। यह स्थान मुसलमान, ईसाई और यहूदियों के लिए पवित्र स्थान है सभी इस पर आधिपत्य चाहते हैं।

डोम ऑफ द रॉक :
टेम्पल माउंट को ही डोम ऑफ द रॉक कहा जाता है। मुसलमानों की आस्था है कि डोम ऑफ द रॉक ही वह स्थान है जहाँ से पैगंबर मुहम्मद साहिब को नमाज के लिए पहली बार हिदायत मिली थी। हालाँकि कुछ लोगों का मानना है कि डोम ऑद द रॉक टेम्पल माउंट और अल अक्सा मस्जिद के बीच है।

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