सोमवार, 12 जुलाई 2010

हंसोड़राम

सुधाकर बन्धु
चलिए, आज आपको हंसोड़राम से मिलवाते हैं। ये जहां होते हैं, वहां सिर्फ ठहाके लगते रहते हैं!! इनसे मिलकर आपको बहुत मज़ा आएगा। इनकी हाज़िर जवाबी और मनोविनोद भरी बातों को सुनकर सभी लोगों मुस्कुरा उठते हैं। देखें, आपको कितना हंसा पाते हैं ये महाशय। तो, दोस्तो, पेश हैं हंसोड़राम..

बड़े सवेरे हंसोड़राम एक तालाब के किनारे बैठा हुआ था। वह बार-बार बोले जा रहा था- ‘पंद्रह.पंद्रह.पंद्रह.’ तभी उधर से गुजरते हुए एक व्यक्ति ने पूछा- ‘हंसोड़राम, क्या तुम्हें 15 से आगे गिनती नहीं आती?’
वह चुप हो गया। व्यक्ति के और नजदीक आने पर हंसोड़राम ने उसे तालाब में धक्का दे दिया। अब हंसोड़राम बोल रहा था- ‘सोलह.सोलह.सोलह.’

घर लौटते हुए हंसोड़राम को एक भिखारी मिल गया। बोला- ‘केवल एक रुपए का सवाल है बाबा। केवल एक रुपए का।’ हंसोड़राम बोला- ‘अरे भई. चिंता न करो। स्कूल में गणित के अध्यापक जी के पास चले जाओ। तुम चाहो जितने सवाल पूछ लेना, वो मुफ्त में बता देंगे।’

घर पर एक सुबह, जब हंसोड़राम के पापा उठे ही थे और ब्रश करने जा रहे थे, तो उसने पूछा- ‘पापा. इस ट्यूब में कितना पेस्ट है, इसका पता है आपको?’
‘नहीं बेटे।’ पापा ने उत्तर दिया।

‘मैं बताऊं?’ मैंने अभी नापा है। एक मीटर और सोलह सेंटीमीटर है।’
उसके पापा ने पिचकी हुई टूथपेस्ट को देखकर सिर पीट लिया।
स्कूल में हंसोड़राम के हास्यास्पद उत्तरों से सारे छात्र मज़े लेते थे। एक बार गणित के अध्यापक ने पूछा- ‘तुम यह बताओ कि मोटर साइकिल के कितने पहिए होते हैं?’

हंसोड़राम- ‘जी, छह।’
अध्यापक- ‘कैसे?’
हंसोड़ राम- ‘चार मोटर के और दो साइकिल के।’
अध्यापक ने आगे प्रश्न किया- ‘बताओ 3 में 2 जोड़ने पर कितने होते हैं?’
हंसोड़राम- ‘यदि आगे जोड़ें तो 23 और पीछे जोड़ें तो 32..’
अध्यापक ने मुस्कुराते हुए पूछा- ‘अच्छा बताओ, एक बच्चा मेज़ के ऊपर बैठा है और दो बच्चे मेज़ के नीचे बैठे हैं तो कुल कितने बच्चे हुए?’
हंसोड़राम- ‘जी, एक बटे दो(1/2)।’ जवाब मिला।

आगे प्रश्न किया- ‘एक रुपए की दस नारंगियां मिलती हैं, तो बताओ दो रुपए की कितनी मिलेंगी?’ प्रश्न सुनते ही हंसोड़राम बोला- ‘सर, प्रश्न छोड़ो। आप तो मुझे यह बताओ कि इतनी सस्ती नारंगियां कहां मिल रही हैं? पहले मै उन्हें खरीद लाता हूं।’
अध्यापक- ‘हंसोड़राम, यह एक सवाल था। अब बताओ चार नारंगियों को पांच छात्रों में कैसे बांटोगे?’
हंसोड़राम- ‘जी, जूस बनाकर।’

हंसोड़राम के प्रत्येक उत्तर पर गुरुजी का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। अब तो उनका चेहरा गुस्से के कारण लाल हो गया। फिर भी वे संयत होकर बोले- ‘हंसोड़राम, सोचकर बताओ। एक व्यक्ति 5 रुपए वाले समोसे को तीन रुपए में बेचकर भी लखपति बन गया। बताओ कैसे?’
हंसोड़राम ने गाल पर उंगली लगाई, कुछ सोचा और बोला- ‘सर, वो पहले करोड़पति था।’

उत्तर सुन अध्यापक ने अपना सिर पीट लिया। तभी हंसोड़राम बोला- ‘सर, अंग्रेज़ी के मास्टर जी अंग्रेज़ी में बोलते हैं, हिंदी के हिंदी में तो आप गणित में क्यों नहीं बात करते?’
अध्यापक गुस्से में तो थे ही, बोले- ‘ज्यादा तीन-पांच मत करो। तेरे जैसे छप्पन सौ साठ देखे हैं। अब चुपचाप नौ-दो ग्यारह हो जाओ, वरना छठी का दूध याद दिला दूंगा।’ इस बार हंसोड़राम के चुप रहने की बारी थी।
परीक्षा के दिन नज़दीक आए, तो हंसोड़राम को भी चिंता हुई। वह पुस्तक विक्रेता के पास पहुंच गया और एक अच्छी किताब देने को कहा।

दुकानदार ने कहा-‘यह लो। इस पुस्तक को पढ़ने से तुम्हारे सफल होने की संभावना 50 प्रतिशत बढ़ जाएगी।’ हंसोड़राम बोला- ‘तो फिर इसकी दो प्रतियां दे दो।’ यह सुनकर दुकानदार देखता ही रह गया।
परीक्षा खत्म हुई तो हंसोड़राम रिज़ल्ट लेकर घर पहुंचा। पापा से बोला- ‘पापाजी, अगर आपको पता चले कि मेरे गणित में 100 अंक आए हैं तो?’
पापा- ‘मैं खुशी से पागल हो जाऊंगा।’

हंसोड़राम- ‘मैं नहीं चाहता आप पागल हों इसलिए बता दूं कि 100 में से 2 अंक ही आए हैं।’ अब तो उसके पापा ने इसे किसी डॉक्टर को दिखलाने का मन बनाया और उसे डॉक्टर के पास ले गए।
डॉक्टर साहब हंसोड़राम की जांच करते हुए उससे बोले- ‘लम्बी-लम्बी सांस लेते हुए तीन बार सात बोलो।’
हंसोड़राम ने एक लम्बी सांस ली और बोला- ‘‘इक्कीस.’’

मनोरोग का केस मानते हुए हंसोड़राम को दूसरे डॉक्टर के पास भेज दिया गया। उनके पास पहले से ही कुछ और रोगी मौजूद थे। उन्होंने पहले मनोरोगी से पूछा- ‘दो दूनी रविवार।’
हंसोड़राम का नंबर आया तो उसने जवाब दिया- ‘दो दूनी चार।’
डॉक्टर खुश होकर बोले- ‘वाह, तुमने सही जवाब कैसे जाना?’
हंसोड़राम ने जबाव दिया कि ‘आसान है. मैंने 50 में से रविवार को घटा दिया था।’
तो दोस्तो. ऐसे हैं हमारे हंसोड़राम। इनका पर हास्य पर अच्छा अधिकार है, लेकिन आप अपने अध्यापक से इस तरह पेश न आइएगा।


ताकत वतन की हमसे है..
भारतीय सशस्त्र सेनाएं भारत तथा इसके प्रत्येक भाग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी हैं। भारतीय सशस्त्र सेनाओं की सर्वोच्च कमान भारत के राष्ट्रपति के पास होती है। इनके तीन भाग हैं भारतीय थलसेना, भारतीय जलसेना और भारतीय वायुसेना। इसके अलावा और भी अन्य कई स्वतंत्र इकाइयां हैं, जैसे- भारतीय सीमा सुरक्षा बल, असम रायफल्स, राष्ट्रीय रायफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस इत्यादि।

भारतीय थलसेना
कंधों से मिलते हैं कंधे/कदमों से कदम मिलते हैं/हम चलते हैं जब ऐसे, तो दिल दुश्मन के हिलते हैं। ये पंक्तियां ज़रूर फिल्म के एक गीत की हैं, लेकिन ये पंक्तियां वास्तव में हमारी सेना और जवानों के अदम्य साहस को प्रस्तुत करती हैं। संख्या की दृष्टि से भारतीय थलसेना के जवानों की संख्या दुनिया में चीन के बाद सबसे अधिक है। हमारी सेना आण्विक हथियारों से लैस है और हमारे पास मिसाइल तकनीक भी उपलब्ध है।

थल सेना को मुख्यत: दो भागों में बांटा गया है- कॉम्बैक्ट आर्म्स और सर्विसेज़। जैसा कि नाम से स्पष्ट है कॉम्बैक्ट आर्म्स युद्ध केलिए है। इसके तहत इन्फैन्ट्री, आर्टिलरी और आर्मर्ड कोर, इंजीनियर्स कोर और सिग्नल्स कोर आती है। वहीं, लोगों तक रसद पहुंचाने, हथियार और ईंधन जैसी चीजों की आपूर्ति के लिए सर्विसेज़ होती हैं। सर्विसेज़ में आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनेंस कोर, आर्मी पोस्टल सर्विस, आर्मी मेडिकल कोर, आर्मी एजुकेशन कोर, इंटेलीजेंस कोर और अन्य शामिल किए जाते हैं।

भारतीय वायु सेना
भारतीय वायु सेना की स्थापना 8 अक्टूबर,1932 को की गई थी। इसके बाद 1 अप्रैल,1954 को एयर मार्शल सुब्रोतो मुखर्जी ने प्रथम भारतीय वायु सेना प्रमुख का कार्यभार सम्भाला। समय के साथ भारतीय वायु सेना ने अपने हवाई जहाजों और उपकरणों को काफी आधुनिक रूप प्रदान किया है और इस प्रक्रिया के एक भाग के रूप में इसमें 20 नए प्रकार के हवाई जहाज शामिल किए हैं। 20वीं शताब्दी के अंतिम दशक से भारतीय वायु सेना में महिलाओं को भी शामिल किया जाने लगा है। भारतीय वायु सेना को विश्व की सेनाओं में अलग ही प्रतिष्ठा दी जाती है। हमारे पायलट्स को विश्व में श्रेष्ठतम पायलट्स का दर्ज़ा दिया जाता है। इसको तीन मुख्य शाखाओं में बांटा जाता है-

फ्लाइंग ब्रांच
इस ब्रांच में फायटर पायलट, ट्रांसपोर्ट पायलट और हैलीकॉप्टर पायलट के तौर पर कैडेट्स को लिया जाता है। फायटर पायलट हथियार और मिसाइल से लैस फाइटर प्लेन उड़ाते हैं। ट्रांसपोर्ट पायलट सैनिकों और अन्य सामग्री से भरे हवाई जहाजों को उड़ाते हैं। हैलीकॉप्टर पायलट का काम है भूमि पर चल रही सेना को सपोर्ट उपलब्ध कराना। हैलीकॉप्टर का उपयोग आमतौर पर सैनिकों, रसद या आपदा के समय लोगों को पैराड्रॉपिंग के माध्यम से सही जगह पहुंचाने के लिए होता है।

टेक्निकल ब्रांच
इंजीनियरिंग सेक्शंस के लिए काम करने वाली टेक्निकल ब्रांच वायुसेना के हथियारों और उपकरणों की इंजीनियरिंग सम्बंधी आवश्यकताओं के लिए ज़िम्मेदार होती है।

एडमिनिस्ट्रेटिव ब्रांच
एडमिनिस्ट्रेटिव ब्रांच के अंतर्गत मौसम, शिक्षा, प्रशासन और व्यवस्था सम्बंधी जानकारी और देखरेख उपलब्ध कराने वाले विभाग आते हैं। ये सभी फ्लाइंग व टेक्निकल ब्रांच के सपोर्ट के तौर पर काम करते हैं।

भारतीय नौसेना
भारतीय नौसेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी सेना है। नौसेना का प्रमुख कार्य भारतीय समुद्री सीमा की रक्षा करना है। इसके साथ ही विभिन्न बंदरगाहों की यात्रा, देशों के बीच अंतरराष्र्ट्रीय सम्बंधो हेतु संयुक्त अभ्यास और मानवीय मिशन पर भाग लेना नौसेना की ज़िम्मेदारी में शामिल है। भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में 100 से ज़्यादा युद्धपोत हैं, वहीं लगभग 39 ऐसे जहाज़ हैं जिनका निर्माण जारी है और ये जल्दी ही नौसेना में शामिल कर लिए जाएंगे।

आईएनएस विराट भारतीय नौसेना का एकमात्र विमानवाहक पोत है। जल्दी ही भारतीय नौसेना में रूसी जहाज गॉर्शकोव के भी शामिल होने की सम्भावना है। यह आईएनएस विराट के बाद भारत का दूसरा विमानवाहक पोत होगा। पिछले साल जुलाई में परमाणु पनडुब्बी अरिहंत को नौसेना में शामिल किया गया है। इसके अलावा भारतीय नौसेना में सिंधुघोष, शिशुमार, वेला, वागली, शंकुल, सिंधुशस्त्र आदि पनडुब्बियां शामिल हैं। भारतीय नौसेना की तीन शाखाएं हैं-

एक्जीक्यूटिव ब्रांच
नेवी के लिए उपयोग किए जा रहे युद्धपोत और पनडुब्बियों को समझदारी के साथ नीतिपूर्ण ढंग से उपयोग करने की ज़िम्मेदारी एक्ज़ीक्यूटिव ब्रांच सम्भालती है।

इंजीनियरिंग ब्रांच
इंजीनियरिंग ब्रांच के ज़िम्मे उपकरणों की देखरेख और मरम्मत, यात्रा के दौरान प्रोपल्शन सिस्टम की ज़िम्मेदारी, जहाज़ पर मौजूद सभी इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स और हथियार, रेडियो और कम्युनिकेशन सिस्टम्स आदि की देख-रेख का कार्य होता है।

एजुकेशन ब्रांच
एजुकेशन ब्रांच के माध्यम से ऑफिसर्स की टेक्निकल व इससे संबंधित जानकारी अपडेट कराई जाती है।

जलदस्युओं से मुकाबला
भारतीय नौसेना समुद्री लुटेरों के खिलाफ खास ऑपरेशनों में भी भाग लेती है। कुछ वक्त पहले जब अदन की खाड़ी में समुद्री लुटेरों का आतंक काफी बढ़ गया था, उस वक्त अदन की खाड़ी में तैनात भारतीय युद्धपोत आईएनएस मैसूर ने उनसे मुकाबला करते हुए शानदार सफलता हासिल की थी।

रक्षा बलों के प्रमुख
थल सेना प्रमुख- जनरल वीके सिंह

वायु सेना प्रमुख- एयर मार्शल प्रदीप वसंत नाईक

नौसेना प्रमुख- एडमिरल निर्मल वर्मा


ज्ञान की बात
यह माना जाता है कि अलग-अलग कवक उगाने के लिए वे अलग-अलग पदार्थ का उपयोग करतीं हैं। ये खेत कोई छोटे-मोटे खेत नहीं होते, इनमें लगभग तीस लीटर तक खाद का उपयोग होता है।
खाद इकठ्ठा करने के बाद चीटियां पहले खुद की साफ-सफाई करती हैं, फिर लाए हुए सामान की साफ-सफाई में जुट जाती हैं। उसके बाद वे इन कतरनों को चबा-चबा कर नरम बनाती हैं और खेत में एक परत बिछाती हैं।

वे चीटियां जो खेतों में काम करती हैं, वे बाहर कम ही जाती हैं। अगर वे बाहर गई तो खेतों में आने से पहले खुद को फिर से साफ करती हैं। समय-समय पर वे खेतों में अपने लावे आदि का छिड़काव भी करती हैं और खरपतवाररूपी बैक्टीरिया तथा कवकों को भी चुन कर साफ करतीं हैं। यानि हमारे लिए अनाज उगाने वाले किसानों की तरह वे भी अपने खेतों में दिन-रात कमर तोड़ मेहनत करती हैं।
यह काम इसलिए भी आश्चर्यजनक है क्योंकि किसी भी एक तरह के सूक्ष्म जीव को उगाने के लिए वैज्ञानिक अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में तरह-तरह के उपकरणों का उपयोग करते हैं, जबकि चींटियों के पास ऐसा कुछ नहीं होता।

चीटियों को यह भी पता होता है कि किस बिछावत पर कौन सा कवक उगेगा। सूक्षम खरपतवारों को वो बिना माइक्रोस्कोप के देख लेती हैं और हटा भी देती हैं।
फसल तैयार होने पर चीटियां और उनके लावी जम कर दावत उड़ाते हैं। बाकी बची फसल को रानी चींटी के पास सुरक्षित रख दिया जाता है। इस तरह से ये चीटियां पत्तियों के सेल्युलोस या काबरेहाइड्रेट को प्रोटीन में बदल देती हैं और अपना पेट भरती हैं।

उनके इस काम से हमें भी फ़ायदा होता है। वे ज्यादातर उन पत्तियों का उपयोग करती हैं, जो आसानी से नहीं सड़तीं, जैसे नीबू की पत्ती। मगर इन चीटियों के कारण वे आसानी से सड़ जाती हैं और खाद बनकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है। हुआ न आम के आम गुठलियों के दाम।

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