रविवार, 25 जुलाई 2010

जोक्स

आंखों में धूल कैसे झोंकी जाती है?

ठगत फिरें ठग हर जगह,
सब कुछ ठगें समूल।
फूल दिखाकर झोंकते,
यह आंखों में धूल।

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लुटेरे बनकर साथी धोखा करते हैं,
तो आंखें में धूल झोंकना ही हुआ।
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चुनाव जीतकर पांच साल तक फिर दर्शन न होना, नेता द्वारा जनता की आंखें में धूल झोंकना जैसा ही है।

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हमारे देश के नेता इस सवाल का जवाब बेहतर दे सकते हैं।

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जैसे करने का कुछ और बताने का कुछ और ही अर्थ हो जाता है।

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चतुर कौए के घोंसले में अपने अंडे रखकर अवसरवादी कोयल यह बताती है कि आंखों में धूल ऐसे झोंकी जाती है।

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आंखों में धूल ऐसे झोंकी जाती है, पीठ में छुरी जैसे भोंकी जाती है।

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जब विकास के आंदोलन में सड़क जाम और ट्रेनें रोकी जाती हैं। जनता की आंखों में भैया ऐसे धूल झोंकी जाती है।

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जब सामने वाले की आंखें लापरवाही के कारण खुली होती हैं और उन पर विवेक का चश्मा नहीं चढ़ा होता है।

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जब कोई व्यक्ति अधिक कमाई के लालच में आकर अपनी पूंजी गंवा देता है तो उनकी आंखों में धूल भर जाती है।

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किसी की आंख बचाकर कोई वस्तु चुरा लेना। जैसा स्वर्णकार आभूषण निर्माण करते समय ग्राहक के साथ करते हैं।

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विश्वास की आंच और भरोसे की ईंटों से बने चूल्हे पर विष की हांडी को चढ़ते देखा है? फर्जी चिट फंड वाली कंपनियां इस बात की पुख्ता मिसाल हैं।

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