शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

संगमरमरी जबलपुर की सैर

-अरुण कुमार बंछोर

मध्यप्रदेश की जधानी भोपाल से 330 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्राचीन शहर जबलपुर। रामायण एवं महाभारत की कथाएँ इस शहर से जु़ड़ी हुई हैं। यह शहर पवित्र नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। जबलपुर का भौगोलिक क्षेत्र पथरीली, बंजर जमीन और पहाड़ों से आच्छादित है। जबलपुर में आपको बेशुमार संगमरमर की चट्टानें देखने को मिलेंगी।

इनके बीच से बहती हुई नर्मदा चाँदी की लकीर जैसी दिखाई देती है। जबलपुर का खास आकर्षण यहाँ का भेड़ाघाट और धुआँधार जलप्रपात है। यहां नर्मदा संगमरमरी चट्टानों के बीच से बहुत संकरे रास्ते से बहती है। इसके बाद एक बहुत गहरे स्थान में पानी गिरने से पानी की जगह धुआं ही धुआं दिखाई देता है। गर्मियों में इस प्रपात के पास ख़ड़े होने पर गर्मी से काफी राहत मिलती है।


संगराम सागर और बजाना मठ
सन्‌ 1480-1540 में राजा संगराम शाह ने इन इमारतों का निर्माण किया था। कहते हैं कि यहाँ तिलवाराघाट पर महात्मा गाँधी की अस्थियाँ विसर्जित की गई थीं। 1939 में कांग्रेस का सम्मेलन इस स्थान पर आयोजित किया गया था।

माला देवी मंदिर का बारहवीं सदी में निर्माण किया गया था। इस मंदिर में माला देवी या लक्ष्मी की मूर्ति श्रद्धालुओं ने स्थापित की है। बिलहारी 14 कि.मी. है। जबलपुर से 15 कि.मी. की दूरी पर स्थित रामनगर में गोंड राजाओं का किला स्थित है। तीन मंजिला यह किला नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। जबलपुर से 84 कि.मी. दूर रूपनाथ स्थित है।

यहाँ विशाल पत्थर के मध्य में शिव लिंग रखा है, जहाँ पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। जबलपुर में पर्यटक रेल, सड़क एवं हवाई मार्ग से पहुँच सकते हैं।

मदन महल किला
गोंड राजा मदन शाह ने इस महल को पहा़ड़ों के ऊपर निर्मित किया था। आसमान की ऊँचाइयों से स्पर्श करते इस किले से इस सुंदर नगरी को निहारा जा सकता है।

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