सोमवार, 26 जुलाई 2010

तुलसी : गुणकारी औषधि


तुलसी भारतीय मूल की ऐसी औषधि है जिसका सांस्कृतिक महत्व है। यहाँ घर में इसके पौधे की उपस्थिति को दैवीय उपहार और सौभाग्यशाली समझा जाता है। भारत में पाई गई यह अब तक की सबसे महत्वपूर्ण और चमत्कारिक औषधि है।

तुलसी शरीर, मन और आत्मा की पीड़ा हरने वाली है। कहा जाता है कि तुलसी में दाह को कम करने, जीवाणुनाशक तथा मूत्रवर्धक गुण होते हैं, जो संक्रमण को दूर करने के साथ-साथ तनाव और अन्य बीमारियों के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है। यूनानी चिकित्सा पद्धति के मुताबिक तुलसी में बीमारियों को ठीक करने की जबर्दस्त क्षमता है।

यह सर्दी-जुकाम के प्रभाव को कम कर देती है और बुखार कम करने साथ मलेरिया, चिकन पॉक्स, मीजल्स, एन्फ्लूएंजा और अस्थमा जैसी बीमारियों को भी ठीक कर देती है। तुलसी खासतौर पर दिल की रक्त वाहिकाओं, लीवर, फेफड़े, उच्च रक्तचाप तथा रक्त शर्करा को भी कम करने में मददगार साबित होती है।
स्वस्थ और सफेद दाँत पाने के लिए तुलसी और नींबू के रस को मिलाकर दाँतों की मालिश करें। यही रस चेहरे की काँति बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कान का तेज दर्द होने पर इसकी बूँदें रात को सोते समय कान में टपका लें।

तुलसी की पत्तियों का एक गिलास रस दिल के लिए टॉनिक का काम करता है। इसे रोज सुबह पीना चाहिए।

आँखों के संक्रमण यानी कंजक्टिवाइटिस से निपटने के लिए एक कटोरी में तुलसी की दो-तीन पत्तियाँ रात को भिगो दें। सुबह इससे आँख धो लें।

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