कंप्यूटर नेटवर्क दूरियां नजदीकियां बनीं
तेज दौड़ती जिंदगी में कंप्यूटर के बिना जिंदगी की कल्पना बेमानी लगती है। बिना कंप्यूटर नेटवर्क के जिंदगी के तार जुड़ते नजर नहीं आते। कंप्यूटर नेटवर्क यानी कई कंप्यूटरों को आपस में इंटरकनेक्ट करना, ताकि ये कंप्यूटर्स आपस में कम्युनिकेट कर सकें और इंफॉर्मेशन शेयरिंग को काफी आसान और सुविधाजनक बना सकें। कई कंप्यूटर को आपस में इंटरकनेक्ट करने से बनी संरचना को कंप्यूटर नेटवर्क कहते हैं।
कंप्यूटर नेटवर्क तकनीकी रूप से भले ही आपको कोई अनजानी बात लगे, लेकिन सच यही है कि आप कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग किसी न किसी रूप में करते ही रहते हैं। आज के हाइटेक युग में शायद ही कोई व्यक्ति हो, जिसे कंप्यूटर नेटवर्क की जरूरत न पड़ती हो। इंटरनेट हो या फिर ऑनलाइन बैंकिंग, घर बैठे रेलवे रिजर्वेशन करवाना हो या फिर ऑनलाइन एग्जाम में ही बैठना हो, ये सभी सुविधाएं कंप्यूटर नेटवर्क के बिना संभव ही नहीं हैं।
कंप्यूटर नेटवर्क का मतलब होता है कई कंप्यूटरों को आपस में इंटरक्नेक्ट करना, ताकि ये कंप्यूटर्स आपस में कम्युनिकेट कर सकें, साथ ही इंफॉर्मेशन शेयरिंग भी काफी आसान और सुविधाजनक बन जाए। कई कंप्यूटर्स को आपस में इंटरकनेक्ट करने से बनी संरचना को कंप्यूटर नेटवर्क कहते हैं।
यह कंप्यूटर नेटवर्क का ही तो कमाल है, जिसने आज के इस ‘वर्चुअल वर्ल्ड’ में दूरियों को पाटने का काम किया है, तभी तो आप अपने शहर में बैठ कर कंप्यूटर की सहायता से विदेश में बैठे अपने परिचितों से हमेशा संपर्क में रहते हैं।
आइए आज बात करते हैं कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े तथ्यों की और जानते हैं इसके विभिन्न स्वरूपों के बारे में।
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस द्वारा विकसित एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी नेटवर्क (ARPANET) को पहले कंप्यूटर नेटवर्क के रूप में जाना जाता है। आज का इंटरनेट भी इसी नेटवर्क के आधार पर बनाया गया था।
नेटवर्क का स्वरूप
नेटवर्क को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है :
लोकल एरिया नेटवर्क (लैन)
मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (मैन)
वाइड एरिया नेटवर्क (वैन)
लोकल एरिया नेटवर्क
आपने अपने स्कूल, कॉलेज या ऑफिस में देखा होगा कि सभी कंप्यूटर्स आपस में जुड़े होते हैं। दरअसल यह लोकल एरिया नेटवर्क होता है, जो आमतौर पर प्राइवेट नेटवर्क होता है और यह नेटवर्क एक बिल्डिंग या परिसर तक ही सिमटा होता है। सभी कंप्यूटर्स को केबल द्वारा आपस में जोड़ा जाता है। कंप्यूटर नेटवर्क का यह सबसे छोटा स्वरूप होता है, जिसकी डाटा ट्रांसफर रेट अधिक होती है।
मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क
इसके नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि यह नेटवर्क एक बड़े शहर में फैला हो सकता है। आप इसे इस तरह समझिए- आप जिस स्कूल में पढ़ते हैं, उस स्कूल की आपके शहर में अलग-अलग जगहों पर तीन-चार ब्रांच हैं।
यदि आपके स्कूल की इन सभी ब्रांचों को आपस में कंप्यूटर नेटवर्क से कनेक्ट कर दिया जाए तो यह मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क बन जाता है। यहां कनेक्ट करने के लिए वायर और वायरलेस, दोनों तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
वाइड एरिया नेटवर्क
कंप्यूटर नेटवर्क का यह सबसे बड़ा स्वरूप है, जो किसी सीमा और स्थान के बंधन से मुक्त होता है। यह नेटवर्क कई देशों तक फैला होता है, जिसमें ज्योग्राफिकल डिस्टेंस कोई मायने नहीं रखता। क्या आप जानते हैं कि इंटरनेट वाइड एरिया नेटवर्क के अंतर्गत ही आता है। इंटरनेट को विश्व का सबसे बड़ा कंप्यूटर नेटवर्क कहा जाता है। वास्तव में इंटरनेट नेटवर्को का नेटवर्क होता है।
इंटरनेट का उपयोग ई-मेल भेजने और पाने के लिए प्रमुखता से किया जाता है। वैसे तो इलेक्ट्रॉनिक मेल (ई-मेल) से हम सभी परिचित हैं, लेकिन क्या आप इसके तकनीकी पहलू के बारे में जानते हैं। इंटरनेट पर ई-मेल को मैसेज ट्रांसफर एजेंट (एमटीए) के द्वारा ट्रांसफर किया जाता है।
मेल भेजने के लिए सिस्टम में क्लाइंट एमटीए तथा मेल पाने के लिए सर्वर एमटीए का उपयोग किया जाता है। सिंपल मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एसएमटीपी) द्वारा यह काम किया जाता है। एसएमटीपी सर्वर बाहर जाने वाले मेल (आउटगोइंग मेल) को हैंडल करता है।
इसी तरह इनकमिंग मेल को हैंडल करने के लिए पीओपी 3 (पोस्ट ऑफिस प्रोटोकॉल 3) या आइएमएपी 4 (इंटरनेट मेल एक्सेस प्रोटोकॉल-4) का उपयोग किया जाता है। हालांकि आइएमएपी-4 प्रोटोकॉल अधिक कारगर होता है, साथ ही इसमें अधिक फीचर्स होते हैं।
आमतौर पर कंप्यूटर नेटवर्क क्लाइंट-सर्वर आर्किटेक्चर पर आधारित होता है। सर्वर एक पावरफुल कंप्यूटर होता है, जो नेटवर्क से जुड़े तमाम क्लाइंट कंप्यूटर को हैंडल करता है। सर्वर ही वह मशीन होता है, जो विभिन्न क्लाइंट की रिक्वेस्ट को प्रोसेस करता है, साथ ही उसे जरूरी डाटा और इंफॉर्मेशन उपलब्ध कराता है। इंटरनेट भी इसी मॉडल पर काम करता है।
ऐसे में यदि कभी सर्वर में कोई प्रॉब्लम हो जाए तो इसका प्रभाव पूरे नेटवर्क पर पड़ेगा और नेटवर्क बंद हो सकता है। सर्वर फेल होने की स्थिति में नेटवर्क का काम सुचारु ढंग से नहीं हो पाता और क्लाइंट की रिक्वेस्ट को प्रोसेस नहीं किया जा सकता। हालांकि इस तरह की परेशानियों से बचने के लिए आजकल उच्च तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जहां एक साथ मल्टीपल सर्वर काम करता है।
नेटवर्किंग के फायदे
कंप्यूटर नेटवर्क का सबसे बड़ा फायदा रिसोर्स शेयरिंग के रूप में है। नेटवर्क की सहायता से आप नेटवर्क के दूसरे कंप्यूटरों में स्टोर डाटा और इंफॉर्मेशन को आसानी से एक्सेस कर सकते हैं।
नेटवर्क का ही कमाल है कि आप घर बैठे दुनिया भर के डाटा को शेयर कर लेते हैं। इतना ही नहीं, आपने अक्सर देखा होगा कि आपके स्कूल या कॉलेज में एक ही प्रिंटर को कई कंप्यूटरों द्वारा शेयर किया जाता है। यदि ऐसा संभव न हो तो अनुमान लगाइए कि सभी कंप्यूटरों के लिए अलग-अलग प्रिंटर रखना कितना महंगा ऑप्शन साबित होगा। ई-मेल, चैटिंग, वीडियो और टेली-कॉफ्रेंसिंग के रूप में विभिन्न कम्युनिकेशन ऑप्शंस का उपलब्ध होना भी तो कंप्यूटर नेटवर्क की ही देन है, जिसने पूरी दुनिया को एक ग्लोबल विलेज में बदल दिया है।
तेज दौड़ती जिंदगी में कंप्यूटर के बिना जिंदगी की कल्पना बेमानी लगती है। बिना कंप्यूटर नेटवर्क के जिंदगी के तार जुड़ते नजर नहीं आते। कंप्यूटर नेटवर्क यानी कई कंप्यूटरों को आपस में इंटरकनेक्ट करना, ताकि ये कंप्यूटर्स आपस में कम्युनिकेट कर सकें और इंफॉर्मेशन शेयरिंग को काफी आसान और सुविधाजनक बना सकें। कई कंप्यूटर को आपस में इंटरकनेक्ट करने से बनी संरचना को कंप्यूटर नेटवर्क कहते हैं।
कंप्यूटर नेटवर्क तकनीकी रूप से भले ही आपको कोई अनजानी बात लगे, लेकिन सच यही है कि आप कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग किसी न किसी रूप में करते ही रहते हैं। आज के हाइटेक युग में शायद ही कोई व्यक्ति हो, जिसे कंप्यूटर नेटवर्क की जरूरत न पड़ती हो। इंटरनेट हो या फिर ऑनलाइन बैंकिंग, घर बैठे रेलवे रिजर्वेशन करवाना हो या फिर ऑनलाइन एग्जाम में ही बैठना हो, ये सभी सुविधाएं कंप्यूटर नेटवर्क के बिना संभव ही नहीं हैं।
कंप्यूटर नेटवर्क का मतलब होता है कई कंप्यूटरों को आपस में इंटरक्नेक्ट करना, ताकि ये कंप्यूटर्स आपस में कम्युनिकेट कर सकें, साथ ही इंफॉर्मेशन शेयरिंग भी काफी आसान और सुविधाजनक बन जाए। कई कंप्यूटर्स को आपस में इंटरकनेक्ट करने से बनी संरचना को कंप्यूटर नेटवर्क कहते हैं।
यह कंप्यूटर नेटवर्क का ही तो कमाल है, जिसने आज के इस ‘वर्चुअल वर्ल्ड’ में दूरियों को पाटने का काम किया है, तभी तो आप अपने शहर में बैठ कर कंप्यूटर की सहायता से विदेश में बैठे अपने परिचितों से हमेशा संपर्क में रहते हैं।
आइए आज बात करते हैं कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े तथ्यों की और जानते हैं इसके विभिन्न स्वरूपों के बारे में।
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस द्वारा विकसित एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी नेटवर्क (ARPANET) को पहले कंप्यूटर नेटवर्क के रूप में जाना जाता है। आज का इंटरनेट भी इसी नेटवर्क के आधार पर बनाया गया था।
नेटवर्क का स्वरूप
नेटवर्क को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है :
लोकल एरिया नेटवर्क (लैन)
मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (मैन)
वाइड एरिया नेटवर्क (वैन)
लोकल एरिया नेटवर्क
आपने अपने स्कूल, कॉलेज या ऑफिस में देखा होगा कि सभी कंप्यूटर्स आपस में जुड़े होते हैं। दरअसल यह लोकल एरिया नेटवर्क होता है, जो आमतौर पर प्राइवेट नेटवर्क होता है और यह नेटवर्क एक बिल्डिंग या परिसर तक ही सिमटा होता है। सभी कंप्यूटर्स को केबल द्वारा आपस में जोड़ा जाता है। कंप्यूटर नेटवर्क का यह सबसे छोटा स्वरूप होता है, जिसकी डाटा ट्रांसफर रेट अधिक होती है।
मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क
इसके नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि यह नेटवर्क एक बड़े शहर में फैला हो सकता है। आप इसे इस तरह समझिए- आप जिस स्कूल में पढ़ते हैं, उस स्कूल की आपके शहर में अलग-अलग जगहों पर तीन-चार ब्रांच हैं।
यदि आपके स्कूल की इन सभी ब्रांचों को आपस में कंप्यूटर नेटवर्क से कनेक्ट कर दिया जाए तो यह मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क बन जाता है। यहां कनेक्ट करने के लिए वायर और वायरलेस, दोनों तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
वाइड एरिया नेटवर्क
कंप्यूटर नेटवर्क का यह सबसे बड़ा स्वरूप है, जो किसी सीमा और स्थान के बंधन से मुक्त होता है। यह नेटवर्क कई देशों तक फैला होता है, जिसमें ज्योग्राफिकल डिस्टेंस कोई मायने नहीं रखता। क्या आप जानते हैं कि इंटरनेट वाइड एरिया नेटवर्क के अंतर्गत ही आता है। इंटरनेट को विश्व का सबसे बड़ा कंप्यूटर नेटवर्क कहा जाता है। वास्तव में इंटरनेट नेटवर्को का नेटवर्क होता है।
इंटरनेट का उपयोग ई-मेल भेजने और पाने के लिए प्रमुखता से किया जाता है। वैसे तो इलेक्ट्रॉनिक मेल (ई-मेल) से हम सभी परिचित हैं, लेकिन क्या आप इसके तकनीकी पहलू के बारे में जानते हैं। इंटरनेट पर ई-मेल को मैसेज ट्रांसफर एजेंट (एमटीए) के द्वारा ट्रांसफर किया जाता है।
मेल भेजने के लिए सिस्टम में क्लाइंट एमटीए तथा मेल पाने के लिए सर्वर एमटीए का उपयोग किया जाता है। सिंपल मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एसएमटीपी) द्वारा यह काम किया जाता है। एसएमटीपी सर्वर बाहर जाने वाले मेल (आउटगोइंग मेल) को हैंडल करता है।
इसी तरह इनकमिंग मेल को हैंडल करने के लिए पीओपी 3 (पोस्ट ऑफिस प्रोटोकॉल 3) या आइएमएपी 4 (इंटरनेट मेल एक्सेस प्रोटोकॉल-4) का उपयोग किया जाता है। हालांकि आइएमएपी-4 प्रोटोकॉल अधिक कारगर होता है, साथ ही इसमें अधिक फीचर्स होते हैं।
आमतौर पर कंप्यूटर नेटवर्क क्लाइंट-सर्वर आर्किटेक्चर पर आधारित होता है। सर्वर एक पावरफुल कंप्यूटर होता है, जो नेटवर्क से जुड़े तमाम क्लाइंट कंप्यूटर को हैंडल करता है। सर्वर ही वह मशीन होता है, जो विभिन्न क्लाइंट की रिक्वेस्ट को प्रोसेस करता है, साथ ही उसे जरूरी डाटा और इंफॉर्मेशन उपलब्ध कराता है। इंटरनेट भी इसी मॉडल पर काम करता है।
ऐसे में यदि कभी सर्वर में कोई प्रॉब्लम हो जाए तो इसका प्रभाव पूरे नेटवर्क पर पड़ेगा और नेटवर्क बंद हो सकता है। सर्वर फेल होने की स्थिति में नेटवर्क का काम सुचारु ढंग से नहीं हो पाता और क्लाइंट की रिक्वेस्ट को प्रोसेस नहीं किया जा सकता। हालांकि इस तरह की परेशानियों से बचने के लिए आजकल उच्च तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जहां एक साथ मल्टीपल सर्वर काम करता है।
नेटवर्किंग के फायदे
कंप्यूटर नेटवर्क का सबसे बड़ा फायदा रिसोर्स शेयरिंग के रूप में है। नेटवर्क की सहायता से आप नेटवर्क के दूसरे कंप्यूटरों में स्टोर डाटा और इंफॉर्मेशन को आसानी से एक्सेस कर सकते हैं।
नेटवर्क का ही कमाल है कि आप घर बैठे दुनिया भर के डाटा को शेयर कर लेते हैं। इतना ही नहीं, आपने अक्सर देखा होगा कि आपके स्कूल या कॉलेज में एक ही प्रिंटर को कई कंप्यूटरों द्वारा शेयर किया जाता है। यदि ऐसा संभव न हो तो अनुमान लगाइए कि सभी कंप्यूटरों के लिए अलग-अलग प्रिंटर रखना कितना महंगा ऑप्शन साबित होगा। ई-मेल, चैटिंग, वीडियो और टेली-कॉफ्रेंसिंग के रूप में विभिन्न कम्युनिकेशन ऑप्शंस का उपलब्ध होना भी तो कंप्यूटर नेटवर्क की ही देन है, जिसने पूरी दुनिया को एक ग्लोबल विलेज में बदल दिया है।
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