गुरुवार, 8 जुलाई 2010

मानसून में सौंदर्य समस्‍याएँ


चुभती-जलती गर्मी के बाद लो आ गया एक बार फिर बारिश का खुशनुमा मौसम, लेकिन बारिश के बाद उमस और नमी बढ़ने से त्वचा तैलीय और चिपचिपी हो जाती है। ऐसा त्वचा की ग्रंथियों की सक्रियता के कारण होता है।

ऐसा होने पर त्वचा पर धूल और गंदगी जल्दी जमा हो जाती है और छिद्र बंद हो जाते हैं। आइए जानें त्वचा संबंधी कौन-सी बीमारियाँ प्रायः इस मौसम में होती हैं और उनसे बचने के उपाय क्या हैं-

डरमेटाइटिस :
पसीने और उमस के कारण त्वचा पर खुजली होने लगती है, जो कि डरमेटाइटिस का रूप ले लेती है। रपिरॉयड ऑइन्टमेंट का इस्तेमाल करके आप इस समस्या से निजात पा सकती हैं। कैलेमाइन लोशन भी खुजली को कम करता है।

कील-मुँहासे :
इस मौसम में चेहरे की त्वचा अधिक तैलीय हो जाती है। अतः कील-मुँहासों की समस्या भी इन दिनों ज्यादा होती है। इससे बचने के लिए ज्यादा मसालेदार खाना व तली-भुनी वस्तुओं का सेवन न करें।

फंगल इंफेक्शन :
यह इंफेक्शन शरीर के उन हिस्सों में ज्यादा होता है, जहाँ चमड़ी पर पसीना इकट्ठा हो जाता है, जैसे गले में, बगल में, उँगलियों के बीच में आदि। इससे त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं और खुजली भी होने लगती है। इससे बचने के लिए एंटी फंगल ऑइन्टमेंट का प्रयोग करें।

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