सोमवार, 30 अगस्त 2010

भागवत: 60; प्रेम पर टिका है पारिवारिक जीवन

हमारे पारिवारिक जीवन में प्रेम होना चाहिए। परिवार जब भी टिकेगा प्रेम पर टिकेगा। समझौतों पर टिका हुआ दाम्पत्य बड़े दुष्परिणाम लाता है। एक काल की घटना है जिस समय हस्तिनापुर में दाम्पत्य घट रहे थे लोगों के। उसी समय द्वारिका में कृष्णजी का भी दाम्पत्य घट रहा था पर कितना अंतर है कोई ये नहीं कह सकता कि इतने सारे परिवार में सदस्य थे इसलिए हस्तिनापुर में कौरव-पांडव लड़ मरे। जितने कौरव थे उससे चार गुना तो श्रीकृष्ण की संतानें थीं लेकिन कृष्ण के दाम्पत्य में कभी आप अशांति नहीं पाएंगे क्योंकि कृष्ण ने एक सूत्र दिया ?

आपके पास ध्यान योग हो, आपके पास ज्ञान योग हो, आपके पास कर्मयोग हो, आपके पास भक्तियोग हो तो कृष्ण बोलते हैं कि यह सब बेकार है यदि आपके पास प्रेमयोग नहीं है। अंतिम बात आपका निजी जीवन पवित्रता पर टिकेगा। पवित्रता परमात्मा की पहली पसंद है। परमात्मा हमारे जीवन में तभी उतरेगा जब हमारा निजी जीवन पवित्र होगा । भागवत में प्रवेश से पहले अपने चार जीवन को टटोलते रहिएगा। पवित्रता बनाई रखिए, पवित्रता का बड़ा महत्व है। जिसके जीवन से पवित्रता चली गई वह बहुत कष्ट उठाएगा।
इसलिए आज हम जिन प्रसंगों में प्रवेश कर रहे हैं धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के प्रसंग हैं तो जीवन के ये चार व्यवहार को समझिए और आइए हम प्रवेश करें इसके पहले मैं आपको पुन: दोहरा दूं हमने शास्त्रों का सार देख लिया, भगवान का वांड्मय रूप देख लिया। जीवन के चार व्यवहार हमने देख लिए और दाम्पत्य के सात सूत्र हम आने वाले दिनों में पढ़ते चलेंगे।