बुधवार, 4 अगस्त 2010

अधर्म बाग़

वाटिका उजाड़ देते हैं हनुमान
रामायण में दो वाटिकाओं का वर्णन मिलता है। एक वाटिका राजा जनक की जहां श्रीराम और सीता ने एक-दूसरे को पहली बार देखा और वहीं से उनका प्रेम शुरू हुआ। दूसरी वाटिका रावण की लंका में अशोक वाटिका। दोनों वाटिकाओं की सुंदरता देखते ही बनती थी। अद्भूत वृक्ष और फल-फूल चारों ओर दिखाई पड़ते थे। फूलों की महक से वातावरण महकता रहता था। समान रूप से सुंदर दिखाई देने वाली वाटिकाओं में हनुमानजी द्वारा अशोक वाटिका को पूरी तरह उजाड़ दिया गया। राजा जनक के यहां की वाटिका धर्म का प्रतीक है जहां श्रीराम और सीता स्वयं उपस्थित हो वहां धर्म और अध्यात्म की कोई सीमा ही नहीं हो सकती। वहीं रावण की वाटिका अधर्म और पाप की प्रतीक है। जिसे नष्ट कर हनुमान ने खेल-खेल में ही बता दिया कि अधर्म के मार्ग पर चलते हुए कितनी ही सुंदर वाटिका या जीवन बना लो वह ज्यादा दिन का नहीं है। उसे नष्ट होना ही है। वहीं धर्म का आचरण करते हुए सुंदर और निर्मल जीवन रहेगा वहां श्रीराम सीता सहित स्थाई रूप से निवास करेंगे।
रामायण के बाल कांड में
वाल्मीकि रामायण का पहला अध्याय है बाल कांड, जिसमें भगवान राम के जन्म से लेकर विवाह तक के प्रसंग हैं। इस कांड में कुल 77 अध्याय हैं, 2268 श्लोक हैं। वाल्मीकि, दशरथ, श्रंगी मुनि, विश्वामित्र, अहिल्या, सीता और राम आदि इस कांड के प्रमुख पात्र हैं, इस कांड की प्रमुख घटनाएं अयोध्या, तपोवन में विश्वामित्र आश्रम, गंगा नदी, गौतम आश्रम, मिथिला आदि क्षेत्रों में घटी थीं।
ये घटनाएं हैं पुत्र प्राप्ति के लिए दशरथ का यज्ञ, चार पुत्रों का जन्म, विश्वामित्र द्वारा शिक्षा-दीक्षा, अहिल्या उद्धार।
कथा सार- बालकांड की कथा नारद द्वारा वाल्मीकि को श्रीराम का चरित्र सुनाने के साथ शुरू होती है। तमसा नदी के तट पर क्रोंच पक्षी की शिकारी के हाथों मृत्यु से दु:खी वाल्मीकि का शोक श्लोक बनकर प्रकट होता है। ब्रrा की आज्ञा से वाल्मीकि चौबीस हजार श्लोक वाली रामायण लिखते हैं। यह रामायण लव-कुश सुनते हैं और अयोध्या जाकर राम को सुनाते हैं। इसी के साथ ‘फ्लैशबैक’ में रामकथा के मुख्य प्रसंग शुरू होते हैं। प्रारंभ दशरथ द्वारा पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ के तैयारी के साथ शुरू होता है। विधिवत यज्ञ के बाद राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म होता है और अयोध्या में खुशी छा जाती है। इसके बाद विश्वामित्र यज्ञ की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को लेने अयोध्या आते हैं। विश्वामित्र के साथ जाकर राम-लक्ष्मण ताड़का, सुबाहू आदि राक्षसों का वध कर ऋषियों के यज्ञ की रक्षा करते हैं। इसी कांड में राम द्वारा अहिल्या के उद्धार और जनकपुरी में धनुष भंग के महत्वपूर्ण प्रसंग हैं। चारों भाइयों का विवाह होता है और बारात अयोध्या लौटने के साथ बालकांड की कथा समाप्त होती है। इसी कांड में कार्तिकेय की उत्पत्ति, भगीरथ द्वारा गंगा को धरती पर लाने तथा विश्वामित्र-वशिष्ठ-त्रिशंकु की कथा भी शामिल है।
साभार -भास्कर

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