गुरुवार, 5 अगस्त 2010

जब राम ने सीता को पहली बार देखा...

ताड़का वध के बाद राम-लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ राजा जनक के राज्य में पहुंच गए। जब राजा जनक को विश्वामित्र के आगमन का समाचार मिला तब वे सभी मंत्रियों और ब्राह्मणों को लेकर उनका स्वागत करने के लिए पहुंच गए। विश्वामित्र जनक के स्वागत सत्कार से बहुत प्रसन्न हुए। तब जनक ने विश्वामित्र को अपने महल में रुकने का निमंत्रण दिया और सीता के स्वयंवर की पूरी बात कह सुनाई। सीता के स्वयंवर का समाचार पाकर विश्वामित्र अतिप्रसन्न हुए और तब राजा जनक का श्रीराम और लक्ष्मण से परिचय करवाया।
जनक ने विश्वामित्र और राम-लक्ष्मण के ठहरने का उचित प्रबंध करा दिया। सुबह दोनों भाई विश्वामित्र के लिए पुष्प तोडऩे जनक की वाटिका में गए। वाटिका में पुष्प तोडऩे के लिए सीता भी अपनी सखियों के साथ आई थी। जब सीता और राम का आमना-सामना हुआ तो दोनों एक-दूसरे को देखते ही रह गए। राम का श्याम वर्ण शरीर और अतिसुंदर मुख देखकर सीता ने उसी समय श्रीराम को ही अपना वर मान लिया। श्रीराम भी जानकी के रूप और सौंदर्य को देखकर मोहित हो गए।

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