शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

शव को जलाते क्यों हैं?

सनातन धर्म में किसी की मृत्यु के उपरांत उसके शव को जलाने का विधान है। शरीर से प्राण निकलने के पश्चात बहुत जल्द ही मानव शरीर सडऩे लगता है, शरीर में कीड़े पडऩा शुरू हो जाते हैं। ऐसे में शरीर से दुर्गंध आना भी शुरू हो जाती है। जो कि जीवित मनुष्य के लिए स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अधिक हानिकारक है। इसी वजह से मृत शरीर को जल्द से जल्द जलाने की प्रथा लागू की गई है। परंतु शव को जलाया ही क्यों जाता है? इस संबंध में धर्म शास्त्र के अनुसार जलाने से मृत शरीर से उत्पन्न होने वाले सभी संक्रामक कीटाणु, दुर्गंध आदि शत-प्रतिशत नष्ट हो जाते हैं। साथ ही जलाने से ऐसा भी माना जाता है कि पंचभूतों (अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश) से बना शरीर उसी में विलीन हो जाता है।

हर जीवित व्यक्ति है शिव
पुराणों के अनुसार हर जीवित व्यक्ति साक्षात शिव का ही अवतार माना गया है। हम सभी में शिव का अंश विद्यमान है। आत्मा और शरीर के मिलन से ही शिव की उत्पत्ति होती है। आत्मा यानि मां पार्वती और शरीर यानि शिव।
हर व्यक्ति शिव कैसे है? यह समझने के लिए पहले शिव शब्द को समझना होगा। शिव शब्द में आत्मा अर्थात् '''ि' और शव अर्थात शरीर है। किसी भी व्यक्ति से प्राण अर्थात् आत्मा निकल जाने पर मृत बचे शरीर को ''शव'' ही कहा जाता है।

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