गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

व्यवहार

तो व्यवहार कैसा हो, यह सीखें
आज का दौर क्षमता से ज्यादा काम और दूसरों से ज्यादा तेजी से करने का दौर है। आज हर स्थिति में सौ फीसदी काम करना जरूरी भी है और वक्त की मांग भी। आज के युवाओं के साथ एक समस्या यह भी है कि वे अपनी क्षमताओं से परिचित ही नहीं है। जो थोड़े से कुशल हैं वे ऐसा जताते हैं कि वे ही हर काम कर सकते हैं।

सफलता के लिए सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि आपको अपनी क्षमताओं पर विश्वास हो। अगर आप सक्षम हैं और अपनी क्षमताओं को लेकर आश्वस्त भी है तो भी व्यवहार शांत और गंभीरता भरा होना चाहिए। हमेशा याद रखिए मौन भी आपकी क्षमताओं को जाहिर कर सकता है। अपनी क्षमताओं को पहचानने में श्री हनुमान से बढ़़ कर कोई नहीं था। उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वे किसी से कुछ कहे बिना ही अपनी क्षमताओं को जता देते थे और उनके व्यवहार से ही राम ने युद्ध की कई महत्वपूर्ण काम उन्हें सौंपे। हनुमान का व्यवहार और आचरण ही ऐसा था कि उनकी क्षमताएं अपने आप प्रदर्शित होती थीं। सीता की खोज में सागर तट पर पहुंचे सारे वानर जब समुद्र लांघने की चिंता में थे, और अपने-अपने बल का बखान कर रहे थे, अपनी क्षमताओं को माप रहे थे तब ऐसी घड़ी में भी हनुमान मौन थे। उन्होंने अपनी क्षमताओं का बखान नहीं किया। वे गंभीर रहे।
जामवंत ने यहीं से उनकी क्षमताओं का अनुमान लगाया कि जो व्यक्ति इतनी विषम परिस्थितियों में भी इतना शांत और गंभीर हो सकता है उसमें ही समुद्र लांघने की क्षमता हो सकती है। और उन्होंने हनुमान को उनका बल याद दिलाया। आपकी क्षमताएं अपने आप प्रदर्शित हो सकती हैं, इस काम में शर्त यह है कि आपके भीतर इतना धैर्य, क्षमता और गांभीर्य भी हो।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें