बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

महाभारत लिखकर भी खुश नहीं थे वेद व्यास


महाभारत को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। महाभारत की रचना से कई रोचक बातें जुड़ी हुई हैं, जो हर व्यक्ति नहीं जानता। महाभारत की कहानी इतनी विस्तृत थी कि वेद व्यासजी कई सालों तक केवल इसी बात पर शोध करते रहे कि इसकी रचना का सूत्र धार किसे बनाया जाए। आइए जानते हैं महाभारत की रचना से जुड़ी कुछ रोचक बातें। यह भी एक रोचक बात है कि इतना बड़ा और कालजयी ग्रंथ लिखने के बाद भी वेद व्यास इससे खुश नहीं थे।
- महाभारत की रचना एक लाख श्लोकों से की गई थी।
- इसके लेखन के लिए भगवान गणपति को प्रसन्न किया। गणेश ने एक शर्त रखी कि मैं लगातार लेखन करूंगा, अगर बीच में रुके तो लिखना बंद कर दूंगा।
- वेद व्यास ने गणेशजी की शर्त मान ली और खुद भी एक शर्त रख दी कि गणेश लिखने से पहले हर श्लोक को समझकर ही लिखेंगे। गणपति ने यह बात मान ली। वेद व्यास जल्दी-जल्दी श्लोक बनाकर बोलने लगे। हर 10-15 श्लोक के बाद वे एक ऐसा श्लोक बोलते जिसे समझने के लिए गणपति को भी थोड़ी देर ठहरना पड़ता। इसी दौरान वेद व्यास नए श्लोक बना लेते।
- महाभारत की रचना वेद व्यास ने महाभारत की घटना के पहले ही कर ली थी। वे स्वयं भी उस कथा के एक पात्र थे।
- महाभारत की रचना से पहले वेद व्यास ने वेद के चार भाग किए थे और उनके शिष्यों ने उन्हीं चार वेदों के आधार पर उपनिषदों की रचना की।
महाभारत में वेद व्यास ने सृष्टि के आरंभ से लेकर कलयुग तक का वर्णन है।
- महाभारत की रचना के बाद भी वेद व्यास खुश नहीं थे। वे उसकी रचना से संतुष्ट नहीं हुए। उन्हें कथा में कोई कमी खल रही थी। एक दिन वे उदास बैठे थे और उधर से नारदजी गुजरे। नारदजी ने उन्हें सुझाया कि आपकी कथा संसार पर आधारित है। इसलिए इसकी रचना के बाद आप दु:खी हैं। आप ऐसा ग्रंथ रचें जिसके केंद्र में भगवान हों।
- इसके बाद ही वेद व्यास ने श्रीमद् भागवत की रचना की।

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