मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

विश्व प्रसिद्ध हैं सांची के स्तूप


बौद्ध धर्म गौतम बुद्ध द्वारा स्थापित एक ऐसा धर्म है जिसमें कई शताब्दियों तक दुनिया में अंहिसात्मक नीतियों के बल पर प्रसिद्धि हासिल की।

इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगें जिनमें बौद्ध धर्म की शिक्षाओं और नीतियों के कारण कई विध्वंस होने से बच गये।
कई लोगों ने बौद्ध धर्म को ऊंचाईयों पर पहुंचाने के लिए अपनी जिंदगी न्यौछावर कर दी। ऐसा ही एक व्यक्तित्व थे- सम्राट अशोक।
उन्होंने बौद्ध धर्म को जिस ऊंचाई पर पहुंचाया, वह अद्वितीय है। उन्होंने कई स्तूपों और स्मारकों का निर्माण करवाया, जो बौद्ध धर्म की शिक्षाओं और नीतियों का प्रचार-प्रसार करते हैं।
ऐसा ही एक विश्व प्रसिद्ध स्तूप है- सांची स्तूप।
सांची का स्तूप विश्व प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह का चुनाव खुद सम्राट अशोक ने किया था।
बौद्ध धर्म की शिक्षाओं में ध्यान का बड़ा महत्व माना जाता है। यह स्थान शांत, सुंदर, आबादी के पास था, जिससे यहां ध्यान करने में सुविधा होती थी। सांची का प्रमुख बौद्ध स्तूप 42 फुट ऊंचा है।
यहां बुद्ध की शिक्षाओं से जुड़ी ऐतिहासिक सामग्री है, जिसे बौद्ध धर्म में बड़े आदर के साथ पढ़ा जाता है। सांची में पहले बौद्ध विहार भी थे जो वक्त के साथ जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुके हैं।
सांची अशोक के पुत्र महेन्द्र का ननिहाल था। यहां के अधिकतर मठ और स्तूप अशोक की धर्मपत्नी देवी ने बनवाए थे। श्रीलंका जाने से पहले महेन्द्र एक महीने तक यहीं रहे थे और यहीं से ग्रहण की गई बौद्ध शिक्षाओं को उन्होंने वहां फैलाकर बौद्ध धर्म को वैश्विक पहचान दी थी।
वर्तमान में सांची देश का प्रमुख पर्यटक स्थल बन चुका है।
कैसे पहुचें- सांची मध्य-प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। यहां रेलवे स्टेशन भी है, जहां बड़ी-छोटी दूरी की गाडिय़ां पर्याप्त मात्रा में रुकती हैं।

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