शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

वैभवलक्ष्मी पूजा में न भूलें ये जरूरी बातें

शुक्रवार के दिन धन और भौतिक सुखों की कामना पूर्ति के लिए वैभव लक्ष्मी की पूजा और व्रत का विधान है। किंतु हर धर्म परंपराओं का सुफल तभी संभव है। जबकि उनका पालन शास्त्रोक्त नियम और विधान से किया जाए। वैभव लक्ष्मी व्रत के लिए भी हर स्त्री या पुरुष को इन नियमों का पालन जरूर करें -

- यह व्रत विवाहित स्त्री, कुंवारी कन्या, पुरुष कर सकते हैं। सुहागन स्त्रियों को इस व्रत का विशेष फल प्राप्त होता है।
- शुक्रवार को व्रत का विधान है। 11 या 21 शुक्रवार पर व्रत और मनोकामना पूर्ति का संकल्प लें। व्रत की नियत संख्या पूरी होने पर शास्त्रोक्त रीति से उद्यापन करें। धार्मिक मान्यता में ऐसा न करने पर व्रत निष्फल हो जाता है।
- व्रत के दिन उपवास करें और पूजा कर सिर्फ प्रसाद ग्रहण करें। इतना संभव न हो तो बार भोजन या फलाहार व्रत पालन करें। अधिक शारीरिक शक्ति न होने पर दो बार भी भोजन कर सकते है। हर स्थिति में व्रती पूरी आस्था से माता लक्ष्मी की पूजा करे और कामनापूर्ति की विनती करे।
- नियत संख्या में व्रत संकल्प के दौरान अचानक यात्रा या गृहनगर से बाहर होने पर उस शुक्रवार पर व्रत पालन न कर अगले शुक्रवार को करें। क्योंकि इस व्रत का पालन अपने निवास पर ही करना सुफल देता है।
- व्रत के दिन अगर कोई महिला को मासिक चक्र आ जाए या शिशु जन्म से स्पर्श दोष लगा हो, तो उस शुक्रवार को छोड़ कर उसके बाद वाले शुक्रवार पर व्रत करें। किंतु संकल्प के बाद व्रत संख्या का संकल्प पूरा करें।
- व्रत आस्था और श्रद्धा से करें। किसी भी तरह से मलीन विचार या व्यवहार न करें।
- व्रत के दिन मां लक्ष्मी का ध्यान करते रहें और पूजा में श्रीयंत्र पूजन अवश्य करें। क्योंकि वैभवलक्ष्मी, धनलक्ष्मी का ही रुप है।
- पूजा में सोने, चांदी के सिक्के, गहने रखना चाहिए। यह उपलब्ध न होने पर बाजार में चलने वाली मुद्रा या सिक्के रखें।
- पूजा विधि के आरंभ में लक्ष्मी स्तवन का पाठ अवश्य करें।
- संकल्प लिये हुए व्रत की संख्या पूरी होने पर व्रत का उद्यापन कम से कम सात सुहागनों और सामर्थ्य होने पर 11, 21, 51, 101 स्त्रियों को वैभवलक्ष्मी व्रत कथा की पुस्तक कुमकुम का तिलक कर भेंट करें।
- एक बार व्रत संकल्प पूरा होने के बाद फिर से व्रत कर सकते हैं।

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