शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

ऐसी हैं इन्द्रलोक की 51 अप्सराएं

हिन्दू धर्मशास्त्रों में अप्सराओं के प्रसंग रोचकता और जिज्ञासा का विषय रहे हैं। अनेक पौराणिक प्रसंगों में अप्सराओं के बारे में लिखा गया है। रंभा, मेनका, उर्वशी सहित देवलोक की अप्सराओं ने अनेक सिद्ध पुरुषों को अपने रुप-रंग से मोहित कर तप भंग किया। यही कारण रहा कि भारतीय समाज में अप्सरा रुप और सौंदर्य का पर्याय बन गई है। जानते हैं आखिर कौन होती हैं-अप्सराएं।


हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार अप्सरा देवलोक में रहने वाली अनुपम अति सुंदर, अनेक कलाओं में दक्ष, तेजस्वी और अलौकिक दिव्य स्त्री है। इन अप्सराओं में रंभा को सर्वश्रेष्ठ अप्सरा माना जाता है। रंभा एक अद्भुत प्रतिभाशाली और कुशल नर्तकी भी है। वह संगीत और प्रेमकला में भी माहिर मानी जाती है। वह अपने जादुई गायन और नृत्य के द्वारा स्वर्ग में देवताओं का मनोरंजन करती है। पुराणों के अनुसार देवताओं के राजा इंद ने सिंहासन की रक्षा के लिए अनेक बार संत-तपस्वियों के कठोर तप को भंग करने के लिए रंभा को भेजा। रंभा ने भी अपने रुप और आकर्षण से उनको मोहित कर लक्ष्य में सफलता पाई। इन प्रसंगों में ऋषि विश्वामित्र का एक अप्सरा द्वारा तप भंग किया जाना भी प्रमुख है।
कुछ मान्यताओं में अप्सराओं की संख्या 1008 तक बताई गई है। लेकिन यहां जानते हैं प्रमुख 51 अप्सराओं के नाम -
अम्बिका, अलम्वुषा, अनावद्या, अनुचना, अरुणा, असिता
बुदबुदा, चंद्रज्योत्सना, देवी, घृताची, गुनमुख्या, गुनुवराहर्षा, इंद्रलक्ष्मी,
काम्या, कर्णिका, केशिनी, क्षेमा
लता, लक्ष्मना, मनोरमा, मारिची, मेनका, मिश्रास्थला, मृगाक्षी
नाभिदर्शना, पूर्वचिट्टी, पुष्पदेहा
रक्षिता, रंभा, रितुशला,
साहजन्या, समीची, सौरभेदी, शारद्वती, शुचिकासोमी, सुवाहु, सुगंधा, सुप्रिया, सुरजा, सुरसा, सुराता
तिलोत्तमा,
उमलोचा, उर्वशीवपु,
वरगा, विद्युतपर्ना, विषवची

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