गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

अगर शांति चाहिए तो सुंदरकांड पढ़िए

सुंदरकांड श्रीरामचरितमानस का चौथा अध्याय है। यह श्रीरामचरितमानस का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला भाग हैं क्योंकि इसमें हनुमानजी के बल, बुद्धि, पराक्रम व शौर्य का वर्णन किया गया है। सुंदरकांड के पढऩे व सुनने से मन में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार होता है। सुंदरकांड के हर दोहा, चौपाई व शब्द में गहन अध्यात्म छुपा है, जिससे मनुष्य जीवन की हर समस्या का सामना कर सकता है।पराक्रम, शक्ति व शौर्य के इस अध्याय का प्रथम श्लोक है-
शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं

सुंदरकांड का आरंभ जिस श्लोक से हुआ है उसका पहला शब्द ही शांति है अर्थात सुंदरकांड का आरंभ शांति के आव्हान से हुआ है। सुंदरकांड के प्रथम श्लोक कायह प्रथम शब्द यहां संकेत दे रहा है कि वर्तमान युग सुख अर्जित करने का युग है। सुख मिलना बहुत ही आसान है। पहले के समय में जो आदमी के लक्ष्य हुआ करते थे वे अब आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं जैसे- घर, बंगला, गाड़ी आदि। लेकिन मन की शांति नहीं मिल पाती। शांति प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय भगवत स्मरण ही है। जब आपके मन में भगवान का वास होगा उसी समय शांति भी आपके जीवन में प्रवेश करेगी। इसके लिए आवश्यक है कि स्वयं को प्रभु को समर्पित कर दें और जब सुख व शांति दोनों जीवन में हो तो ही जीवन सुंदर होता है। यही सुंदरकांड का मुख्य उद्देश्य है।

हनुमान की पूजा से मिलती हैं ये आठ सिद्धियां
श्री हनुमान शिव के अवतार माने गए हैं। शास्त्रों के मुताबिक श्री हनुमान सर्वगुण, सिद्धि और बल के अधिपति देवता हैं। यही कारण है कि वह संकटमोचक कहलाते हैं। हर हिन्दू धर्मावलंबी विपत्तियों से रक्षा के लिए श्री हनुमान का स्मरण और उपासना जरूर करता है।
श्री हनुमान की भक्ति और प्रसन्नता के लिए सबसे लोकप्रिय स्तुति गोस्वामी तुलसीदास द्वारा बनाई गई श्री हनुमान चालीसा है। इसी चालीसा में एक चौपाई आती है। जिसमें श्री हनुमान को आठ सिद्धियों को स्वामी बताया गया है।
यह चौपाई है -
अष्टसिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन्ह जानकी माता।।
अक्सर हर हनुमान भक्त चालीसा पाठ के समय इस चौपाई का भी आस्था से पाठ करता है। लेकिन इसमें बताई गई अष्टसिद्धियों के बारे में बहुत कम ही श्रद्धालु जानकारी रखते हैं। इस चौपाई के अनुसार यह अष्टसिद्धि माता सीता के आशीर्वाद से श्री हनुमान को प्राप्त हुई और साथ ही उनको इन सिद्धियों को अपने भक्तों को देने का भी बल प्राप्त हुआ। जानते हैं इन आठ सिद्धियों के नाम और सरल अर्थ -
अणिमा - इससे बहुत ही छोटा रूप बनाया जा सकता है।
लघिमा - इस सिद्धि से छोटा और हल्का बना जा सकता है।
महिमा - बड़ा रूप लेकर कठिन और दुष्कर कार्यों को आसानी से पूरा करने की सिद्धि।
गरिमा - शरीर का वजन बढ़ा लेने की सिद्धि। अध्यात्म की भाषा में अहंकारमुक्त होने का बल।
प्राप्ति - इच्छाशक्ति से मनोवांछित फल प्राप्त करने की सिद्धि।
प्राकाम्य - कामनाओं की पूर्ति और लक्ष्य पाने की दक्षता।
वशित्व - वश में करने की सिद्धि।
ईशित्व - ईष्टसिद्धि और ऐश्वर्य सिद्धि।

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