शनिवार, 4 दिसंबर 2010

महाभारत के गंगापुत्र को भीष्म क्यों कहते हैं?

महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जिससे अधिकांश लोग भलीभांति परिचित हैं। इस ग्रंथ का एक-एक पात्र महान व्यक्तियों की श्रेणी में रखा जा सकता है। इन्हीं पात्रों में से एक पात्र है पितामह भीष्म। भीष्म महाभारत के सबसे अहम किरदार हैं।

भीष्म पितामह गंगा और शांतनु के पुत्र थे। इन्हें देवव्रत के नाम से जाना जाता था किंतु समय के साथ इनका नाम भीष्म पड़ गया। गंगापुत्र का नाम भीष्म क्यों पड़ा इसके पीछे एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसकी वजह से धर्म और अधर्म का भीषण महाभारत युद्ध हुआ।
घटना यह है कि भीष्म के जन्म के बाद देवी गंगा अपने पति शांतनु को छोड़कर चली गई, इसके कुछ वर्षों के बाद राजा शांतनु को सत्यवती नाम की कन्या से प्रेम हो गया। सत्यवती एक नाविक की कन्या थी। जब राजा शांतनु सत्यवती से विवाह के लिए उनके पिता के पास पहुंचे। इस विवाह प्रस्ताव से सत्यवती और उनके पिता निषाद राज अति प्रसन्न हुए। सत्यवती के पिता को जब यह मालुम हुआ कि राजा शांतनु का उत्तराधिकारी देवव्रत (भीष्म) है तब उन्होंने इस विवाह से इंकार कर दिया। जब यह बात देवव्रत को मालूम हुई तो पिता की खुशी के लिए उन्होंने सत्यवती के पिता के सामने प्रतिज्ञा कर ली कि वे सत्यवती की संतान को ही पिता शांतनु का उत्तराधिकारी नियुक्त करेंगे और स्वयं आजीवन अविवाहित रहकर उनकी सेवा करेंगे। इस प्रतिज्ञा को बहुत भीषण माना गया तभी से उनका नाम भीष्म पड़ गया।

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