सोमवार, 13 दिसंबर 2010

सुख में सब साथी दुख में...

आज की स्वार्थी जगत में सुख में तो सभी साथ देते हैं परंतु जब बुरा समय आता है तो सब पीठ दिखाकर किनारा कर लेते हैं। ऐसा ही एक किस्सा है एक चीची नाम का चूहा था चीची किसी संयासी के घर के पास बिल बनाकर रहता था। संयासी रोज रात अपने घर में ऊंचे स्थान पर खाने की स्वादिष्ट भोजन रखता था। उस स्थान तक सामान्यत: कोई चूहा नहीं पहुंच पाता था। परंतु जब इस स्थान के बारे में चीची को पता लगा और वह बहुत खुश हुआ। अब वह रोज रात को वहां जाता और संयासी का सारा खाना खुद भी खाता और अपने साथी अन्य चूहे को भी दे देता था।

इसी तरह बहुत से दिन बीत गए। फिर एक दिन उस संयासी के यहां उसका मित्र साधु आया। संयासी ने मित्र से सारी बात कह सुनाई कि चूहे उसका सारा खाना रोज खा जाते हैं। वह मित्र देखकर हैरान था कि कोई चूहा इतनी ऊपर तक कैसे पहुंच सकता है? उसे शंका हुई कि जरूर इस चूहे के बिल के नीचे खजाना होगा जिसके बल पर यह इतनी ऊपर कूद लगा लेता है। अब दोनों मित्र चूहे के आने की प्रतीक्षा करने लगे और चूहे के आते ही पीछा कर उसके बिल तक जा पहुंचे। दोनों मित्रों ने उस बिल की खुदाई कर दी और वहां से उन्हें खजाना मिल गया। धन चले जाने से चूहे का बल समाप्त हो गया और धीरे-धीरे जब वह अन्य चूहों को खाना उपलब्ध नहीं करा सका तो सभी उसका साथ छोड़कर चले गए। ऐसे में उसकी मित्रता एक कौएं से हुई और वह कौआं उसे रोज खाना उपलब्ध कराने लगा।
यह बात सच है कि अच्छे समय में सभी आपका साथ देते हैं, आपका ध्यान रखते हैं, आपकी बात सुनते है और जब बुरा वक्त आता है तो सभी साथ छोड़ देते हैं। परन्तु सच्चे दोस्त की पहचान बुरे समय में ही होती आपके सच्चे हितेशी ही आपके बुरे समय में भी आपका सहयोग करने के लिए सदैव तत्पर खड़े रहते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें