मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

ये हैं गणेश के संकटनाशक 8 अवतार

सनातन धर्म में श्री गणेश मंगलकारी देवता माने गए हैं। शास्त्रों में श्री गणेश को ही परब्रह्म कहा गया है। श्री गणेश विघ्रहर्ता है। उनकी यह महिमा इस बात से सिद्ध होती है कि हिन्दू धर्म के पंचदेव जिनमें कल्याणकर्ता शिव, शक्ति, आनंददाता श्री विष्णु और ऊर्जा के स्त्रोत सूर्य की पूजा से पहले श्री गणेश की पूजा की जाती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्री गणेश भक्तों के विघ्र विनाश और मंगल के लिए अलग-अलग 8 स्वरूपों में अवतरित हुए। जानते हैं श्री गणेश के ऐसे ही अद्भुत 8 अवतारों और उनकी भक्ति के फल को -
1 वक्रतुण्ड - श्री गणेश के इस रूप में मुड़ी हुई सूंड होती है। यह बाधाओं का नाश और विघ्र का नाश करते हैं। कलह का नाश करते हैं।
2. एकदंत - इस रूप में श्री गणेश का एक ही दांत होता है। यह लालच, अहंकार, आसक्ति और दंभ को चूर करते है। यह बुद्धिदाता होते हैं।
3. महोदरा - श्री गणेश के इस रूप में बडे उदर यानि पेट वाले होते हैं, जो सुख-समृद्धि और आनंद देते हैं। भूमि-संपत्ति संबंधी बाधा को दूर करते हैं।
4. गजानन - श्री गणेश इस रूप का अर्थ होता है हाथी जैसे मुख वाले धन, दौलत, ऐश्वर्य और कार्य दक्षता और सिद्धि देते हैं। यह शांत और पुरूषार्थी बनाते हैं।
5. लम्बोदर - श्री गणेश के इस रूप का अर्थ होता है- लम्बे पेट वाले। क्रोध व अधर्म को अंत करते हैं।
6. विकट - विपदाओं व संकट के साथ शत्रुभय दूर करते हैं। यह संकटनाशक रूप माना जाता है।
7. विघ्रराज - सभी विघ्रों का नाश करते हैं और शुभ कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर रखते हैं। इस रूप में गणेश कमल के फूल पर विराजित होते हैं। 8. धूम्रवर्ण - श्री गणेश इस रूप में धुएं की तरह रंगवाले होते हैं। हर धर्म और काम में सफलता देते हैं। वहीं दुष्प्रवृत्तियों का नाश करत हैं। ग्रहदोष शांति के लिए इनकी पूजा का महत्व है।

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