मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

दूल्हे की ड्रेस राजा के जैसी क्यों होती है?

विवाह, एक ऐसा है अवसर जब सभी उत्साह और उमंग के माहौल में रंगे होते हैं। इस हुड़दंग और मस्ती में सभी के आकर्षण का केंद्र होता है दूल्हा। सभी नजरें दूल्हे के पहनावे की वजह से ही उसे निहारती रहती हैं।
हिंदू रीति-रिवाजों में दूल्हे का पहनावा किसी राजा के समान ही रखा जाता है। दूल्हे को राजा की संज्ञा भी दी जाती है। आखिर किसी भी वर का ऐसा पहनावा ही क्यों रखा जाता है?
यह प्रथा अति प्राचीन काल से ही चली आ रही है कि दूल्हा राजा के समान ही रहता है। दूल्हा चाहे जिस घर का हो, उसकी आर्थिक स्थिति चाहे जैसी भी हो, वह शादी में रहेगा तो राजा के जैसा ही। विवाह जीवन में एक ही बार होता है और उस समय वर के परिवार वाले भी लड़के को अच्छे से सजाते हैं।
वर के खास पहनावे की पीछे वजह है कि पुराने समय में स्वयंवर की प्रथा होती थी जहां सभी राजा-महाराजा पारंपरिक वेशभुषा में शामिल होते थे। स्वयंवर के समय ही वधु मनपसंद वर के साथ विवाह रचा लेती थी। उस समय भी दूल्हे का पहनावा वैसा ही होता था। धीरे-धीरे यह वेशभुषा प्रचलन में आ गई और अब इसी तरह दूल्हे का श्रंगार किया जाता है। वर को अन्य लोगों से अलग दिखाने के लिए भी इस तरह से उसे सजाया जाता है।

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