शनिवार, 4 दिसंबर 2010

पिता की भूमिका

लड़कपन का दौर ख़त्म हुए क़रीब 12 साल हो गए, जब मॉर्निग वॉक करते व़क्त पिता को दिल का दौरा पड़ा था। उनके निधन के बाद सबकुछ मेरे कंधों पर था और मैं एक ज़िम्मेदार व्यक्ति बन चुका था। ये शब्द हैं ऑर्टिस्ट जितीश कल्लत के। बक़ौल जितीश, मेरी उम्र उस व़क्त 14 साल थी और मैं पिता से बेहद गहरे जुड़ा हुआ था। उनके गुज़रने के बाद कई महीनों तक ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्हें याद करने पर लगता है, जैसे कोई आसमानी ताक़त परेशानियों और बाधाओं में मेरी मदद कर रही थी। उसी साल मैने रीना से शादी कर ली। रीना और मेरे प्रेम के बारे में दादी जानती थीं। वे यह भी जानती थीं कि मैं पिता की बरसी पर होने वाले संस्कारों के लिए रीना को परिवार का हिस्सा बनाना चाहता हूं। सात साल बाद, जब मेरा बेटा अहान पैदा हुआ, तो मुझे महसूस हुआ कि सालों पहले जो साया मेरे सर से अचानक उठ गया था, उनका पुनर्जन्म हो गया है।
आर्ट डीलर आशीष बलराम नागपाल शादीशुदा थे, लेकिन पिता की मौत से आहत उन्होंने उस घर को छोड़ दिया। वे कहते हैं कि किसी बेटे के लिए यह बड़ा विचित्र अनुभव होता है, जब उसके पिता उसकी आंखों से हमेशा के लिए ओझल हो जाते हैं। पिता के चले जाने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं उन्हें कितना याद करता हूं और उन पर कितना निर्भर था। हालांकि मेरी मां उस समय जीवित थीं, फिर भी जाने क्यों मुझे महसूस हो रहा था कि मैं अनाथ हो गया हूं।
एक सैनिक परिवार में जन्मे अभिनेता करन ओबेराय ने शो बिÊानेस में भविष्य बनाने के लिए जल्दी ही घर छोड़ दिया था। वे कहते हैं कि इस दौरान मुझे कई मुश्किल भरी सीख़ मिलीं, तो अच्छे अनुभव भी हुए। आमतौर पर लोगों को लगता है कि आत्मनिर्भर होने से हर तरह की आज़ादी मिल जाती है, लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि पिता की मौजूदगी से मिलने वाली सुरक्षा का अभाव हमेशा बना रहता है। आज उन्होंने ख़ुद को पूरी तरह आत्मनिर्भर बना लिया है और उनके माता-पिता भी जीवित हैं और चंडीगढ़ में रह रहे हैं। करन बताते हैं कि एक सेल्फ मेड पर्सन के रूप में देखकर उन्हें बेहद ख़ुशी होती है।

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