रविवार, 19 दिसंबर 2010

भोजन बैठकर ही क्यों करें...?

जीने के लिए सबसे अधिक जरूरी क्रियाओं में से एक है खाना। खाना ही हमारे शरीर को जीने की शक्ति प्रदान करता है। हम सभी कम से कम दिन में दो बार खाना खाते हैं। हर व्यक्ति का खाना खाने का अलग तरीका होता है। अधिकांश लोग जमीन पर बैठकर ही खाना खाते हैं तो कुछ लोग डायनिंग टेबल पर बैठकर खाते हैं।
समय के साथ-साथ कई लोगों के खाना हमारी दिनचर्या में कई बड़े-बड़े परिवर्तन आ गए हैं। हमारी सभी क्रियाएं और उनका तरीका बदल गया है। आधुनिकता की दौड़ में हमारा खाना खाने का तरीका भी पूरी तरह प्रभावित हुआ है। आज अधिकांश लोग खाना डायनिंग टेबल पर बैठकर खाते हैं। जबकि पुराने समय में जमीन पर आसन लगाकर खाना खाने की परंपरा थी। आज भी बड़ी संख्या में लोग बैठकर ही खाना खाते हैं।
डायनिंग टेबल पर बैठकर खाने से कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां स्वत: ही हमें घेर लेती हैं परंतु जो लोग जमीन पर बैठकर पारंपरिक तरीके से खाने खाते हैं उनसे कई छोटी-छोटी बीमारियां दूर ही रहती है।
जमीन पर बैठकर खाना खाते समय हम एक विशेष योगासन की अवस्था में बैठते हैं, जिसे सुखासन कहा जाता है। सुखासन से स्वास्थ्य संबंधी वे सभी लाभ प्राप्त होते हैं जो पद्मासन से प्राप्त होते हैं। बैठकर खाना खाने से हम अच्छे से खाना खा सकते हैं। इस आसन से मन की एकाग्रता बढ़ती है। सुखासन से पूरे शरीर में रक्त-संचार समान रूप से होने लगता है। जिससे शरीर अधिक ऊर्जावान हो जाता है। इस आसन से मानसिक तनाव कम होता है और मन में सकारात्मक विचारों का प्रभाव बढ़ता है। इससे हमारी छाती और पैर मजबूत बनते हैं। सुखासन वीर्य रक्षा में भी मदद करता है। इस तरह खाना खाने से मोटापा, अपच, कब्ज, एसीडीटी आदि पेट संबंधी बीमारियों में भी राहत मिलती है। सुखासन अवस्था में बैठकर खाने से वे कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त कर शरीर को ऊर्जावान और स्फूर्तिवान बना सकते हैं।

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