शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

18 संक्रांतियों के शुभ-अशुभ संयोग

- पंडित आर. के. राय
पिछले कुछ वर्षों के उदाहरण जो पौष महीने में संक्रांति को हुए थे, उन्हें निम्न प्रकार से देखा जा सकता है-
1. 16 जनवरी 1962 मंगलवार को मकर संक्रांति के दिन चन्द्रमा अवश्य ही उच्चस्थ था। किन्तु इसके विपरीत गुरु नीचस्थ तथा शनि स्वगृही एवं बलवान था। इसी वर्ष सप्तग्रही योग भी बना था। मकर राशि में ही सूर्य, गुरु, शुक्र, बुध, गुरु, केतु एवं मंगल एकत्र हो गए थे। इसी वर्ष भारत-पाकिस्तान युद्ध भी हुआ था।
2.14 जनवरी 1967 शनिवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा पाप राशि कुम्भगत था। तथा कोई शुभग्रह बलवान नहीं था। बल्कि इसके विपरीत पापग्रह बलवान थे।
3.13 जनवरी 1973 शनिवार संक्रांति के दिन चन्द्रमा मेष राशिगत था। तथा बुध, गुरु, शुक्र एवं राहु एक साथ धनु राशिगत थे। इस प्रकार कोई भी शुभग्रह बलवान नहीं था।
4.14 जनवरी 1975 मंगलवार को संक्रांति के दिन मकर राशि में ही गुरु नीचस्थ एवं उन्हीं के साथ चन्द्रमा अस्त था।
5.13 जनवरी 1981 मंगलवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा मेष राषि में था। तथा सूर्य के कारण मंगल एवं बुध मकर में अस्त थे। इसके अलावा श नि ग्रह गुरु के साथ संयुक्त था। कोई भी शुभग्रह बलवान नहीं था।
6.14 जनवरी 1984 शनिवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा उच्चस्थ था। किन्तु राहु के साथ था। पुनः गुरु धनु राशि में स्वगृही अवश्य था। किन्तु सूर्य से अस्त था। सूर्य, बुध एवं गुरु पर बलवान उच्चस्थ शनि की पूर्ण दृष्टि भी थी। सब शुभग्रह कमजोर थे।
7. 14 जनवरी 1986 मंगलवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा कुम्भ राशि में तथा गुरु नीचस्थ था।
8. 13 जनवरी 1989 शुक्रवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा मीन राशि में तथा शेष शुभ ग्रह कमजोर थे। गुरु स्वयं शत्रुक्षेत्री था।
9. 14 जनवरी 1992 मंगलवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा मेष राशिगत तथा पापग्रह शनि बलवान था। शेष शुभग्रह कमजोर थे।
10.14 जनवरी 1994 शुक्रवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा कुम्भ में, शनि स्वक्षेत्री बलवान एवं गुरु शत्रुक्षेत्री था।
11. 14 जनवरी 1995 शनिवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा मिथुन राशि में तथा गुरु शत्रु ग्रह शुक्र से संयुक्त होकर स्वक्षेत्री बलवान शनि द्वारा देखा जा रहा था।
12.14 जनवरी 1997 मंगलवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा मीन राशि में तथा गुरु नीच राशिगत था। गुरु एवं शनि का स्थान परिवर्तन भी हो रहा था।
13.14 जनवरी 2000 शुक्रवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा मेष राशि में शनि एवं गुरु से युक्त था।
14.14 जनवरी 2002 सोमवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा सूर्य के साथ मकर राषि में एवं गुरु राहु से युक्त था।
15.14 जनवरी 2003 मंगलवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा उच्चस्थ था। गुरु भी उच्चस्थ था। किन्तु वृष राशि में ही वह शनि एवं राहु से युक्त था। तथा गुरु पर मित्र क्षेत्री बलवान शनि की पूर्ण दृष्टि थी। 16.14 जनवरी 2005 शुक्रवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा मीन राशि में शनि द्वारा देखा जा रहा था। कोई शुभग्रह बलवान नहीं था।
17.13 जनवरी 2005 शनिवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा कर्क रा‍शि में शनि युक्त था। गुरु शत्रुक्षेत्री था।
18.14 जनवरी 2008 सोमवार को संक्रांति के दिन चन्द्रमा मीन राशि में अति अशुभ केमद्रुम योग बना रहा था। गुरु पर मंगल की पूर्ण दृष्टि थी।

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